Maharashtra Politics: अजित पवार का हाथ झटकेगी BJP? दोस्ती पर RSS भी जता चुका है नाराजगी
Maharashtra Politics: लोकसभा चुनाव के नतीजे में बीजेपी के नेतृत्व वाले NDA गठबंधन को सबसे बड़ा नुकसान यूपी के अलावा महाराष्ट्र में हुआ, जहां उसे सहयोगी पार्टियों के समर्थन के बावजूद कोई खास फायदा नहीं हुआ। NDA की सहयोगी पार्टियों में शामिल एनसीपी का प्रदर्शन सबसे खराब रहा, एनसीपी ने महज एक सीट ही जीती थी। महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी अजीत पवार की एनसीपी से दूरी बना सकते हैं
हालांकि अभी तक बीजेपी या एनसीपी, किसी ने भी आधिकारिक तौर पर अलग होने को लेकर कोई बयान नहीं दिया है लेकिन मीडिया में इसको लेकर अटकलें लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही शुरू हो गई थीं। गौरतलब है कि एनसीपी से गठबंधन के चलते आरएसएस भी अंदर खाने बीजेपी से नाराज था, जिसका उदाहरण हाल ही में RSS के मुखपत्र से सामने आया है।
बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच नाराजगी की खबरें
अंग्रेजी अखबार द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि बीजेपी की लीडरशिप इस बात पर सहमत दिखाई दी कि एनसीपी से गठबंधन तोड़ दिया जाए, क्योंकि एनसीपी के एनडीए में आने से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी खुश नहीं है सूत्रों का कहना है कि बीजेपी अजीत पवार से अलग होकर एकनाथ शिंदे के गुड वाली शिवसेना के साथ विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारी शुरू करेगी
इस रिपोर्ट में बीजेपी के एक नेता से बातचीत का उल्लेख भी है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता का कहना है कि आरएसएस बीजेपी कैडर अजीत पवार विरोधी नारे के साथ तैयार किया गया था। सिंचाई और महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक घोटाले में अजीत पवार के कथित कनेक्शन के चलते, उनके NDA में आने पर कार्यकर्ताओं में असंतोष व्याप्त हो गया।
'डिप्टी CM बनाना जख्म पर नमक लगाने जैसा'
बीजेपी नेता ने कहा कि जब अजित पवार ने बीजेपी के साथ हाथ मिलाया, तब पावर विरोधी नारे खत्म हो गए और बीजेपी RSS वर्कर्स के बीच उदासीनत देखने को मिली। बीजेपी के वरिष्ठ नेता ने बड़ा बयान देते हुए यह तक कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की लीडरशिप वाली महाराष्ट्र की NDA सरकार में अजीत पवार को डिप्टी सीएम बनाना, घाव पर नमक छिड़कने के बराबर था।
कम हुई बीजेपी की ब्रांड वैल्यू
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एक नेता ने यह भी कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान यह साफ दिख रहा था कि आरएसएश बीजेपी कैडर एनसीपी प्रत्याशियों के प्रचार के लिए तैयार नहीं थे और कई स्थानों पर उनका मन नहीं था। नतीजा यह हुआ कि बीजेपी का आंकड़ा कम हो गया। रिपोर्ट के मुताबिक संघ कार्यकर्ता रतन शारदा ने एक लेख में कहा कि अजित के सात गठबंधन करने से बीजेपी की ब्रांड वैल्यू कम हुई है।
बीजेपी अभी विचार कर रही है कि क्या उसका अजित पवार के साथ रहते हुए विधानसभा चुनाव लड़ना सही होगा या नहीं। अन्य रिपोर्ट के मुताबिक एक नेता का यह भी कहना है कि अगर हम अजित पवार से अलग होकर सीएम एकनाथ शिंदे साथ विधानसभा चुनाव लड़ते हैं तो फिर यह ऐसा लगेगा कि हमने अजित पवार का इस्तेमाल करके उन्हें फेंक दिया। बीजेपी अभी अजित पवार को लेकर पशोपेश में हैं। अब यह देखना होगा कि आने वाले दिनों में बीजेपी का क्या डिसीजन लेती है।