वोटिंग परसेंटेज बढ़ने पर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा ADR, CJI चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा- जरूरत पड़ी तो रात भर सुनवाई के लिए बैठेंगे
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से फाइनल वोटिंग परसेंटेज में हुई बढ़ोतरी को लेकर जवाब मांगा है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी और इस पर सुनवाई हुई। ADR ने अपनी याचिका में आशंका जताई कि ईवीएम मशीनों को रिप्लेस किया जा सकता है ताकि फाइनल वोटिंग परसेंटेज बढ़ाया जाए।
मामले की सुनवाई के लिए पूरी रात भी बैठ सकते- सुप्रीम कोर्ट
सोमवार से ही कोर्ट की गर्मी की छुट्टियों शुरू हो रही हैं लेकिन वेकेशन बेंच इस याचिका पर सुनवाई करेगी। वहीं चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने चुनाव आयोग को 24 मई तक जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है। इसके अलावा कोर्ट ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो हम मामले की सुनवाई के लिए पूरी रात बैठेंगे।
ADR ने अपनी याचिका में वोटिंग परसेंटेज को लेकर संदेह जताया है। साथ ही उसने चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर भी संदेह जताया है। इसके अलावा ADR ने बैलट पेपर से वोटिंग करवाने की अपील की है। हालांकि चुनाव आयोग के वकील ने ADR की अर्जी पर सवाल खड़े किए।
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा सवाल
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से पूछा कि वेबसाइट पर मतदान के आंकड़ें डालने में क्या दिक्कत है? इस पर चुनाव आयोग के वकील ने कहा कि इसमें समय लगता है क्योंकि बहुत सारा डाटा इकट्ठा करना होता है। फिर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि चुनाव आयोग को याचिका पर जवाब देने के लिए कुछ समय दिया जाना चाहिए। 25 मई को ही छठे चरण के लिए वोटिंग होगी लेकिन 24 मई को इस मामले पर सुनवाई होनी है।
चुनाव आयोग के वकील ने कहा कि ADR ने बिल्कुल गलत आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि एडीआर की ओर से वकील प्रशांत भूषण पेश हुए और वह सिर्फ इसलिए पेश हुए क्योंकि वह कोर्ट में कुछ लाना चाहते हैं। अदालत को इस पर विचार नहीं करना चाहिए।
मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी लिखा था पत्र
इसके पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी इंडिया गठबंधन के नेताओं को पत्र लिखा था और आरोप लगाया था कि फाइनल वोटिंग परसेंटेज में 5 से 6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। उन्होंने सभी दलों से इस मुद्दे पर सवाल उठाने के लिए कहा था। हालांकि बाद में चुनाव आयोग ने खड़गे के पत्र पर कहा था कि यह केवल भ्रम फैलाता है और निष्पक्ष मतदान कराने में बाधा डालता है।