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मुर्दा समझकर शवों के साथ ले जा रहे थे मोर्चरी, अचानक खुली आंख... हैरान कर देगी ट्रेन हादसे में घायल इस शख्स की कहानी

मोहम्मद सरफराज की पत्नी दुर्घटना में मर गईं और वह अपनी पत्नी का अंतिम संस्कार करने के बाद फिर से अपनी बेटी की तलाश में मुर्दाघर में वापस आ गए।
Written by: niteshdubey | Edited By: Nitesh Dubey
Updated: June 06, 2023 15:58 IST
मुर्दा समझकर शवों के साथ ले जा रहे थे मोर्चरी  अचानक खुली आंख    हैरान कर देगी ट्रेन हादसे में घायल इस शख्स की कहानी
ओडिशा ट्रेन हादसा (REUTERS/Adnan Abidi)
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ओडिशा में हुए रेल हादसे में 275 लोगों की मौत हो गई और 1000 से अधिक लोग घायल हो गए। हालांकि ट्रेन सेवाएं फिर से उसी पटरी से शुरू हो गईं हैं, जहां पर दुर्घटना हुई थी। लेकिन अस्पतालों और मुर्दाघरों से घटना के चार दिन भी भयावह तस्वीरें सामने आ रही हैं। अपनों की लाशों को ढूढ़ने में जुटे परिजनों को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है।

मोहम्मद सरफराज (Mohammed Sarfaraz) की पत्नी दुर्घटना में मर गईं और वह अपनी पत्नी का अंतिम संस्कार करने के बाद फिर से अपनी बेटी की तलाश में मुर्दाघर में वापस आ गए। उन्होंने मुर्दाघर में 150 से अधिक शवों को देखने के बाद अपनी पत्नी के शव की पहचान की थी, लेकिन अभी तक उनकी बेटी का पता नहीं चल पाया है। जिला कलेक्टर से बात करने के बाद आखिरकार उन्हें कुछ उम्मीद है कि उनकी बेटी की लाश उन्हें मिल जाएगी।

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बालासोर निवासी मोहम्मद अयूब ने समाचार चैनल एनडीटीवी से बात करते हुए कहा, "कुछ शव शुरू में अलग-अलग जगहों पर गए और इससे कुछ परेशानी हुई, लेकिन यहां सभी का ध्यान रखा जा रहा है। सभी को प्रक्रिया के बारे में बताया जा रहा है। उन्हें नहीं पता कि उनकी बेटी जिंदा है या मर गई। इसलिए वह भुवनेश्वर के लिए जा रहे हैं।"

रोते हुए सरफराज ने बताया कि वह क्या कर रहे हैं। उन्होंने जिला कलेक्टर से मुलाकात की, जिन्होंने फिर उन्हें भुवनेश्वर वापस जाने की व्यवस्था की। बालासोर के जिला मजिस्ट्रेट और कलेक्टर दत्तात्रय भाऊसाहेब शिंदे (District Magistrate and Collector Dattatray Bhausaheb Shinde) ने कहा, "हमारे पास एक केंद्रीय नियंत्रण कक्ष और एक बालासोर जिला नियंत्रण कक्ष है। मृत शव के लिए आप कॉल कर सकते हैं और विवरण प्राप्त कर सकते हैं।"

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दूसरी ओर 48 वर्षीय हेलाराम मलिक का 23 वर्षीय बेटा, जो गंभीर रूप से घायल हो गया था, वह अपने दम पर एक क्षतिग्रस्त कोच से बाहर निकलने में कामयाब रहा और पटरियों पर बेहोश हो गया। माना जाता है कि वह मृत माना जा रहा था, उसे शुरू में अन्य शवों के साथ एक ट्रक में रखा गया था, लेकिन उसे होश आ गया और किसी तरह उसने बचाव दल को संकेत दिया कि वह जीवित है। फिर उसे एक अस्पताल में भर्ती कर दिया गया।

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हेलाराम मलिक ने बताया, "जब यह हुआ तब मुझे ट्रेन दुर्घटना के बारे में पता भी नहीं था। मुझे इसके बारे में तब पता चला जब मुझे मेरे बेटे का फोन आया। वह घायल हो गया था लेकिन ट्रेन से बाहर आने में सक्षम था। जब वह बाहर आया तो उसने मुझे फोन किया।"

इस बीच भुवनेश्वर के मुर्दाघर में अधिकांश शवों को रखा गया है, वहां चिंतित रिश्तेदार मृतकों की पहचान करने के लिए पहुंच रहे हैं। अधिकारियों ने सोमवार को कहा कि अभी भी 101 शवों की पहचान की जानी बाकी है। समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए पूर्वी मध्य रेलवे के मंडल रेल प्रबंधक रिंकेश रॉय ने कहा कि ओडिशा के विभिन्न अस्पतालों में अभी भी लगभग 200 लोगों का इलाज चल रहा है।

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