कांग्रेस व भाजपा ने बिछा दी लोस चुनाव की बिसात
हिमाचल प्रदेश में केवल चार सीटें हैं मगर इसके बावजूद राज्य की राजनीति का असर पूरे देश में दिखता है। कारण यही है कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का हिमाचल में घर रहा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हिमाचल को अपनी कर्म भूमि मानते हैं क्योंकि वे कई साल तक हिमाचल के प्रभारी रह चुके हैं और वाजपेयी के साथ यहां सक्रिय रहे हैं।
इससे भी बड़ी बात यह है कि भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा भी हिमाचल से हैं। केंद्रीय मंत्री मंडल में एक प्रमुख चेहरा अनुराग सिंह ठाकुर भी इसी प्रदेश से हैं। ऐसे में सीटों के संख्या बल से भले ही यह प्रदेश छोटा सा दिखता हो मगर इसका राजनीतिक महत्त्व अन्य किसी प्रदेश से कहीं भी कम नहीं है। यहां की हार जीत का असर पूरे देश में देखा जाता है। पिछले दो लोकसभा चुनावों 2014 व 2019 की बात की जाए तो भाजपा ने यहां सभी सीटें फतह की थीं। 2019 में तो प्रदेश की चारों सीटों पर भाजपा की जीत 4 लाख से अधिक मतों से हुई।
यह बात अलग है कि प्रदेश में भाजपा की जय राम ठाकुर सरकार के होते हुए 2021 में रामस्वरूप शर्मा के निधन से खाली हुई सीट पर हुए मंडी संसदीय क्षेत्र के उपचुनाव में भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा और प्रतिभा सिंह ने वीरभद्र सिंह के निधन से पैदा हुई सहानुभूति लहर में जीत पाई। इस बार का लोकसभा चुनाव हिमाचल में 2019 के परिदृश्य से बिल्कुल अलग होगा क्योंकि इस बार प्रदेश कांग्रेस की सरकार है जबकि 2019 में प्रदेश में भाजपा की सरकार थी।
अब चूंकि लोकसभा चुनावों के लिए उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है, एक साल से भी कम समय चुनावों के बचा है तो भाजपा-कांग्रेस ने पूरी तरह से चुनावी बिसात बिछा दी है। भाजपा ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार की नीतियों व उपलब्धियों को अपना मुख्य हथियार बना दिया है। दिग्गज नेता हिमाचल में आकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 9 साल के कार्यकाल में किए गए कार्यों को लोगों तक पहुंचाने में लगे है। इसके लिए 31 मई 30 जून तक एक विशेष अभियान प्रदेश भर में चलाया है। इसमें पूरा संगठन डट गया है। हर स्तर पर कार्यक्रम शुरू कर दिए गए हैं। स्वयं राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा 12,13 व 14 जून को हिमाचल आकर तीन रैलियां कर रहे हैं।
दूसरी तरफ कांग्रेस जो दिसंबर 2022 में सत्ता में आई, उसके लिए मंडी संसदीय क्षेत्र में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं यहां से वर्तमान सांसद प्रतिभा सिंह ने ताबड़तोड़ दौरे शुरू कर दिए हैं। उनके कैबिनेट मंत्री बेटे विक्रमादित्य सिंह भी मैदान में आ गए हैं। अन्य तीनों संसदीय सीटों पर अभी ज्यादा हलचल कांग्रेस की ओर से नहीं है क्योंकि उम्मीदवारों को लेकर संकेत नहीं हैं जबकि मंडी में प्रतिभा सिंह का फिर से चुनाव मैदान में उतरना तय माना जा रहा है। पहले तीन विधानसभा व एक लोकसभा उपचुनाव में 4-0, फिर विधानसभा चुनाव में 40-25 और बाद शिमला नगर निगम के चुनावों में 24-9 के अंतर से कांग्रेस से हारी भाजपा लोकसभा चुनाव में कोई जोखिम नहीं लेना चाहती है। उसने अपना सबकुछ चुनाव में झोंक दिया है।
हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से तो अनुराग सिंह ठाकुर लगातार सांसद चुने जा रहे हैं और इस बार भी वही उम्मीदवार होंगे ऐसा यकीनन कहा जा सकता है। शिमला से वर्तमान सांसद सुरेश कश्यप व कांगड़ा से किश्न कपूर वर्तमान में सांसद हैं। उनके टिकटों को लेकर भी ज्यादा संदेह नहीं है। मंडी से प्रतिभा सिंह के मुकाबले नेता प्रतिपक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर को उतारने की भी चर्चा है।
इसी कड़ी में दूसरे संसदीय क्षेत्रों में भी फेरबदल हो सकता है। कुछ भी हो हिमाचल में लोकसभा चुनावों की बिसात बिछ गई है। भले ही मोहरे पूरी तरह से तय नहीं हैं मगर दलों ने अपना मोर्चा संभाल लिया है। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार, केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार और लगातार तीसरी बार केंद्र में नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने का भाजपा का संकल्प इस सब के कारण चुनाव काफी रोचक हो सकते हैं।