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गिरफ्तारी के बाद हथकड़ी पहनने पर क्यों तुली थीं इंदिरा गांधी, क्या ऑपरेशन ब्लंडर की वजह से दोबारा बनीं प्रधानमंत्री?

इंदिरा गांधी ने अपनी गिरफ्तारी को आपदा में अवसर बनाने के रूप में इस्तेमाल किया। उन्होंने सीबीआई के अधिकारी से कहा कि गिरफ्तारी से पहले उन्हें हथकड़ी लगाएं।
Written by: pushpendra kumar
नई दिल्ली | Updated: May 16, 2024 16:13 IST
पूर्व पीएम इंदिरा गांधी। (इमेज-एक्सप्रेस आर्काइव)
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Lok Sabha Chunav: 25 जून 1975 को पूरे देश में आपातकाल लगा दिया गया और यह करीब 21 महीने तक चला था। इमरजेंसी के बाद पूर्व पीएम इंदिरा गांधी को 3 अक्टूबर 1977 को सीबीआई ने अरेस्ट किया था। इस समय देशभर में जनता पार्टी की सरकार थी और मोरारजी देसाई देश के प्रधानमंत्री थे और गृह मंत्रालय चौधरी चरण सिंह के पास था। आइए अब यह जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर क्यों इंदिरा गांधी गिरफ्तार होने के बाद हथकड़ी लगवाने पर अड़ी हुईं थीं और ऑपरेशन ब्लंडर क्या है।

पूर्व पीएम इंदिरा गांधी पर चुनाव प्रचार में इस्तेमाल की गईं 104 जीपों की खरीदारी में भ्रष्टाचार का आरोप लगा था। विपक्षी नेताओं ने आरोप लगाया था कि कांग्रेस पार्टी ने जीपें अपने पैसे से नहीं खरीदी थीं। बल्कि इनका भुगतान बिजनेसमैन के द्वारा किया गया था और सरकारी पैसों का भी इस्तेमाल इन्हें खरीदने के लिए किया गया था।

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इमरजेंसी भी गिरफ्तारी का एक कारण

25 जून 1975 को पूरे देश में तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगा दिया था। विपक्षी दलों के ज्यादातर नेताओं को जेलों में भर दिया गया। 23 मार्च 1977 तक देश में इमरजेंसी लागू रही। जय प्रकाश नारायण की लड़ाई ने सियासी मोड़ लिया और इंदिरा को कुर्सी छोड़नी पड़ी। मोरारजी देसाई की अगुवाई में जनता पार्टी का गठन हुआ। 1977 में फिर आम चुनाव हुए और कांग्रेस बुरी तरह हार गई। इंदिरा खुद रायबरेली से चुनाव हार गईं और कांग्रेस 153 सीटों पर सिमट गई। इमरजेंसी के वक्त इंदिरा गांधी ने जिन विपक्षी नेताओं को जेल में डाला उनके सत्ता में आने के बाद उन सभी में इंदिरा के खिलाफ रोष था और उनको गिरफ्तार करने की भी मांग बढ़ने लगी थी।

इंदिरा गांधी की चुनाव में शिकस्त के बाद गिरफ्तारी का रास्ता साफ

1977 में हुए आम चुनाव में इंदिरा गांधी की हार के बाद उनको गिरफ्तार करने का रास्ता और क्लियर हो गया। तत्कालीन गृह मंत्री चौधरी चरण सिंह तो जनता पार्टी की जीत के बाद से ही चाहते थे कि इंदिरा गांधी को अरेस्ट कर लिया जाए। लेकिन पूर्व पीएम मोरारजी देसाई काफी सोच समझ कर कदम उठा रहे थे। उनका मानना था कि वे कानून के खिलाफ जाकर कुछ भी काम नहीं करेंगे। उनका यह भी कहना था कि जब तक कोई भी पुख्ता सबूत हाथ नहीं लगे तब तक इंदिरा को अरेस्ट नहीं किया जाना चाहिए।

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इसके बाद चौधरी चरण सिंह ऐसे मामले की तलाश में थे, जिसके आधार पर इंदिरा गांधी को गिरफ्तार करके जेल में डाला जा सके। उनको जीप घोटाले की शक्ल में एक मजबूत मामला मिल गया। चरण सिंह और आडवाणी समेत जनता पार्टी के कई नेता इंदिरा को गिरफ्तार करने के पक्ष में ही थे। इंदिरा की गिरफ्तारी को ऑपरेशन ब्लंडर कहा गया।

