पासपोर्ट कानून क्या है? प्रशांत भूषण ने इसे सुप्रीम कोर्ट में क्यों किया चैलेंज
देश के जाने माने वकील प्रशांत भूषण आए दिन किसी न किसी मामले को लेकर चर्चा में बने रहते हैं। दिल्ली हाईकोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद प्रशांत भूषण सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। शीर्ष अदालत में प्रशांत भूषण ने पासपोर्ट कानून के एक प्रावधान की संवैधानिक वैधता को लेकर याचिका दायर की है। याचिका को लेकर गुरुवार को हुई सुनवाई को गर्मियों की छुट्टियों के बाद तक के लिए स्थगित कर दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस उज्ज्वल भ्यान की पीठ ने मामले को याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता जयंत भूषण के उपलब्ध नहीं होने पर स्थगित कर दिया। 20 मई से अदालत में गर्मियों की छुट्टियां शुरू हो रही है। अब इस मामले में सुनवाई 8 जुलाई को फिर से सुनवाई शुरू होगी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने प्रशांत भूषण की याचिका पर केंद्र और गाजियाबाद क्षेत्रीय पासपोर्ट ऑफिस को नोटिस जारी किया था।
अपराध को नहीं किया गया है परिभाषित
पासपोर्ट के कानून की बात करें तो धारा 6(2)(F) में शामिल एक प्रतिबंध को 1993 में जारी हुए एक अधिसूचना के माध्यम से हटा दिया गया। जिसको लेकर कहा गया कि यदि आवेदनकर्ता पासपोर्ट से जुड़े संबंधित कोर्ट से एनओसी प्रस्तुत करता है तो ऐसी स्थिति में पासपोर्ट जारी किया जा सकता है। वहीं एनओसी में समय कोई जानकारी नहीं दिया हो तो पासपोर्ट एक वर्ष के लिए जारी किया जाएगा। जबकि इस मामले को लेकर प्रशांत भूषण के वकील ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि इस प्रावधान के तहत गंभीर अपराध और कम गंभीर अपराध के बीच सही अंतर नहीं दिखाता है। इसके साथ ही नए पासपोर्ट वालों पर समान रूप से प्रतिबंध लगाता है। जो समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है।
इस वजह सें कोर्ट पहुंचा मामला
प्रशांत भूषण किसी धरना में शामिल होने के लिए गाजियाबाद गए थे। जहां उनपर केस दर्ज हो गया। जिसके बाद भूषण को पासपोर्ट के रीजनल ऑफिस से एक वर्ष के लिए पासपोर्ट जारी किया जा रहा था। ऐसी स्थिति में प्रशांत भूषण ने दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। क्योंकि उनके ऊपर कोई गंभीर आरोप नहीं थे। लेकिन उनको एक गंभीर अपराध में संलिप्त अपराधी की तरह एक साल के लिए जारी किया गया।
2016 में दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज की थी याचिका
इससे पहले प्रशांत भूषण द्वारा दायर याचिका को लेकर साल 2016 में दिल्ली हाईकोर्ट ने पासपोर्ट अधिनियम के प्रावधान के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया था। याचिका में पासपोर्ट अधिनियम 1967 की धारा 6(2)(F) की कांस्टीट्यूशनल वैलिडिटी को चुनौती दी थी।
पासपोर्ट कानून का बारिकी