Modi 3.0 में मंत्रालयों में हो सकती है कटौती, बढ़ सकता है पेंशन का दायरा; जानिए किन चीजों पर अधिकारी कर रहे फोकस
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार अपनी रैलियों में दावा कर रहे हैं कि उनकी सरकार तीसरी बार वापस आ रही है। इसको लेकर अधिकारी भी सतर्क हैं। टॉप सरकारी अधिकारी नए शासन के लिए एक कार्य योजना तैयार कर रहे हैं, जिसमें अन्य बातों के अलावा 'Optimisation of Ministries' पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
इस महीने कैबिनेट सचिव द्वारा बुलाई गई बैठकों के दौरान चर्चा किए जाने वाले एक ड्राफ्ट में 2030 तक पेंशन लाभ के साथ वरिष्ठ नागरिकों की हिस्सेदारी को 22% से दोगुना कर 50% करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी को 37% से बढ़ाकर 50% किया जाएगा। इसके अलावा ई-वाहनों पर जोर होगा। वाहन बिक्री में EV की हिस्सेदारी 7% से बढ़ाकर 30% से अधिक करने का लक्ष्य है।
सूत्रों ने कहा कि 2030 तक अदालतों में लंबित मामलों की संख्या को वर्तमान में 5 करोड़ से घटाकर 1 करोड़ से कम करने और निचली न्यायिक प्रणाली में मामलों के टर्नअराउंड को 2,184 दिन से घटाकर 1,000 दिन करने के लक्ष्य पर चर्चा चल रही है। उच्च न्यायालयों के मामले में 2030 तक टर्नअराउंड समय को वर्तमान 1,128 दिनों से घटाकर 500 दिनों से कम करने का लक्ष्य है। इसके लिए अदालतों में अधिक न्यायाधीशों की आवश्यकता होगी। अगले छह वर्षों में न्यायपालिका में रिक्तियों को 22% से घटाकर 10% करने की भी योजना है।
लक्ष्यों से पता चलता है कि ये नीति निर्माताओं के लिए फोकस क्षेत्र होंगे और मतदान समाप्त होने से पहले मंत्रालय विशिष्ट विवरण भरेंगे। फोकस 2030 के लिए मध्यम अवधि के लक्ष्य और 2047 के लिए दीर्घकालिक लक्ष्य तय करने पर है। वर्तमान में रक्षा खर्च को GDP के 2.4% से बढ़ाकर 3% करने और अनुसंधान एवं विकास के लिए रक्षा बजट की हिस्सेदारी 2% से 3% तक बढ़ाने पर भी चर्चा हो रही है। विज़न दस्तावेज़ में इस अवधि के दौरान दुनिया भर में हथियारों के आयात में भारत की हिस्सेदारी आधी करने की बात कही गई है। इससे पता चलता है कि सरकार रक्षा उपकरणों के स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने के अपने प्रयासों को दोगुना करने का इरादा रखती है।
आर्थिक मोर्चे पर सरकार का लक्ष्य ऑटोमोबाइल, कपड़ा, फार्मा, पर्यटन और सेवाओं जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने और विनिर्माण और निर्यात में हिस्सेदारी बढ़ाने पर केंद्रित हैं। 2030 तक सकल घरेलू उत्पाद में औद्योगिक क्षेत्र के योगदान को 28% से बढ़ाकर 32.5% करने का लक्ष्य है। हालांकि इनमें से कई मुद्दों पर पहले भी चर्चा की गई है।