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पीएम मोदी ने शरद पवार को साथ आने का दिया ऑफर, एनसीपी सुप्रीमो ने दिया जवाब

शरद पवार ने कहा कि वह नेहरू-गांधी विचारधारा को कभी नहीं छोड़ेंगे और मुस्लिम विरोधी रुख अपनाने वालों से हाथ नहीं मिलाएंगे।
Written by: न्यूज डेस्क | Edited By: Nitesh Dubey
नई दिल्ली | Updated: May 10, 2024 21:26 IST
पीएम मोदी ने शरद पवार को साथ आने का दिया ऑफर  एनसीपी सुप्रीमो ने दिया जवाब
एनसीपी (शरद पवार) सुप्रीमो शरद पवार
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महाराष्ट्र के नंदुरबार जिले में एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एनसीपी (शरद पवार) सुप्रीमो शरद पवार से एनडीए में आने को कहा। वहीं पीएम मोदी के बयान पर शरद पवार की प्रतिक्रिया सामने आई है।

पीएम मोदी के बयान के बाद शरद पवार ने यह कहते हुए प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया कि वह नेहरू-गांधी विचारधारा को कभी नहीं छोड़ेंगे और मुस्लिम विरोधी रुख अपनाने वालों से हाथ नहीं मिलाएंगे।

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शरद पवार ने शुक्रवार को पुणे में पत्रकारों से बात करते हुए कहा, "हम नेहरू-गांधी विचारधारा की प्रशंसा करते हैं। हम कहीं नहीं जाएंगे और विचारधारा को नहीं छोड़ेंगे। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषणों में मुस्लिम समुदाय के बारे में कुछ टिप्पणियां की हैं। मैंने इसके बारे में सुना है। अगर हमें इस देश को आगे ले जाना है, तो हमें समुदायों को साथ लेकर चलना होगा। हम एक समुदाय को दरकिनार करके आगे बढ़ने के बारे में नहीं सोच सकते। प्रधानमंत्री मोदी बार-बार एक विशेष समुदाय के खिलाफ़ रुख अपना रहे हैं। हम कभी भी ऐसे लोगों से हाथ नहीं मिलाएंगे जो इस तरह का रुख अपनाते हैं।"

शरद पवार ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी लोकतंत्र में विश्वास नहीं रखते हैं। उन्होंने कहा, "आज हमारी संसदीय और लोकतांत्रिक व्यवस्था खतरे में है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया है। इसमें केंद्र शामिल है। एक बात साफ है प्रधानमंत्री हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था में विश्वास नहीं रखते। लोग भी उनके इरादों के बारे में जानते हैं और इसलिए उनके (बीजेपी) साथ जाने का सवाल ही नहीं उठता।"

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क्या कहा था पीएम मोदी ने?

पीएम मोदी ने कहा था, "40-50 साल से महाराष्ट्र का एक बड़ा नेता राजनीति में है। आजकल वह बेतुके बयान दे रहा है। बारामती चुनाव के बाद वह परेशान है। उन्होंने कहा है कि अगर छोटी पार्टियों को राजनीति में बने रहना है तो उन्हें कांग्रेस में विलय करना होगा। इसका मतलब है कि 'नकली' एनसीपी और 'नकली शिवसेना' ने कांग्रेस में विलय का मन बना लिया है। लेकिन मैं उनसे कहना चाहता हूं कि 4 जून के बाद उन्हें कांग्रेस के साथ जाने के बजाय अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना से हाथ मिला लेना चाहिए। उनके सारे सपने पूरे होंगे।"

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