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लोकसभा चुनाव में ममता मैजिक जरूर दिखा, फिर भी यह 4 ट्रेंड TMC को चैन से बैठने नहीं देंगे

2019 के लोकसभा इलेक्शन के बाद से ही उत्तर बंगाल टीएमसी के हाथ से फिसलता जा रहा था।
Written by: ईएनएस
नई दिल्ली | Updated: June 15, 2024 16:15 IST
लोकसभा चुनाव में ममता मैजिक जरूर दिखा  फिर भी यह 4 ट्रेंड tmc को चैन से बैठने नहीं देंगे
टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी। (इमेज-एक्सप्रेस फोटो)
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Lok Sabha Chunav: पश्चिम बंगाल में हाल ही में हुए लोकसभा इलेक्शन में टीएमसी की शानदार जीत हुई है। इसको लेकर पार्टी के नेताओं में काफी उत्साह है, लेकिन उनमें अब चिंता भी नजर आ रही है। टीएमसी के मुख्य हलकों में इसकी वजह बताई जा रही है कि पार्टी के उम्मीदवार राज्य के कई मंत्रियों के विधानसभा क्षेत्रों में पिछड़ गए। स्थानीय निकायों में विपक्षी दलों को बढ़त मिली है।

कोलकाता नगर निगम के अंदर आने वाला 144 वार्डों में टीएमसी के पास फिलहाल 138 पार्षद हैं। वहीं, भारतीय जनता पार्टी के पास 3 और वाम-कांग्रेस के पास भी 3 ही पार्षद हैं। टीएमसी ने कोलकाता की दोनों लोकसभा सीटें जीत ली हैं। लेकिन दोनों सीटों पर उसकी बढ़त 2019 के लोकसभा चुनावों से थोड़ी कम रही। मुख्य विपक्षी दल भाजपा 48 केएमसी वार्डों में आगे थी। वहीं, वाम-कांग्रेस भी तीन वार्डों में आगे थी। टीएमसी को 93 वार्डों में फायदा हुआ।

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टीएमसी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि हमारी पार्टी के कई दिग्गज नेता केएमसी पार्षदों के वार्डों में पीछे रह गए। उन्होंने बताया कि वार्ड नंबर 85 में मेयर इन काउंसिल देबाशीष कुमार राशबिहारी विधानसभा क्षेत्र में विधायक हैं और दक्षिण कोलकाता के टीएमसी जिला अध्यक्ष भी हैं। इतना ही नहीं, उन्होंने आगे कहा कि हमारी पार्टी शशि पांजा की बेटी पूजा पांजा के वार्ड नंबर 8 में भी पीछे रह गई। यह राज्य के मंत्री और मुख्यमंत्री के काफी भरोसेमंद हैं।

उन्होंने कहा कि विधायक परेश पाल की विधानसभा सीट के बेलेघाटा के अंतर्गत वार्ड नंबर 31 में भी यही कहानी है। मेयर परिषद सदस्य असीम कुमार बसु के वार्ड नंबर 70 के साथ-साथ वार्ड नंबर 72 में भी भारतीय जनता पार्टी को बढ़त मिली, जहां पर मेयर-इन-काउंसिल संदीप बख्शी पार्षद हैं। दिलचस्प बात यह है कि ये दोनों वार्ड मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के विधानसभा क्षेत्र भवानीपुर के अंदर आते हैं। यहां पर पांच वार्डों में पीछे रही और तीन वार्डों में तीन में आगे रही थी।

भारतीय जनता पार्टी को कई वार्डों में बढ़त मिली

टीएमसी के एक नेता ने आगे कहा कि हमारे वरिष्ठ पार्षदों और नगर अध्यक्षों जैसे जुई बिस्वास, सुशांत घोष, सुदीप पोले, साधना बोस और सुष्मिता भट्टाचार्य के वार्डों में भी भाजपा टीएमसी से आगे थी। टीएमसी पार्षद सुदर्शन मुखोपाध्याय के वार्ड नंबर 64 और बिश्वरूप डे के वार्ड नंबर 48 में भी भारतीय जनता पार्टी को बढ़त मिली। राज्य मंत्री शशि पांजा की विधानसभा सीट जोरासांको में टीएमसी 7,401 वोटों से पीछे रही, जबकि पार्टी ने कोलकाता उत्तर लोकसभा सीट 92,560 वोटों से जीती है। भवानीपुर विधानसभा सीट पर भी टीएमसी की बढ़त घटकर 8,297 वोट रह गई है, जबकि 2021 के उपचुनाव में ममता को 58,835 वोटों से जीत हासिल हुई थी।

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चुनाव आंकड़ों के विश्लेषण करने के बाद यह बात सामने आती है कि भाजपा बोलपुर, गोबरडांगा, कृष्णानगर, बालुरघाट, रायगंज, बर्धमान, इंग्लिश बाजार और झाड़ग्राम जैसे कई इलाकों में बढ़त बनाए हुए थी।

नार्थ 24 परगना

कोलकाता ही नहीं पार्टी अन्य लोकसभा सीटों को लेकर भी काफी चिंतित है। उदाहरण के लिए बारासात लोकसभा सीट के अंदर आने वाली सभी चार नगरपालिकाओं में भी पार्टी पिछड़ गई। बारासात नगरपालिका के 35 वार्डों में से टीएमसी सिर्फ 6 ही वार्डों में आगे थी। अशोकनगर नगरपालिका में पार्टी 23 वार्डों में से केवल 6 पर ही आगे थी। वहीं, हाबरा नगरपालिका के अंदर आने वाले सभी वार्डों में टीएमसी पिछड़ गई। यह जेल में बंद पूर्व खाद्य मंत्री ज्योतिप्रिय मलिक का विधानसभा क्षेत्र है। मध्मयमग्राम नगरपालिका में, पार्टी 28 में से 18 वार्डों में बीजेपी से आगे थी।

