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शपथ लेते समय संसद में अब नहीं लगेंगे जय फिलिस्तीन जैसे नारे, स्पीकर ओम बिरला ने किया बड़ा बदलाव

लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने एक ऐसा बदलाव कर दिया है कि अब संसद में कोई भी शपथ लेते समय किसी भी तरह के नारे का इस्तेमाल नहीं कर पाएगा। वो सिर्फ उतना ही बोलेगा जितना शपथ के लिए जरूरी रहेगा।
Written by: न्यूज डेस्क | Edited By: Sudhanshu Maheshwari
नई दिल्ली | Updated: July 03, 2024 23:42 IST
शपथ लेते समय संसद में अब नहीं लगेंगे जय फिलिस्तीन जैसे नारे  स्पीकर ओम बिरला ने किया बड़ा बदलाव
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला। (इमेज-पीटीआई)
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लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने एक ऐसा बदलाव कर दिया है कि अब संसद में कोई भी शपथ लेते समय किसी भी तरह के नारे का इस्तेमाल नहीं कर पाएगा। वो सिर्फ उतना ही बोलेगा जितना शपथ के लिए जरूरी रहेगा। अब स्पीकर ओम बिरला को यह बदलाव इसलिए करना पड़ा क्योंकि शपथ लेते वक्त इस बार कई सासंदों ने तरह-तरह की नारेबाजी की थी।

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आखिर क्यों नियम बदला?

AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने शपथ लेते वक्त जय फिलिस्तीन का नारा लगा दिया था, इसी तरह कुछ सांसदों ने जय संविधान का नारा दिया था, किसी ने जय भीम का नारा देने का काम भी किया। अब नियम के अनुसार शपथ लेते वक्त किसी को भी इस तरह के नारे लगाने की अनुमति नहीं रहने वाली है। असल में ओम बिरला ने 'निर्देश1' में संशोधन कर दिया है।

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ओवैसी सबसे बड़ा कारण?

नया नियम कहता है कि सांसद शपथ लेगा और फिर हस्ताक्षर करेगा। शपथ लेते समय किसी भी तरह की अतिरिक्त टिप्पणी या अभिव्यक्ति करने की इजाजत नहीं रहने वाली है। अब जानकारी के लिए बता दें कि संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने ही इस बात पर चिंता जाहिर की थी कि कई सांसदों ने शपथ लेते वक्त राजनीतिक संदेश देने का काम किया। यहां भी सबसे ज्यादा विवाद ओवैसी की शपथ को लेकर रहा क्योंकि उन्होंने किसी दूसरे देश के हित की बात कर दी और उनके समर्थन में नारा भी लगाया।

नियम बदले, पार्टियां चुप

उनका मामला इतना ज्यादा बढ़ चुका था कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू तक शिकायत चली गई और उनकी सांसदी को रद्द करने की मांग हुई। अब उन पर कोई एक्शन तो नहीं हुआ लेकिन यह नियम का बदलना बड़ी बात है। यह उन सभी सांसदों के लिए संदेश है जिन्होंने शपथ के साथ नारे लगाए, उस मंच से बड़े सियासी संदेश देने के काम किए। अभी तक किसी भी पार्टी ने इन बदलावों को लेकर टिप्पणी नहीं की गई है, लेकिन माना जा रहा था कि इस तरह का निर्णय होगा।

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इस बार लोकसभा स्पीकर कई सांसदों के व्यवहार से खासा नाराज थे। उन्होंने कई मौकों पर उन्हें चेताने का काम भी किया, लेकिन क्योंकि किसी ने ज्यादा तवज्जो नहीं दी, ऐसे में अब नियम बदल सख्ती दिखाने का काम हुआ है।

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