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Lok Sabha Speaker: लोकसभा अध्यक्ष के पद पर बन सकती है आम सहमति, लेकिन विपक्षी गठबंधन की यह शर्त माननी होगी

लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए अगर इस दफा चुनाव होता है तो यह आजाद भारत के इतिहास में पहली बार होगा। विपक्ष की ओर से इस तरह के संकेत दिए जा रहे हैं। इससे पहले अब तक लोकसभा अध्यक्ष का चयन आम सहमति से होता रहा है।
Written by: जनसत्ता
नई दिल्ली | Updated: June 18, 2024 08:03 IST
lok sabha speaker  लोकसभा अध्यक्ष के पद पर बन सकती है आम सहमति  लेकिन विपक्षी गठबंधन की यह शर्त माननी होगी
सत्ता पक्ष ने अगर विपक्ष की शर्त नहीं मानी तो विपक्ष स्पीकर के चयन के लिए चुनाव कराने पर अड़ जाएगा।
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लोकसभा के अध्यक्ष पद के लिए 26 जून को होने वाले चुनाव को लेकर आम सहमति बनाने की कवायद चल रही है। सूत्रों के मुताबिक, सत्ताधारी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) इस दिशा में प्रयास कर रहा है और विपक्षी इंडिया गठबंधन इस बारे में सहमति की ओर बढ़ रहा है, लेकिन वह परंपरा के मुताबिक उपाध्यक्ष पद के लिए जोर दे रहा है। सांसदों में सबसे वरिष्ठ कांग्रेस के कोडिकुन्नील सुरेश को प्रोटेम स्पीकर बनाए जाने संभावना है।

सदन में अपनी बढ़ी ताकत से उत्साहित है विपक्ष

लोकसभा में अपनी बढ़ी हुई ताकत से उत्साहित विपक्षी गठबंधन अब आक्रामक रूप से उपाध्यक्ष के पद की मांग कर रहा है। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि अगर सरकार किसी विपक्षी नेता को उपाध्यक्ष बनाने पर सहमत नहीं हुई तो वे लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने पर मजबूर होंगे। 18वीं लोकसभा का पहला सत्र 24 जून को शुरू होगा और इस दौरान नवनिर्वाचित सदस्य शपथ लेंगे और लोकसभा अध्यक्ष की नियुक्ति भी होगी।

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विपक्षी गठबंधन के पास कुल 233 सीट है

लोकसभा चुनाव में विपक्षी गठबंधन इंडिया ने 233 सीट जीती हैं, जबकि भाजपा के नेतृत्व वाले राजग ने 293 सीट जीतकर लगातार तीसरी बार सत्ता बरकरार रखी है। 16 सीट के साथ तेलगु देसम पार्टी (TDP) और 12 सीट के साथ जनता दल (यू) 240 सीट जीतने वाली भाजपा की सबसे बड़ी सहयोगी पार्टियां हैं। विपक्षी गठबंधन इंडिया भाजपा की सहयोगी तेदेपा पर भी दबाव बना रहा है कि वह लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए अपनी दावेदारी पेश करे। तेदेपा इस पद के लिए आम सहमति वाले उम्मीदवार का समर्थन करने के पक्ष में है। वहीं, जनता दल (यू) ने लोकसभा अध्यक्ष के रूप में भाजपा उम्मीदवार को समर्थन देने की घोषणा की है।

रविवार को राजग के घटक दलों की बैठक के बाद केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजीजू ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात की थी। सूत्रों का कहना है कि सरकार नहीं चाहती कि लोकसभा अध्यक्ष या उपाध्यक्ष के मुद्दे पर टकराव हो। लेकिन सबकुछ विपक्ष पर निर्भर करेगा। वर्ष 2014 और 2019 में भाजपा बहुमत में आई। वर्ष 2014 में सुमित्रा महाजन लोकसभा अध्यक्ष बनीं और एआइएडीएमके के एम थंबी दुरई को उपाध्यक्ष चुना गया। 17वीं लोकसभा में यह पद खाली रहा। दूसरी ओर, कांग्रेस नीत यूपीए के दौर में भाजपा के चरनजीत अटवाल 2004 में और करिया मुंडा 2009 में उपाध्यक्ष बनाए गए थे।

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लोकसभा अध्यक्ष पद के लिए अगर इस दफा चुनाव होता है तो यह आजाद भारत के इतिहास में पहली बार होगा। विपक्ष की ओर से इस तरह के संकेत दिए जा रहे हैं। इससे पहले अब तक लोकसभा अध्यक्ष का चयन आम सहमति से होता रहा है।

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आजादी से पहले केंद्रीय विधानसभा के अध्यक्ष पद के लिए चुनाव पहली बार 24 अगस्त, 1925 को हुए थे। तब स्वराजवादी पार्टी के उम्मीदवार विट्ठलभाई जे पटेल ने टी रंगाचारियार के खिलाफ यह प्रतिष्ठित पद जीता था। अध्यक्ष पद के लिए 1925 से 1946 के बीच छह बार प्रतिस्पर्धा देखी गई। विट्ठलभाई पटेल का पहला कार्यकाल पूरा होने के बाद उन्हें 20 जनवरी, 1927 को सर्वसम्मति से इस पद के लिए फिर से चुना गया। आखिरी बार चुनाव 24 जनवरी, 1946 को हुआ था, जब कांग्रेस नेता जीवी मावलंकर ने कोवासजी जहांगीर के खिलाफ तीन वोट के अंतर से चुनाव जीता था। मावलंकर को 66, जबकि जहांगीर को 63 वोट मिले थे।

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