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Maharashtra Politics: राज्यसभा जाने की ख्वाहिश रह गई अधूरी, एनसीपी से क्यों रूठे छगन भुजबल?

Maharashtra Politics: हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में मराठा समुदाय ने मराठवाड़ा के ज्यादातर क्षेत्रों में सत्तारूढ़ दलों के खिलाफ वोटिंग की।
Written by: न्यूज डेस्क
नई दिल्ली | June 15, 2024 12:44 IST
maharashtra politics  राज्यसभा जाने की ख्वाहिश रह गई अधूरी  एनसीपी से क्यों रूठे छगन भुजबल
छगन भुजबल। (इमेज-पीटीआई)
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Maharashtra Politics: महाराष्ट्र के मंत्री और एनसीपी नेता छगन भुजबल का दुख अब सबके सामने छलक आया है। गुरुवार को उन्होंने साफ किया कि वे खाली हुई राज्यसभा की सीट में इंटरेस्ट रखते हैं, लेकिन पार्टी ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के चीफ और डिप्टी सीएम अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा को देने का फैसला किया है। शुक्रवार को भुजबल ने कहा कि वह नासिक लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन कुछ कारणों की वजह से पीछे हट गए।

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छगन भुजबल ने कहा कि दिल्ली में लिए गए फैसले के बाद मैं नासिक से चुनाव लड़ने के लिए तैयार था। हालांकि, इसके एक महीने के बाद तक कोई और कदम नहीं उठाया गया। विपक्षी दलों ने पहले से चुनाव प्रचार शुरू कर दिया था और इसी वजह से मैंने पीछे हटने का फैसला किया। हमारे अलायंस के प्रत्याशियों की घोषणा काफी समय बाद की गई।

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नासिक लोकसभा सीट के लिए अड़े थे एकनाथ शिंदे

भुजबल लोकसभा इलेक्शन से पहले नासिक सीट को लेकर हुए विवाद का जिक्र कर रहे थे। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी नेता के मुताबिक, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्य के बीजेपी नेताओं से कहा था कि वे इस सीट के लिए उनके नाम पर विचार करें। हालांकि, मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे नासिक से चुनाव लड़ने पर अड़े हुए थे, क्योंकि मौजूदा सांसद हेमंत गोडसे उनकी पार्टी से थे। बीजेपी के नेताओं की वजह से भी कोई फायदा नहीं हुआ और भुजबल ने पीछे हटने का ही फैसला किया। शिंदे ने गोडसे को चुनावी दंगल में उतारा। वह शिवसेना यूबीटी के प्रत्याशी राजाभाऊ वाजे से 1,62,001 वोटों से हार गए।

जरांगे पाटिल के मराठा आंदोलन का पड़ा प्रभाव

एनसीपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि महाराष्ट्र में भुजबल संसद में जाने के लिए तैयार थे। ओबीसी नेता ने मराठा कोटा कार्यकर्ता मनोज जरांगे-पाटिल के आंदोलन के खिलाफ बहुत कड़ा रुख अपनाया था। इसमें मराठों को कुनबी कास्ट सर्टिफिकेट देकर ओबीसी कोटे से सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण देने की मांग का विरोध किया था। अपने कड़े रुख की वजह से भुजबल मराठा संगठनों के निशाने पर आ गए। जरांगे पाटिल ने समुदाय से कहा कि भुजबल जहां पर भी चुनाव लड़े, उन्हें वहां पर हराएं। भुजबल को कुछ मराठा क्षेत्रों में प्रचार करने की भी इजाजत नहीं दी गई।

राज्यसभा में जाने की ख्वाहिश रह गई अधूरी

हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में मराठा समुदाय ने मराठवाड़ा के ज्यादातर क्षेत्रों में सत्तारूढ़ दलों के खिलाफ वोटिंग की। 48 चुने गए सांसदो में से 26 मराठा और 9 ओबीसी से हैं। सत्तारूढ़ गठबंधन मराठा समुदाय को शांत करने के तरीकों की खोज कर रहा है। भुजबल की इच्छा विधानसभा चुनाव लड़ने के बजाय संसद में जाने की है। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि यही वजह थी कि वह नासिक लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे। हालांकि, ऐसा नहीं हो सका था। फिर उन्होंने राज्यसभा की सीट खाली होने के बाद उसमें अपनी इच्छा जाहिर की। लेकिन वह भी उनको नहीं मिल सकी। अजित पवार ने यह सीट सुनेत्रा पवार को देने का फैसला किया। सुनेत्रा पवार सुप्रिया सुले से बारामती लोकसभा सीट हार चुकी हैं।

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जब भुजबल से सवाल किया गया कि वह किस राज्यसभा सीट पर नजर गड़ाए हुए हैं तो उन्होंने कहा कि पार्टी में आपको वह सब कुछ नहीं मिलता जो आप चाहते हैं। भुजबल के एक करीबी विधायक ने कहा कि एनसीपी के नेताओं ने छगन भुजबल को संसद भेजने के लिए ज्यादा उत्सुकता नहीं दिखाई। एनसीपी के आलाकमान को लगा होगा कि छगन सीधे बीजेपी के संपर्क में होंगे। पार्टी द्वारा उनकी बात नहीं माने जाने को लेकर भुजबल यह जाहिर कर रहे हैं कि वह खुश नहीं है। लेकिन एनसीपी के अजित पवार ने कहा कि भुजबल पार्टी के फैसले से नाखुश नहीं है।

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