धधकते जंगल, सुलगते सवाल; उत्तराखंड प्रशासन सामना करने में लाचार, 242 बार हो चुकी हैं घटनाएं
Uttarakhand News: उत्तराखंड के जंगलों में इस बार गर्मियों में जबरदस्त आग लगी। धधकते जंगल कई सुलगते हुए सवाल छोड़ गए हैं। जिस तरह से आग लगी और हड़बड़ी में वन विभाग और प्रशासन में जो कदम उठाए, वह नाकामी साबित करते हैं।
इस बार पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों मे जबरदस्त गर्मी हो रही है और मानसून से पूर्व होने वाली बारिश भी नहीं हुई है। इससे जंगलों में सूखे पड़े, घास और पत्ते जंगलों के दुश्मन बने हुए हैं जिनमें आग लगते देर नहीं लगती और यह एकदम पूरे जंगल में फैल जाती है।
उत्तराखंड के वन विभाग की हालत यह है कि वह जंगलों में लगी आज को बुझाने के इंतजाम करने की बजाय बारिश पर निर्भर रहता है। इसका नतीजा हुआ कि इस बार सबसे ज्यादा जंगल जले।
इस गर्मी में अब तक आग लगने की सर्वाधिक 242 घटनाएं हो चुकी है और 10 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं जिनमें चार वन कर्मी भी शामिल हैं। इस बार आग लगने से 696.32 हेक्टेयर जंगल बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। चार महीने में अब तक गढ़वाल मंडल में 532 ,कुमाऊं में मंडल 598 और आरक्षित वन क्षेत्र में 112 आग लगने की घटनाएं हो चुकी हैं।
अब तक गढ़वाल मंडल में एक तथा कुमाऊं मंडल में नौ लोगों की जंगल में आग लगने से मौत हो चुकी है। वर्ष 2022 में 2171 आग लगने की घटनाएं हुई थीं और 3416.2 हेक्टेयर प्रभावित हुआ था। वर्ष 2023 में 718 घटनाएं हुई थीं और तब 862.41 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हुआ था।
इस साल उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के अल्मोड़ा में जंगलों में लगी आग की विभीषिका ने पूरे राज्य को हिला कर रख दिया और इससे पूरे उत्तराखंड में मातम सा छा गया।अल्मोड़ा के बिनसर अभयारण्य के जंगलों में लगी भीषण आग की चपेट में आकर चार वन कर्मिकों की मौत हो गई।
लगातार बारिश न होने और गर्मी बढ़ने की वजह से आग लगने की घटनाएं हो रही हैं। पिछले 41 दिनों में अल्मोड़ा जिले में ही जंगल की आग ने तीन घटनाओं में दो दंपतियों और तीन वन कर्मियों समेत नौ लोगों की जान ले ली है।