Maharashtra Politics: विधानसभा चुनावों से पहले NDA ने महाराष्ट्र में चला 'बजट कार्ड', लोकलुभावन वादे क्या बदलेंगे समीकरण?
Maharashtra Politics: लोकसभा चुनाव के दौरान महाराष्ट्र में बीजेपी की लीडरशिप वाले एनडीए गठबंधन को बड़ा झटका लगा है, जिसके बाद इसी साल के आखिरी में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी तीनों ही दलों की महायुति सरकार बेहद ही सतर्क है। ऐसे में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महायुति सरकार ने जो महाराष्ट्र के लिए बजट पेश किया है, वह गठबंधन सरकार के डैमेज कंट्रोल का संकेत माना जा रहा है।
महाराष्ट्र में पेश हुआ बजट, लोकसभा चुनाव के बाद किसी भी राज्य का यह पहला बजट है। पीएम नरेंद्र मोदी की सरकार सत्ता में लौटी, लेकिन सहयोगी दलों के आंकड़ों की मदद से, क्योंकि इस बार बीजेपी को अकेले बहुमत नहीं हासिल हुआ है। ऐसे में महाराष्ट्र सरकार द्वारा पेश किए गए बजट में किसानों, महिलाओं, छात्रों और युवाओं सबके लिए कुछ न कुछ ऐलान हुए हैं।
राजकोषीय संघर्ष का करना पड़ सकता है सामना
एक अहम पहलू यह भी है कि सरकार को इन वादों को पूरा करने के लिए राजकोषीय स्थिति के लिहाज से संघर्ष करना पड़ सकता है, क्योंकि राज्य का कर्ज पहले से ही 7.89 लाख करोड़ रुपये का है। बजट प्रावधानों में 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक के खर्च वाली कई योजनाएं शामिल हैं।
राज्य सरकार द्वारा घोषित इन योजनाओं में मुख्यमंत्री माझी लड़की बहन योजना के लिए 46,000 करोड़ रुपये, मुख्यमंत्री युवा कार्य प्रशिक्षण योजना के लिए 10,000 करोड़ रुपये, एक निश्चित हॉर्स पावर तक के कृषि पंपों का उपयोग करने वाले किसानों के लिए बिजली बिल माफी योजना के लिए 14,761 करोड़ रुपये और राज्य भर में 52 लाख से अधिक परिवारों को प्रति वर्ष तीन मुफ्त सिलेंडर देने का वादा करने वाली अन्नपूर्णा योजना शामिल है।
वित्त मंत्री ने किए कई बड़े ऐलान
महायुति सरकार का बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री अजीत पवार ने कहा कि जब हम बजट का मसौदा तैयार करते हैं, तो हम लक्ष्यों को पूरा करने के लिए धन जुटाने पर भी विचार करते हैं। मुख्यमंत्री माझी लड़की बहिन योजना के तहत जुलाई 2024 से हर महीने 21 से 60 वर्ष की आयु की पात्र महिलाओं के बैंक खातों में 1,500 रुपये हस्तांतरित किए जाएंगे। राज्य के मतदाताओं में 48% महिलाएं हैं।
किसानों को लुभाने की कोशिश
किसानों के मामले में महायुति सरकार के बजट में प्याज, सोयाबीन और कपास के किसानों के लिए क्षेत्र-विशिष्ट वित्तीय सहायता या कल्याणकारी योजनाओं का वादा किया गया है। माना जाता है कि कपास और सोयाबीन किसानों के बीच असंतोष के कारण लोकसभा चुनावों में भाजपा को अपने पारंपरिक गढ़ विदर्भ क्षेत्र में भारी नुकसान उठाना पड़ा, जिससे वह 10 में से दो सीटों पर सिमट गई।
राज्य सरकार द्वारा किए गए ऐलान के मुताबिक खरीफ सीजन में 2 हेक्टेयर तक जमीन रखने वाले छोटे कपास और सोयाबीन किसानों को प्रति हेक्टेयर 5,000 रुपये की वित्तीय सहायता दी जाएगी, जबकि उत्तरी महाराष्ट्र में प्याज उत्पादकों को 851 करोड़ रुपये का पैकेज दिया गया है। इसके अलावा, डेयरी किसानों को 5 रुपये प्रति लीटर दूध की सब्सिडी दी गई है। उम्मीद की जा रही है कि राज्य विधानसभा चुनावों में इन रियायतों से, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा।
2000 करोड़ सा अतिरिक्त बोझ
लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद राज्य के बीजेपी नेताओं ने दिल्ली के नेताओं द्वारा नजरअंदाज किए जाने पर निराशा जताई थी, जब उन्होंने प्याज निर्यात पर प्रतिबंध लगाने और सोयाबीन और कपास की कीमतों में गिरावट से निपटने में विफल रहने पर केंद्र सरकार पर चिंता जताई थी। महायुति सरकार को किसानों के हितों से पहले उपभोक्ताओं के हितों को प्राथमिकता देते हुए देखा गया था। इस योजना पर प्रतिवर्ष 2,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त व्यय होने की उम्मीद है।
बेरोजगारी को बीजेपी सरकार के प्रति असंतोष का अहम बिंदु मानते हुए कहा कि महायुति सरकार ने मुख्यमंत्री युवा कार्य प्रशिक्षण योजना के तहत 10 लाख प्रशिक्षुओं को 10,000 रुपये मासिक वजीफा देने की घोषणा की।