एक विनाशकारी भूकंप, चीन का जलप्रलय और काल बनी ब्रह्मापुत्र… बाढ़ से हर साल क्यों तबाह हो रहा असम?
Assam Floods: बदलते मौसम और बारिश ने देश के कई हिस्सों के लोगों के चेहरे पर मुस्कान खिलाई है तो पूर्वोत्तर इसकी मार से कराह रहा है। पिछले एक माह से राज्य बाढ़ से कराह रहा है। लोगों को अपना जीवन अस्थायी कैंपों में गुजारना पड़ रहा है। अब तक कई लोगों की जान भी जा चुकी है। अब हम बताएंगे कि असम में हर साल बाढ़ क्यों आ जाती है और इसका चीन से क्या कनेक्शन है।
असम में इस समय कैसी स्थिति
बाढ़ से राज्य में हालात काफी बदतर हो गए हैं। बाढ़ की वजह से बारपेटा, विश्वनाथ, कछार, चराईदेव, चिरांग, दारांग, धेमाजी, डिब्रूगढ़, गोलाघाट, जोरहाट, कामरूप मेट्रोपोलिटन, कार्बी आंगलोंग, करीमगंज, लखीमपुर, माजुली, मोरीगांव, नगांव, नलबाड़ी, शिवसागर, सोनितपुर, तमुलपुर, तिनसुकिया और उदालगुड़ी जिलों में सबसे ज्यादा असर हुआ है। लखीमपुर में सबसे ज्यादा 1.65 लाख से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। यहां के लोगों के लिए शिविर बनाए गए हैं। इनमें करीब 2.86 लाख लोग रह रहे हैं। इतना ही नहीं किसानों की खेती करने लायक काफी जमीन खराब हो गई है।
असम में क्यों हो रही लगातार बारिश
आईएमडी के अनुसार जारी किए गए पूर्वानुमान के मुताबिक, मानसून ट्रफ में पहाड़ों के पास और असम घाटी की तरफ जाने की प्रवृत्ति देखी जा रही है। बंगाल की खाड़ी से आने वाली दक्षिण-पश्चिमी हवाएं पूरे बांग्लादेश में नमी बढ़ा रही हैं। 48 घंटों के बाद बारिश की गतिविधि और भी ज्यादा बढ़ने के आसार हैं। 5 से 6 जुलाई के बीच अरुणाचल प्रदेश, असम और मेघालय में भारी से बहुत भारी बारिश होने की उम्मीद है। इतना ही नहीं, यहां पर आने वाले हफ्ते में भी बारिश का दौर जारी ही रहेगा।
असम की बाढ़ का चीन से कनेक्शन
असम की बाढ़ का चीन से भी लेना देना है। चीन में बहने वाली यारलुंग सांगपो नदी को अरूणाचल प्रदेश में एंट्री के बाद सियांग कहा जाता है और ब्रह्मपुत्र में प्रवेश के बाद इसे ब्रह्मपुत्र नदी के नाम से जाना जाता है। ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियों में जलस्तर बढ़ गया है। ये पूरी तरह से लबालब हैं। इन नदियों के उफान मारने की वजह से ही पूर्वोत्तर भारत के दूसरे राज्य भी पूरी तरह से अलर्ट मोड पर हैं। इसकी एक दूसरी वजह यह भी है कि अगर चीन भारत को सही समय पर ब्रह्मपुत्र नदी के जलस्तर को लेकर जानकारी दे दे तो बाढ़ से होने वाले नुकसान को काफी कम किया जा सकता है। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने भी चीन को ही जिम्मेदार ठहयारा है।
असम में हर साल बाढ़ क्यों आती है
