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Odisha Politics: ढाई दशक बाद विपक्ष में बैठेंगे नवीन पटनायक, जानें उनकी कोर टीम में किन्हें मिलेगी जगह

Odisha Politics: ओडिशा में नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी को इस चुनाव में हार का सामना करना पड़ा है और सत्ता बीजेपी के हिस्से आई है। पढ़ें सुजीत बिसोयी की रिपोर्ट
Written by: न्यूज डेस्क
नई दिल्ली | June 21, 2024 16:15 IST
odisha politics  ढाई दशक बाद विपक्ष में बैठेंगे नवीन पटनायक  जानें उनकी कोर टीम में किन्हें मिलेगी जगह
क्या ढलान की ओर है नवीन पटनायक का राजनीतिक करियर? (सोर्स - PTI/File)
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Odisha Politics: लोकसभा चुनाव के साथ हुए विधानसभा चुनाव में ओडिशा में बीजेपी ने बेहतरीन प्रदर्शन किया और 25 साल से जारी बीजेडी सुप्रीमो और पूर्व सीएम नवीन पटनायक की बादशाहत खत्म हो गई। नवीन पटनायक विपक्ष के नेता के तौर पर अब विधानसभा के अंदर बैठेंगे। ढाई दशक तक सत्ता पर काबिज रहने के बाद विपक्ष के नेता के तौर पर यह नवीन पटनायक के राजनीतिक सफर की नई पारी मानी जा रही है। बीजेडी ने उन्हें अपने विधायक दल का नेता चुन लिया है।

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5 बार से लगातार सीएम रहे नवीन पटनायक 1997 से लगातार चुनाव में बेहतरीन प्रदर्शन करते रहे हैं। यह पहली बार होगा कि नवीन पटनायक विपक्ष में बैठेंगे। बीजेडी ने नवीन पटनायक के साथ ही वरिष्ठ विधायक प्रसन्ना आचार्य को भी विधायक दल के उपनेता के तौर पर चुना है। पूर्व स्पीकर प्रमिला मलिक पार्टी की मुख्य सचेतक होंगी, जबकि पूर्व मंत्री प्रताप केशरी देब को उप मुख्य सचेतक चुना गया है।

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नेता विपक्षी चुने गए पटनायक

विधायक दल की बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में पूर्व सीएन नवीन पटनायक ने कहा कि हमने हाल ही में हुए चुनावों में निर्वाचित बीजेडी विधायकों की बैठक की है। मैंने उन्हें बधाई दी और उनका आभार व्यक्त किया। उन्होंने मुझे विपक्ष का नेता और बीजद विधायक दल का नेता चुना है। आज हमने विधायकों के साथ बहुत गहन बैठक की, जिसमें हमने हाल ही में हुए चुनावों सहित कई मामलों पर चर्चा की।

विपक्ष के नेता के रूप में उनका चुनाव ऐसे समय में हुआ है, जब आशंका है कि पार्टी का अस्तित्व संकट में पड़ सकता है। नवीन पटनायक ने कहा कि हम लोगों के जनादेश को स्वीकार करते हैं लेकिन यह भी एक तथ्य है कि वोट शेयर के मामले में बीजेडी नंबर एक पार्टी है क्योंकि हमने 40.22 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया है।

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पार्टी बचाने के लिए जरूरी है पटनायक

बीजेडी के एक नेता ने बताया कि हमारे विधायकों का मत प्रतिशत 40.07 है। हमें पूरा भरोसा है कि हम वापस लड़ेंगे और इसके लिए हमें पटनायक को अपने साथ रखना होगा। इसलिए, हमारे विधायकों की सर्वसम्मित राय थी कि उन्हें (पटनायक को) विपक्ष का नेता होना चाहिए।

