scorecardresearch
For the best experience, open
https://m.jansatta.com
on your mobile browser.

राजपाट: हार और तकरार में उलझे नेताजी, कहीं पार्टी संकट में तो कहीं कार्यकर्ताओं में असंतोष

राजग के अंदर महायुति में खटपट चुनाव नतीजों ने बढ़ाई है। भाजपा आलाकमान पर पार्टी और आरएसएस के भीतर से दबाव है कि अजित पवार अब बोझ बन गए हैं। भाजपा को उनसे जल्द से जल्द पीछा छुड़ा लेना चाहिए।
Written by: जनसत्ता
नई दिल्ली | Updated: June 15, 2024 09:59 IST
राजपाट  हार और तकरार में उलझे नेताजी  कहीं पार्टी संकट में तो कहीं कार्यकर्ताओं में असंतोष
संजीव बालियान और संगीत सोम। (इमेज-फाइल फोटो)
Advertisement

संजीव बालियान अपनी हार को पचा नहीं पा रहे। मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट से 2014 और 2019 में विजयी हुए थे। इस बार सपा के हरेंद्र मलिक से हार गए। अब हार का ठीकरा किसी के सिर तो फोड़ेंगे ही। भाजपा के ही पूर्व विधायक संगीत सोम से दो साल पुरानी अदावत है। संगीत सोम की विधानसभा सीट सरधना मुजफ्फरनगर लोकसभा सीट के अंतर्गत आती है। संगीत सोम 2012 और 2017 में विधानसभा चुनाव जीते थे लेकिन 2022 में सपा के अतुल प्रधान से हार गए थे। तब उन्होंने अपनी हार के लिए संजीव बालियान को जिम्मेदार बताया था। बालियान को लगता है कि संगीत सोम ने उनसे बदला लिया है। सोम ने बालियान का कहीं भी खुुलकर विरोध किया भी नहीं।

Advertisement

बालियान ने हार के बाद प्रेस कांफ्रेंस कर नाम लिए बिना उन्हें जयचंद और शिखंडी कहा तो उन्होंने भी अगले ही दिन प्रेस कांफ्रेंस कर डाली। उसी प्रेस कांफ्रेंस में सोम के लेटर हेड पर की गई एक शिकायत की प्रति पत्रकारों को किसी ने बांट दी। जिसमें बालियान पर भ्रष्टाचार और पद के दुरुपयोग के गंभीर आरोप लगे थे। संगीत सोम ने इससे पल्ला झाड़ लिया है पर बालियान के एक दोस्त ने संगीत सोम को दस करोड़ रुपए का मानहानि नोटिस भेज दिया है। हमलावर तो भाजपा पर इस ‘लेटर’ को लेकर कांग्रेस हो गई है। उसके प्रवक्ता पूछ रहे हैं कि बालियान पर लगे आरोपों की जांच ईडी और सीबीआइ कब करेंगे।

Advertisement

सुक्खू का संकट पार

लोकसभा चुनाव में भले सूपड़ा साफ हो गया हो पर अपनी सरकार तो बचाने में कामयाब हो ही गए हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू। घाटे में तो कांगे्रस के वे चार विधायक रहे जिन्होंने राज्यसभा चुनाव में बगावत कर पहले तो पार्टी के उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी को हरवाया और फिर सरकार गिराने की कोशिश की। कांगे्रस ने चतुराई से काम लिया। विधानसभा अध्यक्ष ने पार्टी विरोधी गतिविधि के आरोप में बागियों की सदस्यता ही खत्म कर दी। सदन की वास्तविक संख्या 62 रह गई। बागियों के अलग हो जाने के बाद भी कांगे्रस के पास 34 विधायक बच गए। यह आंकड़ा 62 के हिसाब से बहुमत के लिए काफी रहा। तीन निर्दलियों ने भी इस्तीफे दिए थे पर उन्हें छह सीटों के उपचुनाव से पहले अध्यक्ष ने स्वीकार ही नहीं किया। उपचुनाव में छह में से चार सीटें फिर कांग्रेस जीत गई है तो अब संकट पार है।

संगठन ही सर्वोपरि

भारतीय जनता पार्टी संगठन के महत्त्व को समझती है। संगठन से जुड़े लोग कहते हैं कि भाजपा या तो जीतती है या सीखती है। इसलिए भाजपा नेताओं के लिए मंत्री बनने के बाद भी संगठन पहली प्राथमिकता रहता है। दिल्ली में संगठन के साथ लगातार काम करने का सम्मान इस बार पूर्वी दिल्ली के सांसद हर्ष मल्होत्रा को मिला। उन्हें केंद्र में मंत्री पद से नवाजा गया। हर्ष मल्होत्रा राजनीतिक सफर की शुरुआत से ही संगठन की गतिविधियों से जुड़े रहे हैं। मंत्री का पद मिलने के बाद भी प्रदेश संगठन के कामकाज में मुस्तैदी दिखा रहे हैं। मंत्री बनने के बाद दिल्ली प्रदेश कार्यालय पहुंचकर उन्होंने संगठन के कामकाज पर जोर दिया और लगातार तीन दिन से संगठन की बैठकों से जुड़े दिखे।

