Chhattisgarh Encounter: छत्तीसगढ़ में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में 12 नक्सली ढेर, जानिए इस साल अब तक कितने मारे गए
Chhattisgarh Encounter: छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में शुक्रवार को सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में 12 माओवादी मारे गए। मुख्यमंत्री विष्णु देव साई ने इसकी पुष्टि की। इस मुठभेड़ के साथ ही इस साल मारे गए माओवादियों की संख्या 100 के पार पहुंच गई है।
अप्रैल के अंत तक सुरक्षा बलों ने 91 माओवादियों को मार गिराया था। यह आंकड़ा अब 103 हो गया है। साल 2019 के बाद से यह आंकड़ा सबसे अधिक है।
2018 में सुरक्षा बलों ने 112 माओवादियों को मार गिराया था, और 2016 में कुल 134 माओवादी मारे गए थे। राज्य के गठन के बाद से माओवादियों के मारे जाने का यह सबसे ज्यादाआंकड़ा है।
शुक्रवार की घटना बीजापुर जिले के पीडिया पुलिस थाने के अंतर्गत आने वाले गंगालूर इलाके में हुई, जिसे माओवादियों का गढ़ माना जाता है।
नक्सलियों के मारे जाने पर छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साई की भी प्रतिक्रिया सामने आई है। विष्णुदेव साई ने कहा, 'मैं सुरक्षा बलों को बधाई देता हूं। जब से हम सत्ता में आए हैं, हमने नक्सलवाद के खिलाफ मजबूती से लड़ाई लड़ी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह दोनों चाहते हैं कि नक्सलवाद जल्द खत्म हो और हमें डबल इंजन सरकार का लाभ मिल रहा है।'
इससे पहले 16 अप्रैल को कांकेर ज़िला मुख्यालय से क़रीब 160 किलोमीटर दूर आपाटोला-कलपर जंगल के क्षेत्र में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में 29 माओवादी मारे गए थे। इस घटना के 48 घंटों के अंदर माओवादियों ने प्रेस रिलीज़ जारी करके कहा था कि हमारे साथियों ने जंगल क्षेत्र में पनाह ली थी और उनको घेर कर मारा गया है।
कहां से हुई नक्सल शब्द की उत्पत्ति?
नक्सल शब्द की उत्पत्ति पश्चिम बंगाल के छोटे से गांव नक्सलबाड़ी से हुई है जहां भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता चारू मजूमदार और कानू सान्याल ने 1967 मे सत्ता और सरकार के विरुद्ध एक सशस्त्र आन्दोलन शुरू किया था।
पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने बताया था देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा
साल 2006 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने माओवादी हिंसा को देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया था, इसके बाद ऑपरेशन ग्रीन हंट की शुरुआत हुई। साल 2009 में गृह मंत्री पी. चिदबंरम ने संसद में बताया था कि देश में माओवाद प्रभावित ज़िलों की संख्या 223 थी। हालांकि मुख्य रूप से इनका असर देश के दस राज्यों के करीब 75 ज़िलों में माना गया है।