सोमनाथ चटर्जी, एक ऐसे लोकसभा स्पीकर, जिन्हें उनकी पार्टी ने ही निकाला, 10 बार रहे सांसद फिर 2009 में छोड़ दी सियासत
लोकसभा स्पीकर पद किसे मिलेगा? किसका नाम सामने आएगा जैसी चर्चाओं के बीच पूर्व स्पीकर सोमनाथ चटर्जी का नाम भी सुर्खियों में है। वह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) से जुड़े थे और यूपीए-I शासन के दौरान 2004 से 2009 तक लोकसभा स्पीकर रहे। उनका निधन 2018 में हो गया था।
पेशे से वकील रहे सोमनाथ चटर्जी 1968 में सक्रिय रूप से राजनीति में शामिल हो गए थे। बतौर स्पीकर उनके फैसलों और सदन का संचालन काफी चर्चाओं में रहा।
सोमनाथ चटर्जी सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले सांसदों में से एक रहे। वह 1971 से 2009 तक दस बार लोकसभा सांसद रहे। इस दौरान सिर्फ एक बार 1984 के चुनाव में वे ममता बनर्जी से हार गए थे।
क्यों चर्चा में हैं सोमनाथ चटर्जी?
बतौर स्पीकर सोमनाथ चटर्जी के फैसले और कड़ा रुख काफी चर्चा का विषय रहा। स्पीकर के तौर पर अपने कार्यकाल के दौरान चटर्जी ने राष्ट्रीय खजाने से प्रसाधन सामग्री और चाय का खर्च उठाने की प्रथा बंद कर दी थी। उन्होंने विदेश यात्रा पर साथ जाने वाले परिवार के सदस्यों का खर्च भी सदस्यों से खुद उठाने पर ज़ोर दिया था।
वह खासतौर पर चर्चा में तब आए थे जब 2008 में उनकी पार्टी CPM ने उन्हें निष्कासित कर दिया गया था। वजह यह थी कि सीपीएम ने यूपीए गठबंधन से अपना समर्थन वापस ले लिया था लेकिन चटर्जी ने स्पीकर के पद से इस्तीफा देने से इनकार कर दिया था।
उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव के दौरान सरकार के खिलाफ वोट देने से भी इनकार कर दिया था। चटर्जी के मुताबिक पार्टी से निष्कासन उनके जीवन के सबसे दुखद दिनों में से एक था। इसके बाद उन्होंने 2009 में सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लिया था।
राजनीति में सभी को स्वीकार्य थे सोमनाथ चटर्जी
सोमनाथ चटर्जी राजनीति में सभी दलों को स्वीकार्य थे और यही कारण है कि भाजपा के नेतृत्व वाले NDA ने 2004 में 14वीं लोकसभा के अध्यक्ष के रूप में उनका समर्थन किया था जबकि वह सीपीएम से आते थे।