अगर ना होती ये एजेंसी तो और बढ़ सकता था मौत का आंकड़ा, रेल हादसे के बाद क्यों हो रही ODRAF की चर्चा
बालासोर रेल हादसे के बाद सबसे पहले घटनास्थल पर पहुंचने वाली ओडिशा डिजास्टर रैपिड एक्शन फोर्स (ODARF) ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। घटना के आधे घंटे के अंदर ही ओडीआरएएफ की 30 लोगों की टीम ने घटनास्थल पर पहुंचकर बचाव अभियान शुरू कर दिया था और 1200 जख्मी लोगों को दुर्घटनाग्रस्त ट्रेन से बाहर निकाला। अधिकारियों का कहना है कि ओडीआरएएफ के समय से घटनास्थल पर पहुंचने की वजह से काफी लोगों की जानें बचाई जा सकीं, वरना मौत का आंकड़ा ज्यादा भी हो सकता था।
ओडिशा इंडस्ट्री के सचिव हेमंत शर्मा ने बताया कि अगर ओडिशा सरकार समय पर एक्शन नहीं लेती तो मृतकों की संख्या और ज्यादा हो सकती थी। उन्होंने कहा कि सरकार ने तुरंत ओडीआरएएफ को घटनास्थल पर भेजने का फैसला लिया और टीम ने वहां 1200 जख्मी लोगों को बचाकर उन्हें अस्पताल भेजा।
घटना के बाद सबसे पहले ओडीआरएएफ की टीम घटनास्थल पर पहुंची और 2-3 घंटे के अंदर ही 120 लोगों की चार टीमें और भेजी गईं। राज्य के अलग-अलग जिलों कलींगानगर, बरीपदा, भुवनेश्वर और धेनकनाल से टीमें वहां पहुंची। इसके बाद, ओडिशा की अन्य टीमें और एनडीआरएफ की टीम भी मौके पर पहुंच गई।
ओडिशा की ओडीआरएफ देश की पहली ऐसी एजेंसी है, जिसे आपदाओं में काम करने के लिए तैयार किया गया था। 1999 में भाजपा समर्थित नवीन पटनायक की सरकार ने इसे बनाने का फैसला किया था। 10,000 लोगों को प्रशिक्षित कर इस टीम में शामिल किया गया था। ओडीआरएएफ को नेशनल डिजास्टर रिस्पोंस टीम से भी पहले बनाया गया था। एनडीआरएफ का निर्माण 2006 में हुआ था।
बीते शुक्रवार (2 जून, 2023) को ओडिशा के बालासोर में बड़ा ट्रेन हादसा हुआ था, जिसमें तीन ट्रेनें दुर्घटनाग्रस्त हो गई थीं। कोरोमंडल एक्सप्रेस के डीरेल होने के बाद एक मालगाड़ी से टकराने की वजह से यह दुर्घटना हुई थी। इसकी चपेट में एक और ट्रेन भी आ गई। हादसे में मरने वालों का आंकड़ा 278 तक पहुंच गया है। वहीं, सैकड़ों लोगों का इलाज अभी भी अस्पतालों में चल रहा है। इस हादसे के कारण सैकड़ों परिवार प्रभावित हुए हैं। सरकार ने पीड़ितों के लिए मुआवजे का ऐलान किया है।