कौन हैं छत्रपाल गंगवार? शपथ लेने के बाद बोले- जय हिंदू राष्ट्र; बीजेपी ने दिग्गज नेता का टिकट काट लड़वाया था चुनाव
बरेली के सांसद छत्रपाल गंगवार ने मंगलवार को संसद में शपथ ली। हालांकि, संसद सत्र के दूसरे दिन शपथ ग्रहण समारोह के दौरान 68 साल के नेता ने 'जय हिंदू राष्ट्र, जय भारत' कहकर विवाद खड़ा कर दिया। विपक्षी नेताओं ने गंगवार के बयान पर आपत्ति जताते हुए इसे संविधान के खिलाफ बताया। उन्होंने मांग की कि उनके शब्दों को रिकॉर्ड से हटा दिया जाए। गंगवार उन सांसदों में शामिल थे जिन्होंने आज शपथ ली।
छत्रपाल सिंह गंगवार को बीजेपी ने बरेली से लोकसभा चुनाव में टिकट दिया गया था। पार्टी ने बरेली से आठ बार सांसद रहे संतोष गंगवार का टिकट काट उन पर भरोसा जताया था। वह पार्टी की उम्मीदों पर भी खरे उतरे हैं। छत्रपाल सिंह गंगवार को कुल 5 लाख 67 हजार 127 वोट मिले थे। उन्होंने समाजवादी पार्टी के प्रवीण सिंह ऐरन को शिकस्त दी थी। इस चुनाव में ऐरन को महज 5 लाख 32 हजार 323 वोटों से ही संतोष करना पड़ा था।
कौन हैं छत्रपाल गंगवार?
बरेली के दमखोदा में 20 जनवरी 1956 को पैदा हुए छत्रपाल सिंह गंगवार को राजनीति विरासत में ही मिली है। उनके पिता रामलाल सिंह गंगवार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े हुए थे और भारतीय जनता पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता थे। पिता के ही असर की वजह से छत्रपाल सिंह गंगवार भी अपनी युवावस्था में ही बीजेपी से जुड़ गए और लंबे समय तक संगठन में रहकर काम किया। छत्रपाल सिंह गंगवार ने 1979 में महात्मा ज्योतिबा फुले रोहिलखंड यूनिवर्सिटी से पोस्ट ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई की।
पहली बार वह साल 2007 में यूपी विधानसभा चुनावों में बहेड़ी विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर मैदान में उतरे थे। उस समय उन्होंने समाजवादी पार्टी के अताउर रहमान को मात दी थी। इसके बाद वह साल 2017 में हुए उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में फिर बहेड़ी विधानसभा सीट से चुनावी दंगल में उतरे। इस बार उन्होंने बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी को शिकस्त दी। वह योगी की पिछली सरकार में राजस्व मंत्री भी थे।
संतोष गंगवार का काटा टिकट
बरेली से आठ बार के सांसद संतोष गंगवार का उनकी उम्र 75 साल पार होने की वजह से टिकट काट दिया गया था। गंगवार ने अपना पहला इलेक्शन साल 1981 में बरेली लोकसभा सीट से ही लड़ा था लेकिन इसमें उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। इतना ही नहीं, उन्हें 1984 के इलेक्शन में भी उनका हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद के चुनावों में उन्होंने तेजी पकड़ी। वह यूपी के बरेली से 1989 से लगातार चुनाव जीतते आ रहे हैं। हालांकि, उनकी जीत का क्रम साल 2009 में टूट गया था। उन्हें कांग्रेस के उम्मीदवार ने हरा दिया था। इसके बाद 2014 और 2019 में उन्होंने दोबारा से बरेली की लोकसभा सीट पर कब्जा जमा लिया था।