Om Birla: 17 साल की उम्र में पहला चुनाव जीते थे ओम बिरला, राम मंदिर आंदोलन में गए थे जेल, अब दूसरी बार बने लोकसभा अध्यक्ष
Lok Sabha Speaker Om Birla: भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले एनडीए उम्मीदवार ओम बिरला को बुधवार को 18वीं लोकसभा का अध्यक्ष चुन लिया गया। राजस्थान के कोटा से तीन बार बीजेपी के सांसद पिछली लोकसभा में भी स्पीकर का पद संभाल चुके हैं। ओम बिरला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे हैं। इतना ही नहीं वह राम मंदिर के आंदोलन में जेल भी गए थे।
अब अगर बात बिरला के राजनीतिक करियर की करें तो उन्होंने 17 साल की उम्र में पहला चुनाव जीता था। 1979 में कोटा के गुमानपुरा के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल में छात्र संघ के अध्यक्ष बने थे। इसके बाद वे चार सालों तक भाजयुमो के जिला अध्यक्ष रहे। फिर बाद में 1991-97 तक इसके प्रदेश अध्यक्ष और 6 साल तक यूथ विंग के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे। मुख्यधारा की राष्ट्रीय राजनीति में इस कार्यकाल की वजह से वह देश भर के पार्टी नेताओं से मिले।
2014 में पहली बार जीते लोकसभा चुनाव
2014 में कोटा से पहली बार लोकसभा का चुनाव जीतने से पहले बिरला तीन बार राजस्थान विधानसभा के लिए चुने गए थे। बीजेपी की यूथ विंग भारतीय जनता युवा मोर्चा में बतौर राजनेता के रूप में अपनी शुरुआत करने वाले बिरला के लिए यह एक लंबा इंतजार था। उनको विधानसभा चुनाव में पार्टी का टिकट पाने के लिए भी काफी सब्र करना पड़ा। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह यह थी कि ललित किशोर चतुर्वेदी और रघुवीर सिंह कौशल जैसे वरिष्ठ नेता राजस्थान के हरौती में अपना दबदबा बनाए हुए थे। बिरला इनकी पसंदीदा लोगों की लिस्ट में शामिल नहीं थे।
2014 में केंद्र की राजनीति में रखा कदम
2003 में ही बिरला को मौका मिला जब इन दिग्गज नेताओं की पकड़ थोड़ी कमजोर हो गई। उस समय सीएम पद की उम्मीदवार वसुंधरा राजे ऐसे नेताओं को ज्यादा तवज्जों देती थीं जो किसी बड़े नेता के संरक्षण में ना हो। जब पुराने नेता हाशिए पर चले गए तो राजे ने राजस्थान बीजेपी पर अपना काफी प्रभाव छोड़ा। बिरला को आगे बढ़ने में फिर काफी लंबा इंतजार करना पड़ा। जब राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे 2013 में सत्ता में वापस आईं तो बिरला ने केंद्र की राजनीति में कदम राखा और 2014 के इलेक्शन में खड़े हुए।
लोकसभा स्पीकर के रूप में बिरला का उभर कर आना राजे के लिए बहुत बड़ा झटका माना जाता है। बता दें कि बिरला आरएसएस से जुड़े रहे हैं। वह राम मंदिर आंदोलन के दौरान जेल में भी गए। इतना ही नहीं साल 2001 में जब भूकंप आया था तो भूकंप के बाद डॉक्टरों समेत 100 लोगों की टीम का बिरला ने नेतृत्व किया।