होमताजा खबरराष्ट्रीयमनोरंजन
राज्य | उत्तर प्रदेशउत्तराखंडझारखंडछत्तीसगढ़मध्य प्रदेशमहाराष्ट्रपंजाबनई दिल्लीराजस्थानबिहारहिमाचल प्रदेशहरियाणामणिपुरपश्चिम बंगालत्रिपुरातेलंगानाजम्मू-कश्मीरगुजरातकर्नाटकओडिशाआंध्र प्रदेशतमिलनाडु
वेब स्टोरीवीडियोआस्थालाइफस्टाइल.हेल्थटेक्नोलॉजीएजुकेशनपॉडकास्टई-पेपर

तो क्या और सीटें जीत जाता शरद गुट! चुनाव चिन्ह को लेकर नया संग्राम छिड़ा

शरद गुट का दावा है कि चुनाव आयोग ने कई निर्दलियों को भी तुतारी चुनाव चिन्ह ही दे दिया था। थोड़ा-बहुत अंतर जरूर था, लेकिन क्योंकि तुतारी मौजूद रहा, इस वजह से विवाद पैदा हुआ।
Written by: Ajay Jadhav | Edited By: Sudhanshu Maheshwari
नई दिल्ली | June 26, 2024 17:31 IST
शरद पवार। (इमेज- फाइल फोटो)
Advertisement

लोकसभा चुनाव में इस बार महाराष्ट्र ने विपक्ष को सियासी संजीवनी देने का काम किया है। ऐसी संजीवनी जिस वजह से बीजेपी को अपने दम पर बहुमत नहीं मिला। लेकिन बेहतरीन प्रदर्शन के बावजूद भी शरद गुट चिंतित है, वो परेशान चल रहा है। असल में उसकी परेशानी का कारण वो तुतारी चुनाव चिन्ह है जिसने वोटर्स के मन में ही कन्फ्यूजन पैदा कर दिया।

शरद गुट का दावा है कि चुनाव आयोग ने कई निर्दलियों को भी तुतारी चुनाव चिन्ह ही दे दिया था। थोड़ा-बहुत अंतर जरूर था, लेकिन क्योंकि तुतारी मौजूद रहा, इस वजह से विवाद पैदा हुआ। अब अब चुनाव संपन्न हो चुका है, नतीजे आ गए हैं और समीक्षा की जा रही है तो शरद गुट को यह फैक्टर परेशान करने वाला लग रहा है। उसका कहना है कि कुछ ऐसी सीटें हैं जहां पर निर्दलीय को ज्यादा वोट सिर्फ इसलिए मिला क्योंकि उनका चुनाव चिन्ह भी तुतारी रखा गया था।

Advertisement

आखिर कौन सा कन्फ्यूजन कर रहा परेशान?

शरद गुट के जनरल सेकरेट्री जयदेव गायकवाड ने कहा कि निर्दलीयों को जो वोट मिले हैं, उससे साफ पता चलता है कि वोटरों में कन्फ्यूजन था। हमने एक सीट भी इसी वजह से गंवा दी। दूसरी सीटों पर भी इसका असर देखे को मिला, यह तो अच्छा हुआ कि हमारे प्रत्याशी ज्यादा समर्थन मिला और दूसरी सीटें जीत ली गईं। लेकिन अभी के लिए इस प्रकार के कन्फ्यूजन से शरद गुट नाराज है, वो चाहता है कि चुनाव आयोग अकेले उन्हें ही तुतारी सिंबल दे, किसी दूसरे को इसके आस-पास वाला सिंबल भी ना दिया जाए।

Advertisement

वैसे कुछ सीटों जिन पर कन्फ्यूजन का असर दिखा है, उसका जिक्र भी कर देते हैं-

सतारा सीट- सतारा संजय गडे बतौर निर्दलीय खड़े हुए थे। पहली बार ही चुनाव लड़ रहे थे और उन्हें तुतारी सिंबल दिया गया था। उन्हें 37,062 वोट मिले, वही एनसीपी (एसपी) के प्रत्याशी शशिकांत शिंदे को सिर्फ 31,771 वोट हासिल हुए और हार का सामना करना पड़ा।

डिडोंरी सीट- डिडोंरी सीट पर जीत तो शरद गुट के प्रत्याशी की हुई, लेकिन क्योंकि निर्दलीय बाबू भागरे ने भी तुतारी सिंबल पर ही चुनाव लड़ा, उनके खाते में भी एक लाख से ज्यादा वोट चले गए।

बीड़ सीट- इस सीट पर शरद गुट के नेता बजरंग सोनवाने को काफी मुश्किल से जीत मिली थी, उनका मार्जिन भी कम रहा, उनको बीजेपी की पंकजा मुंडे ने कड़ी टक्कर देने का काम किया। वे सिर्फ 6,553 वोटों से ही जीत पाए, लेकिन इसमें एक बड़ा फैक्टर बहुजन महा पार्टी के अशो थोराट रहे जिन्हें 54,850 वोट मिले थे। बड़ी बात यह रही कि उन्हें भी तुतारी चुनाव चिन्ह ही दिया गया था।

बारामती सीट- इस हाई प्रोफाइल सीट पर सुप्रिया सुले ने जीत दर्ज की थी, लेकिन पैटर्न वही रहा- निर्दलीय को 14000 वोट चले गए।

शरद गुट की क्या मांग है?

अब इन्हीं चुनावी नतीजों को देखने के बाद शरद गुट चाहता है कि चुनाव आयोग सिर्फ उन्हें तुतारी चिन्ह दे, अगर वो इस मागं को स्वीकार नहीं करता है तो पार्टी सुप्रीम कोर्ट तक जाने की तैयारी कर रहा है। जानकारी के लिए बता दें कि कुछ समय पहले ही चुनाव आयोग ने असल एनसीपी अजित गुट को माना था, एनसीपी का चुनाव चिन्ह भी वही चला गया था। उसके बाद ही शरद गुट को तुतारी सिंबल दिया गया और यह सारा विवाद खड़ा हो गया।

Advertisement
Tags :
Sharad Pawar
विजुअल स्टोरीज
Advertisement
Jansatta.com पर पढ़े ताज़ा एजुकेशन समाचार (Education News), लेटेस्ट हिंदी समाचार (Hindi News), बॉलीवुड, खेल, क्रिकेट, राजनीति, धर्म और शिक्षा से जुड़ी हर ख़बर। समय पर अपडेट और हिंदी ब्रेकिंग न्यूज़ के लिए जनसत्ता की हिंदी समाचार ऐप डाउनलोड करके अपने समाचार अनुभव को बेहतर बनाएं ।
Advertisement