सार्वजनिक संदेश

भाजपा को तमिलनाडु में कोई चुनावी सफलता तो नहीं मिल पाई पर लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी की गुटबाजी जरूर सतह पर आ गई। जिसको 12 जून की एक घटना के सोशल मीडिया पर प्रसारित वीडियो ने और हवा दे दी। वीडियो आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ के लिए विजयवाड़ा में हुए समारोह का है। भाजपा की नेता तमिलसाई सुंदरराजन ने मंच पर बैठे अमित शाह और दूसरे नेताओं का अभिवादन किया। तमिलसाई तेलंगाना की राज्यपाल रह चुकी हैं। राज्यपाल पद से इस्तीफा देकर पिछला लोकसभा चुनाव उन्होंने भाजपा उम्मीदवार की हैसियत से चेन्नई दक्षिण सीट से लड़ा था। अभिवादन के बाद वे लौट रही थी तभी अमित शाह ने इशारे से उन्हें अपने करीब बुलाया। फिर अंगुली उठाते हुए उनसे कुछ कहा। जो तीसरे किसी ने तो शायद नहीं सुना पर संकेतों से अंदाज हर कोई लगा सकता है। पार्टी के ही सोशल मीडिया सेल से जुड़े गोपीनाथ कार्तिक ने इस वीडियो को ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए अपनी तरफ से टिप्पणी कर दी कि पार्टी के मसलों पर सार्वजनिक बयान देने के लिए डांट पड़ी। इसे लेकर विवाद बढ़ा तो उन्होंने वीडियो वाली अपनी पोस्ट हटा ली। तमिलनाडु में भाजपा के दो गुट हैं। एक के अन्नामलाई का और दूसरा तमिलसाई सुंदरराजन का। तमिलसाई ने अन्ना द्रमुक से तालमेल नहीं करने को पार्टी की भूल बताते हुए तमिलनाडु में चुनावी सफलता नहीं मिलने का ठीकरा परोक्ष रूप से अन्नामलाई के सिर फोड़ा।

Advertisement

बोझ बने पवार!

राजग के अंदर महायुति में खटपट चुनाव नतीजों ने बढ़ाई है। भाजपा आलाकमान पर पार्टी और आरएसएस के भीतर से दबाव है कि अजित पवार अब बोझ बन गए हैं। भाजपा को उनसे जल्द से जल्द पीछा छुड़ा लेना चाहिए। एनसीपी तोड़कर भाजपा के साथ आए थे अजित पवार। देवेंद्र फडणवीस से निभती रही है। तभी तो उन्हें उपमुख्यमंत्री भी बनाया था। लोकसभा की उन्हें मिली चार सीटों में से वे सिर्फ एक ही जीत पाए। बारामती के अपने घर में उनकी पत्नी सुनेत्रा पवार अपनी ननद और शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले से बुरी तरह हार गई। उधर प्रफुल्ल पटेल ने अलग भाजपा की किरकिरी करा दी। स्वतंत्र प्रभार वाले राज्यमंत्री की प्रधानमंत्री की पेशकश यह कहकर ठुकरा दी कि वे तो यूपीए सरकार में ही कैबिनेट मंत्री थे। पटेल ने अपनी राज्यसभा सीट से त्यागपत्र दे दिया है। उपचुनाव में उस सीट पर अजित पवार ने अपनी पत्नी सुनेत्रा को उम्मीदवार बनाया है। पवार का कहना है कि भाजपा आलाकमान ने उन्हें केंद्र में जल्द ही कैबिनेट मंत्री का पद देने का भरोसा दिया है। लेकिन असल में परदे के पीछे तो भाजपा के भीतर कवायद पवार के कारण हुई बदनामी और चुनाव में लगे झटके को लेकर चल रही है।

Advertisement

(प्रस्तुति- मृणाल वल्लरी)

Advertisement
Tags :
Advertisement
Jansatta.com पर पढ़े ताज़ा एजुकेशन समाचार (Education News), लेटेस्ट हिंदी समाचार (Hindi News), बॉलीवुड, खेल, क्रिकेट, राजनीति, धर्म और शिक्षा से जुड़ी हर ख़बर। समय पर अपडेट और हिंदी ब्रेकिंग न्यूज़ के लिए जनसत्ता की हिंदी समाचार ऐप डाउनलोड करके अपने समाचार अनुभव को बेहतर बनाएं ।
×
tlbr_img1 Shorts tlbr_img2 खेल tlbr_img3 LIVE TV tlbr_img4 फ़ोटो tlbr_img5 वीडियो