असम में बाढ़ के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार है इसकी भौगोलिक संरचना हैं। आसान भाषा में समझें तो असम एक U के आकार की घाटी है। आसपास के क्षेत्रों से पानी की निकासी केवल असम की होती है और पहाड़ी की तरफ से आने वाला पानी यहां के हालात बिगाड़ देता है। राष्ट्रीय बाढ़ आयोग का कहना है, असम में 31,500 वर्ग किलोमीटर का हिस्सा ऐसा है जो बाढ़ प्रभावित है। यहां लगभग हर साल आने वाली बाढ़ की वजह है पहाड़ियों से आने वाला तेज बहाव वाला पानी। पहाड़ियों की तरफ से आने वाला पानी ब्रह्मपुत्र और सहायक नदियों का जलस्तर इतना बढ़ा देता है कि यहां बाढ़ के हालात बन जाते हैं।
किन दो नदियों से घिरा असम
असम की बाढ़ के लिए दो नदियां जिम्मेदार हैं। इनमें से पहला ब्रह्मपुत्र नदी का नाम आता है और दूसरा बराक नदी है। इन दो के अलावा 48 छोटी-छोटी और सहायक नदियां भी हैं। इसी वजह से यहां पर नदी का जलस्तर बढ़ जाता है। थोड़ी सी बारिश में ही हालात बद से बदतर हो जाते हैं। असम में ब्रह्मपुत्र नदी लगातार फैल ही रही है। इसके एरिये में भी काफी विस्तार हुआ है। असम सरकार के मुताबिक, 1912 से 1928 के बीच ब्रह्मपुत्र नदी का कवर एरिया 3,870 वर्ग km था। यह 1963 से 1975 के बीच बढ़कर 4850 वर्ग km हो गया। इतना ही यह बाद में और भी बढ़ता ही चला गया है। यह साल 2006 में 6080 वर्ग किलोमीटर तक जा पहुंचा। ब्रह्मपुत्र नदीं कुछ इलाकों में जाकर बहुत चौड़ी हो जाती है।
ब्रह्मापुत्र कैसे बनी असम का काल
ब्रह्मपुत्र नदी साल दर साल असम का काल बन जाती है। इसके पीछे की वजह यह है कि इसकी शुरुआत तिब्बत के ठंडे पठारों से होती है। फिर बारिश वाले हिमालयी इलाकों से होकर गुजरती है। धीरे-धीरे यह असम की खेती वाली जमीन से गुजरते हुए बांग्लादेश के बड़े डेल्टा वाले मैदान तक पहुंचती है। ब्रह्मपुत्र नदी की लंबाई की बात करें तो यह 2900 किलोमीटर है। इसमें से 916 किलोमीटर का हिस्सा भारत के अंदर आता है। बाकी का हिस्सा भारत के बाहर ही रहता है। उस पर हमेशा बर्फ की चादर चढ़ी रहती है। देश के अंदर नदी को जो हिस्सा आता है वह आखिर में जाकर बंगाल की खाड़ी में जाकर मिल जाता है। इस नदी के ऊपर काफी सारे बांध भी बने हुए हैं।
असम में बाढ़ का इतिहास
चर्चा अगर असम में बाढ़ के इतिहास पर की जाए तो ASDMA के डेटा के मुताबिक, 2013-2022 के दौरान राज्य में भीषण बाढ़ की तबाही से 838 लोगों की जान चली गई है। इनमें से 181 लोगों की मौत 2021 में हुई है। बार-बार बाढ़ आने की वजह से वहां पर लोगों का जनजीवन काफी प्रभावित हुआ है और कृषि लायक भूमि को भी ज्यादा नुकसान हुआ है। इस साल भी लोगों की आजीविका पर बन आई है।
भूकंप के बाद बदला ब्रह्मपुत्र नदी का रूख
ब्रह्मपुत्र नदी में बाढ़ आने के कनेक्शन को कई विशेषज्ञ 1950 में आए भूकंप से भी जोड़कर देखते हैं। भूकंप आने के बाद ब्रह्मपुत्र नदी की दिशा और प्रकृति दोनों ही बदल गई। ब्रह्मपुत्र बेसिन में मानसून के समय में बहुत ज्यादा बारिश देखी जाती है। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि मानसून के दौरान आने वाला प्रवाह बाकी समय आने वाले प्रवाह से काफी ज्यादा होता है।