पुणे पोर्शे कार हादसा: मंत्री और विधायक की सिफारिश पर हुई थी आरोपी डॉक्टर की नियुक्ति, MLA ने पुलिस पर भी बनाया था दबाव
पुणे पोर्शे कार हादसे में हर दिन एक नया खुलासा हो रहा है। नाबालिग आरोपी का ब्लड सैंपल बदलने के मामले में दो डॉक्टरों की गिरफ्तारी के बाद अब उनके साथ पूछताछ में कई नई जानकारियां पुणे पुलिस के हाथ लग रही है।
इस मामले में एक नया मोड़ ससुन अस्पताल के डीन विनायक काले के बयान के बाद आ गया है। जिसमें वह कह रहे हैं कि डॉ तावरे को पिछले कुछ मामलों में आरोपी पाए जाने के बावजूद एक मंत्री और विधायक की सिफ़ारिश पर फोरेंसिक मेडिसिन विभाग का प्रमुख बनाया गया था। हालांकि दावा या भी किया गया है कि चूंकि डॉ तावरे अस्पताल में बाकी डॉक्टरों के बीच सबसे ज़्यादा सीनियर हैं इसलिए उनकी नियुक्ति हुई थी।
विधायक सुनील टिंगरे पर यह भी आरोप लगाया गया है कि वे दुर्घटना के बाद येरवडा पुलिस थाने गए थे और उन्होंने अधिकारियों पर मामले में नरम रुख अपनाने का दबाव बनाया था।
एक दिन पहले इस मामले में जानकारी आई थी कि डॉ अजय तावरे ने ब्लड सैंपल लेने से दो घंटे पहले नाबालिग के पिता के साथ 14 बार फोन बार फोन पर बात की थी।
क्या जानकारी सामने आई है?
बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए अस्पताल के डीन विनायक काले ने कहा कि महाराष्ट्र के चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ और विधायक सुनील टिंगरे ने एक पत्र लिखकर डॉ. अजय तावरे को ससून अस्पताल के फोरेंसिक मेडिसिन विभाग का प्रमुख बनाने के लिए कहा था । मंत्री और विधायक दोनों ही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अजीत पवार गुट से हैं, जो महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट के साथ गठबंधन में सत्ता में है।
पुणे पुलिस ने इस मामले में लगातार नए खुलासे किए हैं। दोनों डॉक्टर को गिरफ्तार करने के बाद अब डॉ. तावरे के साथ-साथ कैजुअल्टी मेडिकल ऑफिसर डॉ. श्रीहरि हलनोर और अस्पताल के मुर्दाघर में काम करने वाले अतुल घाटकांबले से जुड़े ठिकानों की तलाशी भी ली गई। पुलिस ने डॉ. हलनोर से 2.5 लाख रुपये और घाटकांबले से 50,000 रुपये बरामद किए हैं।