Ashwini Vaishnav: जानिए कैसे BJP की नजरों में आए और नरेंद्र मोदी से बढ़ती गई करीबी
ओडिशा के बालासोर में कोरोमंडल एक्सप्रेस (Coromandel Express) एक्सीडेंट में 275 यात्रियों की जान चली गई। इस हादसे के बाद रेलवे पर लापरवाही के आरोप लग रहे हैं और केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव (Ashwini Vaishnaw) के इस्तीफे की मांग उठ रही है। पूर्व नौकरशाह अश्विनी वैष्णव जून 2019 में राज्यसभा चुनाव से महज हफ्ते भर पहले बीजेपी में शामिल हुए थे। इसके बाद जब मोदी कैबिनेट में उन्हें रेल मंत्रालय जैसा भारी-भरकम पोर्टफोलियो मिला तो तमाम पॉलिटिकल पंडित दंग रह गए थे।
राजस्थान के जोधपुर में जन्में अश्विनी वैष्णव ने साल 1992 में राजस्थान के जयनारायण व्यास यूनिवर्सिटी से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। इसके बाद आईआईटी कानपुर चले गए। साल 1994 में उनका सिविल सर्विस में चयन हुआ। करियर के शुरुआती सालों में ओड़िसा के बालासोर जिले के कलेक्टर बने। ओडिशा के पूर्व चीफ सेक्रेटरी सहदेव साहू बताते हैं कि अश्विनी वैष्णव बहुत मेहनती हैं। उन्हें पता है कि काम कैसे कराना है। साहू कहते हैं कि वैष्णव ओड़िशा में बहुत कम समय रहे, लेकिन धड़ल्ले से ओडिया बोल लेते हैं।
वाजपेयी की कुर्सी गई तब भी बने रहे PS
वैष्णव साल 2003 में दिल्ली आ गए और अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में PMO में बतौर डिप्टी सेक्रेटरी ज्वाइन किया। यहां पहली बार पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) पर पॉलिसी तैयार कर चर्चा में आए। साल 2004 में जब वाजपेयी की सरकार चली गई, इसके बावजूद उनके प्राइवेट सेक्रेटरी के तौर पर काम करते रहे। यहीं से पहली बार बीजेपी की निगाहों में आए।
वैष्णव ने साल 2006 में उन्होंने गोवा के मोरमुगाओ पोर्ट ट्रस्ट (Mormugao Port Trust) को बतौर डिप्टी चेयरमैन ज्वाइन कर लिया। इसके बाद अमेरिका के व्हार्टन स्कूल (Wharton School) एमबीए करने चले गए। लौटने के बाद सिविल सर्विस छोड़ दी और प्राइवेट सर्विस में आ गए।
एक दर्जन प्राइवेट कंपनियों में कर चुके हैं काम
ब्यूरोक्रेसी छोड़ने के बाद अश्विनी वैष्णव ने करीब एक दर्जन नामी कंपनियों में काम किया। लगभग सभी में उनका ओहदा डायरेक्टर का था। जनरल इलेक्ट्रिक और साइमेंस जैसी कंपनियों में काम कर चुके वैष्णव साल 2012 में मारुति और होंडा जैसी मशहूर कंपनी की मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करने में मदद भी कर चुके हैं।
क्या है अश्विनी वैष्णव का गुजरात कनेक्शन?
साल 2012 के आसपास ही उन्होंने गुजरात में कंपनियों की नींव डाली। पहली कंपनी है थ्री टी ऑटो लॉजिस्टिक्स (Three Tee Auto Logistics)। देशभर में वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक्स सर्विस मुहैया कराने वाली इस कंपनी की शुरुआत दिनेश कुमार मित्तल के साथ की थी। वैष्णव साल 2017 तक इस कंपनी के डायरेक्टर हुआ करते थे। अश्विनी वैष्णव की पत्नी सुनीता वैष्णव भी इस कंपनी से जुड़ी रही हैं।
Three Tee Auto Logistics नरेंद्र मोदी के गुजरात का सीएम रहते हुए लगातार वाइब्रेंट गुजरात समिट (Vibrant Gujarat Summit) में शामिल होती रही है। साल 2017 में कंपनी ने राज्य के हालोल और पंचमहल में भारी-भरकम निवेश का ऐलान किया था। इसी तरह अश्विनी वैष्णव एक और कंपवी वी जी ऑटो कॉम्पोनेंन्ट्स (Vee Gee Auto Components) से जुड़े रहे हैं। यह मुख्य तौर पर सुजुकी मोटर्स, गुजरात के साथ काम करती है। वैष्णव इस कंपनी में भी साल 2017 तक डायरेक्टर हुआ करते थे।
कैसे आए PM मोदी के संपर्क में?
गुजरात में कामकाज के दौरान ही अश्विनी वैष्णव नरेंद्र मोदी के संपर्क में आए। मोदी उनके कामकाज से इतने प्रभावित हुए कि टेक्नोलॉजी से जुड़ी नीतियों पर उनकी सलाह लिया करते थे। वैष्णव और मोदी की करीबी के पीछे एक और वजह यह है कि वे धड़ल्ले से गुजराती बोल लेते हैं और उनकी पुरानी पीढ़ी गुजरात के भावनगर से ही जोधपुर गई थी। साल 2014 में जब नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री बनकर दिल्ली आए तब भी दोनों का संपर्क बना रहा।
रेल मंत्री बनते ही बदलवा दी थी ऑफिस टाइमिंग
अश्विनी वैष्णव के करीबी बताते हैं कि वह जब भी कोई काम ठान लेते हैं तो उसे पूरा किये बगैर दम नहीं लेते हैं। देर रात तक जगकर काम करने की आदत है और सुबह 5-5:30 के बीच जग जाते हैं। रेल मंत्री बनने के बाद अश्विनी वैष्णव ने अपने मंत्रालय की टाइमिंग में भी बदलाव करवा दिया था। उन्होंने अपने ऑफिस स्टाफ को दो शिफ्ट में काम करने का निर्देश दिया है- सुबह 7:00 से 3:00 और शाम 4:00 से आधी रात तक। ताकि रेलवे की हर गतिविधि पर नजर रखी जा सके और कोई चीज मिस ना हो।