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प्रोटोकॉल का मिलेगा फायदा

विपक्ष के नेता के रूप में पटनायक को अन्य प्रोटोकॉल के अलावा राज्य विधानसभा भवन में एक कार्यालय भी मिलता रहेगा। सभी की निगाहें 77 वर्षीय नेता पर टिकी हैं, जो सीएम रहते हुए विधानसभा सत्र में केवल तभी शामिल होते थे, जब जरूरत होती थी। अब उन्हें यह दिखाना होगा कि 51 विधायकों वाली बीजेडी एक प्रभावी विपक्ष की भूमिका निभा सकती है। इसे नवीन पटनायक के लिए एक चिंताजनक स्थिति भी मान जा रहा है।

करीबी को ही बनाया विधानसभा में साथी

पूर्व मुख्यमंत्री और नवीन पटनायक के पिता बीजू पटनायक के वफादार माने जाने वाले आचार्य चार बार के विधायक और पूर्व मंत्री हैं, जिन्हें पिता और पुत्र दोनों के मंत्रिमंडल में जगह मिली। 75 साल के आचार्य अपनी तीखी राजनीतिक आलोचना के लिए जाने जाते हैं। पश्चिमी ओडिशा के बारगढ़ के मूल निवासी हैं और पहली बार विधानसभा सीट से निर्वाचित हुए थे।

जनता दल से उन्होंने 1995 में भी यह सीट बरकरार रखी, लेकिन 1998 में संबलपुर से सांसद चुने जाने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया, तथा 1999 और 2004 के लोकसभा चुनावों में भी इस सीट पर अपना कब्जा बरकरार रखा। आचार्य 2009 में विधानसभा चुनाव मैदान में लौटे और रायराखोल से जीते, जो उनकी वर्तमान सीट है। दो चुनाव हारने के बाद - 2014 का विधानसभा चुनाव बीजेपुर से और 2019 का संसदीय चुनाव बरगढ़ से जीते थे। उन्होंने 2024 का चुनाव रायराखोल से लड़ा और जीता था।

दिग्गज हैं पटनायक की टीम के ये नेता

70 के दशक में आरएसएस से संबद्ध एबीवीपी के छात्र नेता के रूप में आचार्य ने समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में जेपी आंदोलन में भाग लिया था और आपातकाल के दौरान विवादास्पद आंतरिक सुरक्षा अधिनियम (मीसा) के तहत 19 महीने तक जेल में रहे थे। मंत्री के रूप में उन्होंने वित्त, स्वास्थ्य, उत्पाद शुल्क और उद्योग जैसे प्रमुख विभागों का कार्यभार संभाला।

बीजेडी के भीतर एक शक्तिशाली महिला के तौर पर प्रमिला मलिक जानी जाती हैं और राज्य के जाजपुर जिले में आरक्षित एससी सीट बिंझारपुर सीट से सात बार विधायक रही हैं। आचार्य की तरह एक पूर्व छात्र नेता है। 61 वर्षीय मलिक पहली बार 1990 में जनता दल के उम्मीदवार के रूप में राज्य विधानसभा के लिए चुनी गई थी।

साल 2000 के बाद से मलिक कभी भी चुनाव नहीं हारीं, उन्होंने नवीन पटनायक सरकार में महिला और बाल विकास, और राजस्व और आपदा प्रबंधन जैसे प्रमुख विभागों को संभाला है। पिछली विधानसभा में मलिक बीजेडी के मुख्य सचेतक रहे। पिछले सितंबर से इस महीने पार्टी के सत्ता से बाहर होने तक ओडिशा विधानसभा के अध्यक्ष थीं।

प्रताप केशरी देब को भी मौका

प्रताप केशरी देब को भी नवीन पटनायक की टीम में जगह मिली है। औल-कनिका के पूर्व राजघराने के वंशज, 53 वर्षीय देब पांच बार विधायक और पूर्व मंत्री रह चुके हैं। 2000 में केंद्रपाड़ा जिले की औल विधानसभा सीट से पहली बार चुने गए। देब 2012 में पटनायक की कैबिनेट में मंत्री बने और खाद्य आपूर्ति और उपभोक्ता कल्याण तथा रोजगार, तकनीकी शिक्षा और प्रशिक्षण जैसे विभागों का कार्यभार संभाला।

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