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NCP के बाद शिवसेना नाराज, बोली- ज्यादा सांसद फिर भी नहीं दिया कैबिनेट मंत्रालय

अभी के लिए पीएम मोदी के लिए कई चुनौतियां पहाड़ की तरह सामने खड़ी हैं। एक तरफ उन्हें अपना 100 दिनों वाला रोडमैप साकार करना है, दूसरी तरफ कई सहयोगियों की इच्छा को भी पूरा करना है
Written by: न्यूज डेस्क | Edited By: Sudhanshu Maheshwari
नई दिल्ली | Updated: June 10, 2024 17:36 IST
ncp के बाद शिवसेना नाराज  बोली  ज्यादा सांसद फिर भी नहीं दिया कैबिनेट मंत्रालय
शिवसेना बताई जा रही नाराज
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नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ले ली है। उनके साथ 72 मंत्रियों को भी शपथ दिलवाई गई है। लेकिन अभी से ही एनडीए के कई दल नाराज बताए जा रहे हैं, एनसीपी के साथ शिवसेना ने भी अपना दर्द बयां कर दिया है। शिवसेना का साफ कहना है कि उसके सात सांसद जीतकर आए हैं, फिर भी उन्हें एक भी कैबिनेट मंत्रालय नहीं मिला है।

नाराजगी की वजह क्या है?

पार्टी के चीफ व्हीप श्रीरंग बारणे का साफ कहना है कि चिराग पासवान, जेडीएस और मांझी को कैबिनेट मंत्रालय दिए गए हैं, लेकिन सात सांसद देने वाली एनसीपी को एक भी नहीं। स्वतंत्र प्रभार के साथ राज्य मंत्री का ही पद देने का क्या मतलब। जोर देकर कहा गया है कि जब चुनाव में शिवसेना की स्ट्राइक रेट बेहतरीन रही है, तो उस लिहाज से ही मंत्रालय भी मिलना चाहिए। बारणे तो शिवसेना के साथ-साथ एनसीपी को लेकर भी बयान दिया, उनका मानना रहा कि परिवार के खिलाफ जाकर महागठबंधन में शामिल होने वाले अचित पवार को भी मंत्रालय दिया जाना चाहिए था।

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गठबंधन की चुनौती सामने खड़ी

अभी के लिए पीएम मोदी के लिए कई चुनौतियां पहाड़ की तरह सामने खड़ी हैं। एक तरफ उन्हें अपना 100 दिनों वाला रोडमैप साकार करना है, दूसरी तरफ कई सहयोगियों की इच्छा को भी पूरा करना है। सभी को कैसे संतुष्ट रखा जाए, उचित स्थान दिया जाए, यह विवाद का विषय बना हुआ है। वैसे इस बार पीएम मोदी ने अपने मंत्रिमंडल में जातीय समीकरण का पूरा ध्यान रखा है।

मंत्रिमंडल का जातीय समीकरण

मोदी 3.0 के मंत्रिमंडल में कुल 30 कैबिनेट मंत्री है, पांच स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री हैं और 36 राज्य मंत्री रखे गए हैं। ध्यान रखा गया है कि इन सभी मंत्रियों के जरिए 24 राज्यों के साथ-साथ सभी क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व भी कवर कर लिया जाए। अगर आंकड़ों में बात करें तो पीएम मोदी के नए मंत्रिमंडल में 21 सवर्ण, 27 ओबीसी, 10 SC, 5 ST, 5 अल्पसंख्यक समाज से मंत्री रखे गए हैं।

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इस बार क्योंकि बीजेपी को अपने दम पर बहुमत नहीं मिला है, इसी वजह से मंत्रिमंडल में 11 एनडीए के सहयोगी दलों को भी स्थान दिया गया है। इसके अलावा मंत्रिमंडल में छह पूर्व मुख्यमंत्री, 23 राज्यों के मंत्रियों को भी शामिल किया गया है।

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कितने सवर्ण, कितने ओबीसी?

सवर्ण मंत्रियों में बात करें तो अमित शाह, एस जयशंकर, मनसुख मंडाविया, राजनाथ सिंह, जितिन प्रसाद, जयंत चौधरी, धर्मेंद्र प्रधान, रवनीत बिट्टू, नितिन गडकरी, पीयूष गोयल, मनोहर लाल खट्टर, जितेंद्र सिंह, संजय सेठ, गजेंद्र सिंह शेखावत, राम मोहन नायडू, जेपी नड्डा, गिरिराज सिंह, सुकांत मजूमदार, ललन सिंह, सतीश चंद्र दुबे को शामित किया गया है।

ओबीसी मंत्रियों में बात करें तो पंकज चौधरी, अनुप्रिया पटेल, रक्षा खडसे, शिवराज सिंह चौहान, ज्योतिरादित्य सिंधिया, रविंदरजीत सिंह, कृष्ण पाल गुर्जर, भूपेंद्र यादव, अन्नपूर्णा देवी, एचडी कुमार स्वामी और नित्यानंद राय को जगह दी गई है।

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