Lok Sabha Speaker: जब NDA के लोकसभा स्पीकर ने कांग्रेसी मुख्यमंत्री को डालने दिया वोट और गिर गई BJP सरकार
Lok Sabha Speaker: लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद पीएम मोदी के नेतृत्व में एनडीए सरकार एक बार फिर से सत्ता में वापस आ गई है। अब एनडीए के नेतृत्व वाले सहयोगी दल लोकसभा स्पीकर के पद पर अपनी नजरे गड़ाए हुए हैं। स्पीकर का पद बेहद ही अहम होता है। 1999 में लोकसभा अध्यक्ष की शक्ति का पता चल गया था। जब एक वोट की वजह से अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार गिर गई थी। स्पीकर ने कांग्रेस नेता गंमाग को एक वोट डालने की इजाजत दी थी।
लोकसभा स्पीकर की ताकत का अंदाजा अटल बिहार वाजपेयी की सरकार के दौरान देखा जा सकता था। उस समय एक वोट की वजह से उनकी सरकार गिर गई थी। भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए 1999 में विश्वास मत हार गया था। बालयोगी ने 1998-1999 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान लोकसभा अध्यक्ष के रूप में काम किया था। उस वक्त एनडीए महज 19 दलों का ही अलायंस था।
सरकार के 13 महीने पूरे हो जाने के बाद जयललिता के नेतृत्व वाली AIADMK ने वाजपेयी सरकार से समर्थन वापस ले लिया। इसके बाद फ्लोर टेस्ट देना पड़ा। इसमें वह एक वोट से हार गए, यह इसलिए हुए क्योंकि अध्यक्ष के रूप में बालयोगी ने ओडिशा के तत्कालीन कांग्रेसी मुख्यमंत्री गिरिधर गमांग को वोट देने की इजाजत दे दी। उन्होंने एक महीने पहले सीएम की कुर्सी संभालने के बावजूद अपनी सांसद सीट बरकरार रखी थी। तब सरकार के पक्ष में 269 वोट और खिलाफ में 270 वोट पड़े थे।
वाजपेयी ने स्पीकर के फैसले को चुनौती देने से किया इनकार
प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने तत्कालीन लोकसभा स्पीकर जीएमसी बालयोगी के ओडिशा के पूर्व सीएम गिरिधर गमांग को विश्वास मत पर वोट डालने के फैसले को चुनौती देने के साफ मना कर दिया था। राष्ट्रपति केआर नारायणन को अपना इस्तीफा सौंपने के बाद वाजपेयी ने कहा कि हम स्पीकर के फैसले को चुनौती नहीं देंगे। सरकार एक वोट से विश्वास मत हार गई । इससे पहले लोकसभा में संसदीय कार्य मंत्री पीआर कुमारमंगलम समेत सत्तारूढ़ गठबंधन के सदस्यों ने अध्यक्ष से कहा कि गमांग को वोट देने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। वह सब ऐसा इसलिए कह रहे थे क्योंकि वह सीएम के पद पर थे और 60 दिनों से ज्यादा समय से सदन में नहीं आए थे।
जेडीयू देगी एनडीए उम्मीदवार को समर्थन
विपक्षी गठबंधन इंडिया के दल कांग्रेस ने यह सुझाव दिया कि एनडीए के सहयोगी टीडीपी और जेडीयू को लोकसभा अध्यक्ष के उम्मीदवार पर ज्यादा फोकस करना चाहिए। वहीं, जेडीयू ने कहा कि वह इस पद के लिए भाजपा के द्वारा किसी भी चुने गए उम्मीदवार को अपना समर्थन देगी। जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि कांग्रेस जो कर रही है, वह ध्यान भटकाने वाला है। यह बिल्कुल भी सही नहीं है। यह परंपरा रही है कि सत्तारूढ़ गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी स्पीकर के बारे में फैसला लेती है। बीजेपी की तरफ से जो भी फैसला होगा, हमे वह मंजूर होगा।
एनडीए का होगा उम्मीदवार
टीडीपी ने अपनी तरफ से कहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन द्वारा तय किया गया उम्मीदवार एनडीए का प्रत्याशी होगा। टीडीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता पट्टाभि राम कोमारेड्डी ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि एनडीए के सहयोगी एक साथ मीटिंग करेंगे और तय करेंगे कि स्पीकर के लिए हमारा उम्मीदवार कौन होगा। एक बार सभी की सहमति बनने के बाद हम उस उम्मीदवार को मैदान में उतारेंगे और टीडीपी समेत सभी सहयोगी दल उसका समर्थन करेंगे।
टीडीपी ने स्पीकर की कुर्सी से नहीं किया इनकार
एनडीए सरकार के लिए टीडीपी और जेडीयू का समर्थन बहुत ही जरूरी है। हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में 240 सीटों के साथ बीजेपी बहुमत के आंकड़े 272 से दूर रह गई थी। टीडीपी को 16 सीटें मिलीं, जबकि जेडीयू को 12 सीटें मिलीं। टीडीपी ने स्पीकर की कुर्सी पर अपना दावा पेश करने के ऑप्शन को सिरे से नकारा नहीं है। ऐसे में जेडीयू के रुख से बीजेपी की स्थिति थोड़ी मजबूत नजर आती है। बीजेपी सूत्रों का कहना है कि पार्टी स्पीकर का पद अपने उम्मीदवार के लिए रखना चाहती है और उसने इस बारे में अपने सहयोगियों से बात भी कर ली है।