तृणमूल सरकार बनगांव नगर पालिका के सभी 22 वार्डों में भी पीछे रह गई। इसके पूर्व मेयर शंकर आध्या कथित राशन घोटाले के आरोप में जेल में बंद हैं। कई नेताओं का कहना है कि नगर पालिका के क्षेत्रों में पार्टी के पीछे रहने की वजह यही हो सकती हैं। उत्तर 24 परगना जिले के गोबरदंगा नगर पालिका में टीएमसी 17 में से 15 वार्डों में पीछे रह गई। टीएमसी नेताओं का मानना ​​है कि उनमें से कुछ के खिलाफ भ्रष्टाचार के दाग के अलावा पार्टी इस बेल्ट में लोगों की सेवा करने में कुछ हद तक कामयाब नहीं हुई।

साउथ बंगाल

बर्धमान पूर्व लोकसभा सीट पर टीएमसी की शर्मिला सरकार ने 1,60,000 से ज्यादा वोटों से जीत दर्ज की। लेकिन वे कटवा, कालना और दैनहाट शहरी इलाकों में पीछे रह गईं। पार्टी के द्वारा किए गए शुरुआती आकलन में इसकी वजह लोगों में पार्टी के खिलाफ रोष बताया गया है। इसके अलावा टीएमसी जंगलमहल में झाड़ग्राम से लेकर उत्तर बंगाल में अलीपुरद्वार और बालुरघाट लोकसभा सीटों के अंदर आने वाली नगर पालिकाओं तक में भी पीछे रही। झारग्राम नगर पालिका के 17 वार्डों में से भाजपा 11 वार्डों में आगे है, जबकि टीएमसी केवल 6 वार्डों में ही आगे है।

टीएमसी के पार्थ चटर्जी, ज्योतिप्रिय मलिक, जीवनकृष्ण साहा और माणिक भट्टाचार्य राशन घोटाले में जेल में हैं। इनमें से साहा को लोकसभा चुनाव से ठीक पहले जमानत मिल गई और टीएमसी ने बहरामपुर लोकसभा सीट 85,022 वोटों से जीत ली, लेकिन साहा के विधानसभा क्षेत्र बरवान में भाजपा को 558 वोटों की बढ़त मिली। मलिक के विधानसभा क्षेत्र हाबरा में भी यही कहानी दोहराई गई थी। यहां टीएमसी 19,933 वोटों से पीछे रही। हालांकि, उसने बारासात लोकसभा सीट 1,14,189 वोटों से जीती थी। हालांकि, टीएमसी पार्थ चटर्जी और माणिक भट्टाचार्य के विधानसभा क्षेत्रों में बढ़त हासिल करने में कामयाब रही।

उत्तर बंगाल

2019 के लोकसभा इलेक्शन के बाद से ही उत्तर बंगाल टीएमसी के हाथ से फिसलता जा रहा था। हालांकि 2021 के विधानसभा चुनावों में इसने कुछ हद तक वापसी की थी, लेकिन फिलहाल के लोकसभा रिजल्ट से पता चलता है कि एक सीट कूचबिहार को छोड़कर बाकी सभी सीटों पर इसका सफाया हो गया है, जबकि भाजपा ने इस क्षेत्र में छह सीटें जीती हैं।

मालदा जिले में बीजेपी और कांग्रेस पार्टी ने एक-एक लोकसभा सीट जीती। टीएमसी 12 विधानसभा क्षेत्रों में पीछे रही। इसने 2021 के विधानसभा चुनावों में इनमें से 8 सीटें जीती थी। इनमें राज्य मंत्री सबीना यास्मीन की मोथाबारी भी शामिल है। यहां पर सत्तारूढ़ पार्टी 45,688 वोटों से पीछे रही। चुनावी आंकड़ो के विश्लेषण पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बीजेपी नेता और केएमसी पार्षद सजल घोष ने आरोप लगाया कि ज्यादातर टीएमसी के पार्षद आम लोगों को पसंद नहीं है। भाजपा को उन जगहों पर ज्यादा वोट मिले जहां पर वोटरों को खरीदा नहीं जा सकता। शहरी इलाकों के लोग गांवों के लोगों की तुलना में आर्थिक रूप से बेहतर हैं।

इस पर पलटवार करते हुए टीएमसी नेता शांतनु सेन ने कहा कि विधानसभा और लोकसभा इलेक्शन के मायने अलग-अलग होते हैं। विधानसभा चुनाव में यह नतीजे दोबारा नहीं दोहराए जाएंगे। फिर भी पार्टी को इसकी जांच करनी चाहिए कि ऐसा क्यों हुआ। दमदम लोकसभा सीट से हारने वाले सीपीआई (M) के सुजन चक्रवर्ती ने कहा कि शहरी इलाकों में लोग अपनी सोच में ज्यादा खुले हुए हैं और उन्होंने टीएमसी के खिलाफ वोट दिया। यह ज्यादातर बीजेपी को ही गया। यह हमारी सबसे बड़ी गलती है कि उन्होंने हमे ऑप्शन के तौर पर नहीं देखा।

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