गिरफ्तारी के लिए की गई पूरी प्लानिंग

इंदिरा गांधी को अरेस्ट करने के लिए चौधरी चरण सिंह ने सीबीआई के अधिकारी एनके सिंह को चुना। पहले विपक्षी दल के नेता इस बात को लेकर असमंजस में थे कि इंदिरा गांधी को 1 तारीख को गिरफ्तार किया जाए या किसी अलग तारीख पर। इसके बाद उन्हें अरेस्ट करने के लिए 3 अक्टूबर की तारीख तय की गई। इंदिरा गांधी को गिरफ्तार करने के लिए एक खास प्लानिंग यह भी की गई थी कि उनको हथकड़ी नहीं लगाई जाएगी।

एनके सिंह इंदिरा गांधी को अरेस्ट करने पहुंचे

सीबीआई के अधिकारी इंदिरा गांधी के घर पर पहुंच जाते हैं। एनके सिंह करीब एक घंटे से ज्यादा समय तक इंदिरा गांधी से मिलने के लिए इंतजार ही करते रहते हैं। ज्यादा समय हो जाने के बाद एनके सिंह भड़कना शुरू कर देते हैं। वे कहते हैं कि अगर 15 मिनट के भीतर इंदिरा गांधी से मिलने नहीं दिया जाता है तो बड़ा फैसला लिया जाएगा। इसके बाद पूर्व पीएम बाहर आती हैं और वे इंदिरा गांधी को गिरफ्तार कर लेते हैं।

इंदिरा गांधी हथकड़ी लगवाने पर क्यों तुली थी

इंदिरा गांधी ने अपनी गिरफ्तारी को आपदा में अवसर बनाने के रूप में इस्तेमाल किया। उन्होंने सीबीआई के अधिकारी से कहा कि गिरफ्तारी से पहले उन्हें हथकड़ी लगाएं। हालांकि, उन्हें हथकड़ी नहीं लगाई गई। अधिकारी उन्हें गिरफ्तार करने के बाद बड़खल लेकर जा रहे थे, तो वे रेलवे के फाटक पर रुकने के बाद कार से उतर कर एक पुलिया पर जाकर बैठ जाती हैं। इंदिरा गांधी को वहां पर बैठा देख आसपास की भीड़ वहां पर पहुंचने लगी। इंदिरा गांधी जिंदाबाद के नारे लगना शुरू हो गए थे। इसके बाद अधिकारी उनको बड़खल नहीं ले जा सके। एक खास बात यह थी कि इंदिरा गांधी हथकड़ी इसलिए लगवाना चाहती थी ताकि उनको लोगों की सहानुभूति मिल सके।

क्या था ऑपरेशन ब्लंडर

इंदिरा गांधी को 4 अक्टूबर 1977 को मैजिस्ट्रेट की कोर्ट में पेश किया जाता है। मजिस्ट्रेट ने फिर अभियोजन पक्ष से सवाल करते हुए कहा कि आपके पास जीप स्कैम को लेकर क्या सबूत हैं। तब प्रॉसीक्यूटर ने कहा कि FIR तो कल ही दायर की हुई है। सबूतों को जमा करने में कुछ समय लगेगा। ऐसे में जज ने कुछ ही देर में केस को खारिज कर दिया। केस के खारिज होने के बाद कोर्ट के बाहर जमा हुए कांग्रेस के कार्यकर्ता खुशी से झूम उठते हैं और इंदिरा गांधी जिंदाबाद के नारे लगाने लगते हैं।

इंदिरा गांधी को गिरफ्तार करने की इस राजनीतिक भूल को ऑपरेशन ब्लंडर का नाम दिया गया। इंदिरा गांधी को फंसाने चक्कर में वे सभी इंदिरा गांधी को फायदा पहुंचा बैठे। उनके खिलाफ तो विपक्षी नेताओं ने खूब नफरत का माहौल फैलाना चाहा लेकिन वह सब सहानुभूति में तब्दील हो गया। इंदिरा गांधी भारी बहुमत के साथ दोबारा सत्ता में लौटीं और प्रधानमंत्री बनीं। जनता पार्टी को सत्ता से हाथ धोना पड़ा।

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