Ram Mandir: भारी बारिश के लिए कितना तैयार राम मंदिर? प्रथम तल से टपका पानी, नृपेंद्र मिश्रा ने बताई वजह
Ayodhya Ram Mandir: उत्तर प्रदेश के अयोध्या में इसी साल 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी। अभी भी राम मंदिर को बनाने का काम चल रहा है। ऐसे में पहली बारिश में ही राम मंदिर की छत से पानी टपकने लगा है। इसकी जानकारी श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने किया है। वहीं, अब इस मामले पर श्रीराम मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र का बयान सामने आया है।
नृपेंद्र मिश्रा ने राम मंदिर में छत टपकने के मामले पर कहा कि कि मैं अयोध्या में हूं। मैंने पहली मंजिल से बारिश का पानी गिरते हुए देखा। गुरु मंडप के ऊपर आसमान है और ये खुला हुआ है। जब शिखर का काम पूरा कर लिया जाएगा तो यह ढक जाएगा। फिलहाल के हालात में ऐसा होना ही है। नृपेंद्र मिश्र ने आगे कहा कि मैंने नाली से कुछ रिसाव भी देखा। पहली मंजिल पर निर्माण काम चलने की वजह से यह सब समस्या हो रही है। जब निर्माण का काम पूरा हो जाएगा तो नाली को बंद कर दिया जाएगा। गर्भगृह में पानी भरने को लेकर उन्होंने कहा कि गर्भगृह में जल निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है।
गर्भग्रह में पानी को मैन्यूअल तरीके से निकाला जाता है- नृपेंद्र मिश्रा
नृपेंद्र मिश्रा ने कहा कि सभी मंडपों में पानी की निकासी के लिए ढलान को मापा गया है और गर्भगृह में पानी को मैन्यूअल तरीके से बाहर निकाला जाता है। उन्होंने आगे कहा कि भक्तों की तरफ से भगवान पर कोई जल नहीं चढ़ाया जा रहा है यानी अभिषेक नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इसमें कोई डिजाइन या निर्माण मुद्दा नहीं है। जो मंडप खुले हैं, उनमें बारिश का पानी गिर सकता है। इस पर बहस हुई थी और नगर वास्तुशिल्प मानदंडों के अनुसार उन्हें खुला रखने का फैसला लिया गया था।
आचार्य सत्येंद्र दास ने क्या कहा था?
अयोध्या राम मंदिर (Ayodhya Ram Mandir) के मुख्य पुजारी महंत सत्येंद्र दास (Mahant Satyendra Das) ने कहा था जितना भी मंदिर बन गया है और जहां रामलला विराजमान हैं, उसमें पहली बारिश में ही पानी टपकने लगा है। गर्भ गृह के अंदर भी पानी भर गया था। इस पर ध्यान देना चाहिए कि कौन सी कमी रह गई है जिसकी वजह से पानी टपक रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि जो बना है उस पर भी ध्यान देना चाहिए, ये बहुत जरूरी है। इस समस्या का सामधान आज-कल में सोच कर निश्चित कर लें। नहीं तो बारिश शुरू होगी तो पूजा-अर्चना और दर्शन बंद हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि गर्भ गृह के सामने जहां नए पुजारी बैठते हैं और जहां पर वीआईपी लोगों के दर्शन का स्थल है वहां भी सब जगह पानी-पानी हो गया है।