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तो क्या और सीटें जीत जाता शरद गुट! चुनाव चिन्ह को लेकर नया संग्राम छिड़ा

शरद गुट का दावा है कि चुनाव आयोग ने कई निर्दलियों को भी तुतारी चुनाव चिन्ह ही दे दिया था। थोड़ा-बहुत अंतर जरूर था, लेकिन क्योंकि तुतारी मौजूद रहा, इस वजह से विवाद पैदा हुआ।
Written by: Ajay Jadhav | Edited By: Sudhanshu Maheshwari
नई दिल्ली | June 26, 2024 17:31 IST
तो क्या और सीटें जीत जाता शरद गुट  चुनाव चिन्ह को लेकर नया संग्राम छिड़ा
शरद पवार। (इमेज- फाइल फोटो)
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लोकसभा चुनाव में इस बार महाराष्ट्र ने विपक्ष को सियासी संजीवनी देने का काम किया है। ऐसी संजीवनी जिस वजह से बीजेपी को अपने दम पर बहुमत नहीं मिला। लेकिन बेहतरीन प्रदर्शन के बावजूद भी शरद गुट चिंतित है, वो परेशान चल रहा है। असल में उसकी परेशानी का कारण वो तुतारी चुनाव चिन्ह है जिसने वोटर्स के मन में ही कन्फ्यूजन पैदा कर दिया।

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शरद गुट का दावा है कि चुनाव आयोग ने कई निर्दलियों को भी तुतारी चुनाव चिन्ह ही दे दिया था। थोड़ा-बहुत अंतर जरूर था, लेकिन क्योंकि तुतारी मौजूद रहा, इस वजह से विवाद पैदा हुआ। अब अब चुनाव संपन्न हो चुका है, नतीजे आ गए हैं और समीक्षा की जा रही है तो शरद गुट को यह फैक्टर परेशान करने वाला लग रहा है। उसका कहना है कि कुछ ऐसी सीटें हैं जहां पर निर्दलीय को ज्यादा वोट सिर्फ इसलिए मिला क्योंकि उनका चुनाव चिन्ह भी तुतारी रखा गया था।

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आखिर कौन सा कन्फ्यूजन कर रहा परेशान?

शरद गुट के जनरल सेकरेट्री जयदेव गायकवाड ने कहा कि निर्दलीयों को जो वोट मिले हैं, उससे साफ पता चलता है कि वोटरों में कन्फ्यूजन था। हमने एक सीट भी इसी वजह से गंवा दी। दूसरी सीटों पर भी इसका असर देखे को मिला, यह तो अच्छा हुआ कि हमारे प्रत्याशी ज्यादा समर्थन मिला और दूसरी सीटें जीत ली गईं। लेकिन अभी के लिए इस प्रकार के कन्फ्यूजन से शरद गुट नाराज है, वो चाहता है कि चुनाव आयोग अकेले उन्हें ही तुतारी सिंबल दे, किसी दूसरे को इसके आस-पास वाला सिंबल भी ना दिया जाए।

वैसे कुछ सीटों जिन पर कन्फ्यूजन का असर दिखा है, उसका जिक्र भी कर देते हैं-

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सतारा सीट- सतारा संजय गडे बतौर निर्दलीय खड़े हुए थे। पहली बार ही चुनाव लड़ रहे थे और उन्हें तुतारी सिंबल दिया गया था। उन्हें 37,062 वोट मिले, वही एनसीपी (एसपी) के प्रत्याशी शशिकांत शिंदे को सिर्फ 31,771 वोट हासिल हुए और हार का सामना करना पड़ा।

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डिडोंरी सीट- डिडोंरी सीट पर जीत तो शरद गुट के प्रत्याशी की हुई, लेकिन क्योंकि निर्दलीय बाबू भागरे ने भी तुतारी सिंबल पर ही चुनाव लड़ा, उनके खाते में भी एक लाख से ज्यादा वोट चले गए।

बीड़ सीट- इस सीट पर शरद गुट के नेता बजरंग सोनवाने को काफी मुश्किल से जीत मिली थी, उनका मार्जिन भी कम रहा, उनको बीजेपी की पंकजा मुंडे ने कड़ी टक्कर देने का काम किया। वे सिर्फ 6,553 वोटों से ही जीत पाए, लेकिन इसमें एक बड़ा फैक्टर बहुजन महा पार्टी के अशो थोराट रहे जिन्हें 54,850 वोट मिले थे। बड़ी बात यह रही कि उन्हें भी तुतारी चुनाव चिन्ह ही दिया गया था।

बारामती सीट- इस हाई प्रोफाइल सीट पर सुप्रिया सुले ने जीत दर्ज की थी, लेकिन पैटर्न वही रहा- निर्दलीय को 14000 वोट चले गए।

शरद गुट की क्या मांग है?

अब इन्हीं चुनावी नतीजों को देखने के बाद शरद गुट चाहता है कि चुनाव आयोग सिर्फ उन्हें तुतारी चिन्ह दे, अगर वो इस मागं को स्वीकार नहीं करता है तो पार्टी सुप्रीम कोर्ट तक जाने की तैयारी कर रहा है। जानकारी के लिए बता दें कि कुछ समय पहले ही चुनाव आयोग ने असल एनसीपी अजित गुट को माना था, एनसीपी का चुनाव चिन्ह भी वही चला गया था। उसके बाद ही शरद गुट को तुतारी सिंबल दिया गया और यह सारा विवाद खड़ा हो गया।

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