रियासी हमला: जंगल से पहाड़ तक सेना का ऑपरेशन, 50 लोग डिटेन, हर साजिश से उठेगा पर्दा
जम्मू-कश्मीर के रियासी में हुए आतंकी हमले के बाद से सेना एक्शन मोड में आ चुकी है। गुरुवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए 50 संदिग्ध लोगों को हिरासत में लिया गया है। उनसे लगातार पूछताछ की जा रही है, समझने की कोशिश हो रही है कि आखिर आतंकियों की मदद किसने की है। ऐसा माना जा रहा है कि बिना लोकल मदद के आतंकी इतनी बड़ी साजिश को अंजाम नहीं दे सकते थे।
सेना की जांच कहां तक पहुंची?
इसी कड़ी में सेना और पुलिस ने अरनास और माहोर जैसे इलाकों में भी सर्च ऑपरेशन चलाया है, यह वो इलाके हैं जहां पर 1995 से 2005 के बीच तक काफी आतंकी गतिविधियां रहती थीं। लेकिन अब जब रियासी में इतना बड़ा हमला हुआ है, ऐसे में सेना अपनी जांच को सिर्फ कुछ इलाकों तक सीमित नहीं रखना चाहती है, इसी वजह से उसकी तरफ से दूर-दराज के इलाकों में भी जांच को चलाया जा रहा है।
सेना ने क्या बताया है?
एक जारी बयान में पुलिस ने कहा है कि इस आतंकी हमले को लेकर कई लीड मिल गई हैं, हर उस शख्स की पहचान की जा रही है जो शामिल हो सकता है। एक विस्तृत जांच के लिए सर्च ऑपरेशन को अरनास और माहोर जैसे इलाकों तक ले जाया गया है। अब समझने वाली बात यह है कि इस बार आतंकियों के निशाने पर कश्मीर नहीं बल्कि जम्मू के वो इलाके हैं जिन्हें पहले सुरक्षा के लिहाज से महफूज माना जाता था। लेकिन अब उन्हीं इलाकों में हमले हो रहे हैं, लोगों की जान जा रही है।
50 लोग डिटेन, असल दोषी कितने?
बड़ी बात यह है कि इससे पहले भी जब कभी बड़ा आतंकी हमला हुआ है, बड़ी संख्या में लोगों को डिटेन किया जाता है, लेकिन असल चुनौती उन साजिशकर्ताओं को पकड़ने की होती है जिन्होंने असल में हमले को अंजाम दिया। इस बार भी 50 लोगों को डिटेन जरूर किया गया है, लेकिन सवाल वही है- उनमें से दोषी कितने हैं? कितने लोगों ने असल में आतंकियों की मदद की है?
रियासी में क्या हुआ था?
जानकारी के लिए बता दें कि कुछ दिन पहले जम्मू के रियासी में एक बस को आतंकियों ने अपना निशाना बनाया था। उस बस पर ताबड़तोड फायरिंग की गई जिस वजह से बस खाई में जा गिरी और 9 यात्रियों की मौत हुई। उस हमले के बाद से ही कश्मीर में लगातार सेना और आतंकियों के बीच में मुठभेड़ देखने को मिली। पीएम मोदी ने भी तनाव वाली स्थिति को लेकर एक अहम मीटिंग कर ली है, गृह मंत्री अमित शाह से भी बात हुई है।