Old vs New Tax Regime: रिटायर हो गए हैं? कौन सा टैक्स सिस्टम रहेगा बेहतर, ITR भरने के पहले समझ लें डिटेल
Benefits in New Tax Regime: इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) भरने और जमा करने की डेडलाइन अब पास आ रही है. ऐसे में बहुत से टैक्सपेयर्स के मन में यह बात चल रही होगी कि उन्हें नए टैक्स सिस्टम के साथ जाना चाहिए या पुराने टैक्स व्यवस्था में ही बने रहना चाहिए. यह दुविधा उनके मन में और ज्यादा होगी, जो हाल फिलहाल में रिटायर हुए हैं और उनकों पेंशन मिलनी शुरू हुई है. असल में केंद्रीय बजट 2023-24 में आम टैक्सपेयर्स को ध्यान में रखते हुए नए टैक्स रिजीम के तहत इनकम टैक्स स्लैब में बदलाव किया गया था. इससे टैक्स छूट की लिमिट को 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 7 लाख रुपये कर दिया गया है.
वरिष्ठ नागरिकों की बात करें या रिटायर हो चुके ऐसे बहुत से पेंशनहोल्डर हैं, जिन्होंने अपना टैक्स रीजीम नहीं बदला है. उनके न में इस तरह की दुविधा ज्यादा होगी कि क्या फैसला लें. आमतौर पर रिटायरमेंट के बाद सैलरी की तुलना में पेंशन कम हो जाती है. वहीं नए टैक्स सिस्टम के तहत टैक्स छूट की लिमिट बढ़ गई है. जिससे उन्हें कई बार नई व्यवस्था ठीक लगती है. वहीं दूसरी ओर ओल्ड टैक्स सिस्टम में टैक्स छूट लेने की सुविधा है, जिसके चलते ध्यान उधर भी आकर्षित होता है. ऐसे में आपको दोनों सिस्टम के पॉजिटिव और निगेटिव जानकर फैसला लेना चाहिए.
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चुन सकते हैं कोई भी विकल्प
वरिष्ठ नागरिकों को भी इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय नया या पुराना टैक्स सिस्टम में कोई भी विकल्प चुनने की सुविधा है. इस नियम में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के अनुसार, एक किसी की उम्र अगर 60 साल या उससे अधिक है, लेकिन 80 साल से कम है, उसे इनकम टैक्स के नियम के तहत वरिष्ठ नागरिक माना जाता है. अगर उम्र 80 साल से ज्यादा है तो उन्हें सुपर सीनियर सिटीजन माना जाता है.
नए सिस्टम में सबके लिए समान दरें
नए टैक्स सिस्टम में टैक्स की दरें सभी इंडिविजुअल और 60 साल से अधिक से लेकर 80 साल तक के सीनियर सिटीजंस और 80 साल से अधिक के सुपर सीनियर सिटीजंस के लिए एक समान हैं. सीनियर सिटीजंस टैक्सपेयर्स को कुल इनकम टैक्स लायबिलिटी के 4 फीसदी की दर से एडिशनल हेल्थ और एजुकेशनल सेस का भुगतान करना भी आवश्यक है. सेक्शन 87A के तहत इसमें टैक्स में रिबेट की सीमा को बढ़ाकर 7 लाख रुपये कर दिया गया है. इसका मतलब ये है कि 7 लाख रुपये तक की सालाना आमदनी वाले लोगों को अब न्यू टैक्स रिजीम में कोई इनकम टैक्स नहीं देना पड़ेगा. ओल्ड टैक्स रिजीम में यह लाभ 5 लाख रुपये तक की आय पर ही मिलता है. न्यू टैक्स रिजीम में पहली बार स्टैंडर्ड डिडक्शन का लाभ भी दिया जा रहा है.
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न्यू टैक्स सिस्टम में स्लैब और टैक्स
इनकम 3 लाख रुपये : कोई टैक्स नहीं
इनकम 3 लाख से ज्यादा से 6 लाख तक : 5% टैक्स
6 लाख से ज्यादा से 9 लाख तक : 10% टैक्स
9 लाख से ज्यादा से 12 लाख तक : 15% टैक्स
12 लाख से ज्यादा से 15 लाख तक : 20% टैक्स
15 लाख से ज्यादा पर : 30% टैक्स
नए सिस्टम में लाभ
नए टैक्स सिस्टम के तहत, सीनियर सिटीजंस 80डी के तहत हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर अधिकतम 50,000 रुपये की कटौती का दावा कर सकते हैं. अगर यह खर्च डिपेंडेंट सीनियर सिटीजंस के लिए किया जाता है, तो एक वित्त वर्ष में इसके लिए पात्रता 1 लाख रुपये है. सीनियर और सुपर सीनियर सिटीजंस टैक्सपेयर्स को बचत बैंक खातों से ब्याज आय के लिए धारा 80TTA के तहत अधिकतम 50,000 रुपये की कटौती की अनुमति है. सामान्य करदाताओं के लिए यह 10,000 रुपये है.
पुराने टैक्स सिस्टम में वरिष्ठ नागरिकों के टैक्स स्लैब
3 लाख रुपये तक सालाना इनकम : टैक्स नहीं
3 लाख रुपये से ज्यादा से 5 लाख पर : 5% टैक्स
5 लाख रुपये से ज्यादा से 10 लाख तक : 10,000 रुपये + 5 लाख से ऊपर की आय पर 20% टैक्स
10 लाख रुपये से ज्यादा पर : 1.10 लाख रुपये + 10 लाख से ऊपर की आय पर 30% टैक्स
(नोट- अगर टैक्सेबल इनकम 5 लाख रुपये तक तो सेक्शन 87ए के तहत राहत के लिए टैक्स देनदारी शून्य है. अगर टैक्सेबल इनकम 50 लाख रुपये से अधिक है तो सरचार्ज लागू होगा और यह 10-37 फीसदी तक अलग अलग हो सकता है. इसमें हेल्थ और एजुकेशन सेस भी है, जो इनकम टैक्स का 4 फीसदी प्लस सेस है.)
वरिष्ठ नागरिकों के लिए क्या मायने
वरिष्ठ नागरिक की सालाना आय 7 लाख रुपये तक है तो नया टैक्स सिस्टम बेहतर है. 7 लाख तक इनकम पर टैक्स जीरो है. नए सिस्टम में इस साल से 50,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन भी मिल रहा है, जो पिछले साल तक नहीं मिल रहा था. लेकिन नए सिस्टम में 80C के तहत मिलने वाली 1.5 लाख रुपये की छूट का लाभ नहीं मिलता है. यह लाभ लेना है तो पुराना सिस्टम बेहतर है. अगर आप 80C के अलावा होम लोन पर मिलने वाली टैक्स छूट का भी लाभ लेते हैं, तो आपके लिए पुरानी टैक्स रिजीम बेहतर साबित हो सकती है.