समलैंगिक विवाह को सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली थी कानूनी मान्यता, अब फिर से रिव्यू पिटीशन पर होगी सुनवाई
Same Sex Marriage: सुप्रीम कोर्ट 10 जुलाई को समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से इनकार करने वाले फैसले की समीक्षा की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करेगा। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच मामले की सुनवाई करेगी। इसमें जस्टिस संजीव खन्ना, हिमा कोहली, बीवी नागरत्ना और पीएस नरसिम्हा शामिल होंगे।
पिछले साल नवंबर महीने में याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट की संविधान बेंच के फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटिशन दाखिल की थी। याचिकाकर्ताओं के वकील मुकुल रोहतगी ने सीजेआई की बेंच के सामने इस मुद्दे को उठाया था। रोहतगी ने इस बात पर जोर दिया कि समीक्षा याचिका को खारिज नहीं किया जाना चाहिए। डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि अभी तक इस मामले पर गौर नहीं किया है।
संविधान पीठ ने नहीं दी थी कानूनी मान्यता
पिछले साल अक्टूबर महीने में दिए गए फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता नहीं दे सकता है। सीजेआई ने इस बात पर जोर दिया कि इस तरह का कानून बनाना संसद के अधिकार में आता है। मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ में जस्टिस संजय किशन कौल, जस्टिस एस.रवींद्र भट, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा शामिल थे। पीठ ने 3-2 के बहुमत के फैसले में कहा था कि इस तरह की इजाजत सिर्फ कानून के जरिये ही दी जा सकती है और कोर्ट विधायी मामलों में दखलअंदाजी नहीं कर सकता है।
समलैंगिक समुदाय के लोगों के साथ भेदभाव ना हो
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि केंद्र और राज्य सरकार इस बात का ध्यान रखे की समलैंगिक समुदाय के खिलाफ किसी भी तरह का भेदभाव न हो। CJI ने केंद्र और राज्य सरकार को निर्देश दिया कि इनके लिए सेफ हाउस, डॉक्टर के ट्रीटमेंट, एक हेल्पलाइन फोन नंबर जिस पर वो अपनी शिकायत कर सकें, सामाजिक भेदभाव न हो, पुलिस उन्हे परेशान न करें, अगर वे घर न जाएं तो उन्हें जबरदस्ती घर ना भेजे। कोर्ट ने इस मामले पर करीब 10 दिनों तक सुनवाई की थी और 11 मई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। बता दें कि दुनिया में देखा जाए तो 33 ऐसे देश हैं, जहां समलैंगिक विवाह को मान्यता दी गई है। इनमें करीब 10 देशों की कोर्ट ने सेम सेक्स मैरिज को मान्यता दी है। इसके अलावा, 22 देश ऐसे हैं, जहां कानून बनाकर मंजूरी मिली है।