Jagannath Temple: दीघा में जगन्नाथ मंदिर का उद्घाटन करने वाली हैं CM ममता बनर्जी, क्या हैं इसके राजनीतिक मायने?
Jagannath Temple: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी जुलाई के पहले सप्ताह में पूर्वी मेदिनीपुर जिले के तटीय शहर दीघा में जगन्नाथ मंदिर का उद्घाटन करने के लिए पूरी तरह तैयार है। राज्य प्रशासन के सूत्रों ने बताया कि वह 7 जुलाई से शुरू होने वाले रथ यात्रा उत्सव के पहले दिन मंदिर का उद्घाटन कर सकती हैं।
राज्य सरकार के एक अधिकारी ने कहा, "मंदिर अब उद्घाटन के लिए तैयार है। हम मुख्यमंत्री की हरी झंडी का इंतजार कर रहे हैं। उसके मिलने के बाद हम आधिकारिक तौर पर उद्घाटन की तारीख की घोषणा करेंगे।"
पड़ोसी राज्य ओडिशा के पुरी में जगन्नाथ मंदिर की प्रतिकृति के रूप में निर्मित जगन्नाथ धाम, न्यू दीघा रेलवे स्टेशन से सटे समुद्र तटीय रिसॉर्ट शहर में स्थित है। राज्य शहरी विकास विभाग के अनुसार, यह मंदिर 22 एकड़ में है। जो ममता बनर्जी की पसंदीदा परियोजना है। यह मंदिर 143 करोड़ रुपये की लागत से बनाया गया है।
जगन्नाथ धाम का निर्माण पश्चिम बंगाल हाउसिंग इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (WBHIDCO) द्वारा किया गया है, जिसमें कोलकाता स्थित डिज़ाइन स्टूडियो ने डिज़ाइन और वास्तुकला का काम संभाला है।
बनर्जी ने 2019 में मंदिर की आधारशिला रखी थी, जो ओडिशा के बालासोर जिले में चंदनेश्वर मंदिर से आठ किलोमीटर दूर स्थित है। उस समय, उन्होंने दावा किया था कि उन्हें उम्मीद है कि मंदिर में पुरी के मंदिर के बराबर भीड़ होगी और कहा कि पर्यटकों को दीघा के समुद्र तटों पर पुरी की तरह ही सुविधाएं मिलेंगी।
बता दें, बंगाली हिंदुओं का भगवान जगन्नाथ के साथ गहरा संबंध है, जो 12वीं शताब्दी से चला आ रहा है, जब संत और समाज सुधारक चैतन्य महाप्रभु ने पुरी मंदिर का दौरा किया था।
तब से, पुरी सभी सामाजिक वर्गों के बंगाली भक्तों के लिए एक लोकप्रिय तीर्थ स्थल रहा है। जगन्नाथ रथ यात्रा पूरे बंगाल में एक लोकप्रिय त्योहार है। ब्रिटिश शासन के दौरान, कई बंगाली वर्तमान ओडिशा में बस गए, उन्होंने बंगाली पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के लिए धर्मशालाएं और होटल बनवाए, जिससे पुरी की तीर्थयात्रा के साथ-साथ पर्यटन के लिए भी पहचान बढ़ी।
यह पहली बार नहीं है जब ममता ने हिंदू धर्मावलंबियों तक पहुंचने के लिए कोई परियोजना लागू की हो या कोई कदम उठाया हो। पिछले कुछ वर्षों में लगातार “मुस्लिम तुष्टिकरण” का आरोप झेलने के बाद, पश्चिम बंगाल की सीएम ने कई बार समुदाय तक पहुंचकर इसे संतुलित करने की कोशिश की है और यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि उनका समर्थन खंडित न हो, जिससे भाजपा की हिंदुत्व की चाल को कुंद किया जा सके।
2020 में बनर्जी ने 8,000 गरीब सनातन ब्राह्मण पुजारियों के लिए 1,000 रुपये मासिक भत्ता और मुफ्त आवास की घोषणा की थी। पिछले कुछ वर्षों में, टीएमसी सरकार ने दुर्गा पूजा समितियों को वित्तीय सहायता और बिजली शुल्क सब्सिडी भी प्रदान की है। सिर्फ मंदिर ही नहीं, ममता सरकार ने हुगली जिले में फुरफुरा शरीफ दरगाह के विकास के लिए भी धन आवंटित किया है जो एक प्रसिद्ध मुस्लिम तीर्थ स्थल है। 2021 के विधानसभा चुनावों के प्रचार के दौरान, पश्चिम बंगाल की सीएम को हर दिन “चंडी पाठ” करने का दावा करने के बाद विपक्ष की आलोचना का सामना करना पड़ा था।
टीएमसी प्रवक्ता जयप्रकाश मजूमदार ने कहा, "पुरी में श्री जगन्नाथ मंदिर का ऐतिहासिक महत्व है। इसने सदियों से बंगाल के लोगों को आकर्षित किया है। बंगाली होने के नाते, हम पुरी या श्रीक्षेत्र को अपने जीवन का हिस्सा मानते हैं। ममता बनर्जी को एहसास हुआ कि बहुत से लोग पुरी नहीं जा सकते। लेकिन घर के नज़दीक, दीघा एक समुद्र तटीय पर्यटन स्थल है। तो यहां जगन्नाथ मंदिर क्यों नहीं बनाया जाए? यह एक नेक विचार है। दीघा में इस मंदिर के बनने से, दक्षिण भारत के कई तीर्थस्थलों की तरह धर्म और पर्यटन साथ-साथ चलेंगे। इसे इस तरह से देखें: पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए, उन्होंने धर्म को एक आकर्षण के रूप में जोड़ा।"
भाजपा पहले ही ममता बनर्जी प्रशासन पर करदाताओं के पैसे से धार्मिक संरचना बनाने का आरोप लगा चुकी है। नवंबर 2023 में विपक्ष के नेता (एलओपी) सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि राज्य सरकार मंदिर नहीं बल्कि एक “सांस्कृतिक केंद्र” बना रही है, उन्होंने कहा कि संविधान सरकारी संस्थाओं द्वारा धार्मिक स्मारकों के निर्माण के लिए करदाताओं के पैसे के इस्तेमाल पर रोक लगाता है।
उस समय उन्होंने कहा था कि न तो पश्चिम बंगाल सरकार और न ही उसकी एजेंसियों के पास मंदिर निर्माण के लिए कानूनी या धार्मिक अधिकार है। उन्होंने एक समानता बताते हुए बताया कि कैसे केंद्र और यूपी सरकारों ने अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए धन नहीं दिया, जिसे श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा प्राप्त दान के माध्यम से बनाया गया था।
सीपीआई(एम) नेता सुजन चक्रवर्ती ने कहा, "यह सरकार का काम नहीं है। फिर भी, वे ये काम कर रहे हैं क्योंकि वे शासन की ज़िम्मेदारियां नहीं निभा सकते।"
(अत्री मित्रा की रिपोर्ट)