Mumbai Lok Sabha Elections: मुंबई में बजेगा ठाकरे का डंका या दिखाई देगा मोदी मैजिक? मतदान से पहले जानिए छह सीटों पर किस-किस के बीच मुकाबला
Mumbai Lok Sabha Seats: लोकसभा चुनाव को लेकर देश के हर कोने में चर्चा हो रही है। चर्चा यह कि इस बार सत्ता की चाबी किसके हाथ में होगी। इंडिया गठबंधन या एनडीए।कौन दल कितनी सीटें जीतेगा। यह ऐसे सवाल हैं, जो महानगरों, शहरों, कस्बों ही नहीं, बल्कि ग्रामीणों क्षेत्रों के गली-मोहल्ले में भी लोग चर्चा करते हुए नजर आते हैं। ऐसे में अगर हम बात देश की आर्थिक राजधानी मुंबई की करें तो यहां की राजनीति के समीकरण 2019 के अपेक्षा 2024 में काफी बदले हुए हैं।
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में तीन दशक से भी ज्यादा वक्त तक ब्रांड ठाकरे (दिवंगत बालासाहेब ठाकरे) का सिक्का चलता था। 2014 से पहले भाजपा की चुनावी वैतरणी भी इसी ब्रांड के सहारे पार होती रही है। पर इस बार राजनीतिक परिस्थितियां बदली हैं। शिवसेना के दो फाड़ होने से ठाकरे ब्रांड कमजोर पड़ चुका है। मजबूरी में उद्धव ठाकरे को कांग्रेस का हाथ पकड़कर चलना पड़ रहा है। फिर भी मुंबई में भाजपा-शिवसेना महायुति का मुकाबला कांग्रेस से नहीं, बल्कि ठाकरे की शिवसेना से हैं, क्योंकि मुंबई के 32 फीसदी मराठीभाषियों में उद्धव के प्रति सहानुभूति है।
उद्धव इसी ताकत के बल पर भाजपा और महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे की शिवसेना को लगातार चुनौती दे रहे हैं। यही वजह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पहली बार मुंबई में रोड शो करना पड़ा है। मुंबई की छह सीटों के नतीजे तय करेंगे कि यहां ब्रांड ठाकरे प्रभावी है या मोदी मैजिक।
दक्षिण मुंबई: 10 बार कांग्रेस, इस बार कौन
अरबपतियों के रिहायशी इलाके और कॉरपोरेट दफ्तरों वाले दक्षिण मुंबई में 1952 से लेकर 2019 तक कांग्रेस 10 बार चुनाव जीत चुकी है। भाजपा और शिवसेना को दो-दो बार जीत मिली। 1967 में जॉर्ज फर्नांडिस ने यहां कांग्रेस को हराया था। स्वतंत्रता के बाद पहली बार है, जब यहां कांग्रेस चुनावी मैदान से बाहर है। यहां शिवसेना (यूबीटी) के अरविंद सावंत (72) इंडी गठबंधन के उम्मीदवार हैं, जिनका मुकाबला शिवसेना की विधायक यामिनी जाधव (59) से है।
2019 लोकसभा चुनाव के नतीजे
प्रत्याशी | दल | मत |
अरविंद सावंत | शिवसेना | 4,21,937 |
मिलिंद देवड़ा | कांग्रेस | 3,21,870 |
मराठी बहुल (6.82 लाख) इस सीट पर मुस्लिम मतदाता (2.88 लाख) दूसरे और उत्तर भारतीय (1.97 लाख) मतदाता तीसरे स्थान पर हैं। इसके बाद गुजराती-मारवाड़ी (1.21 लाख) और दक्षिण भारतीय (1.36 लाख) मतदाताओं की संख्या सर्वाधिक है।
यही वजह है दोनों शिवसेना ने मराठी प्रत्याशी उतारे हैं। अरविंद सावंत को इस बार मुस्लिम बस्तियों के चक्कर लगाना पड़ रहा है, क्योंकि भाजपा से दूर होने के कारण उन्हें मारवाड़ी-गुजराती और उत्तर भारतीय मतों का नुकसान उठाना पड़ रहा है। वहीं, यामिनी जाधव न केवल मराठी मतों में बड़ी सेंधमारी के चक्कर में है, बल्कि मुस्लिम और अन्य वर्ग के मतदाताओं को भी आकर्षित कर रही हैं। मालबार हिल, मुंबादेवी, कोलाबा, भायखला, वरली और शिवड़ी दक्षिण मुंबई के प्रमुख इलाके हैं, जहां पुरानी और जर्जर हो चुकी इमारतों के पुनर्विकास का मुद्दा अहम है। वहीं, ट्रैफिक की समस्या आम है।
दक्षिण-मध्य मुंबई: धारावी की लड़ाई में कट्टर शिवसैनिक आमने-सामने
एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती के रूप में चर्चित धारावी मुंबई लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। अदाणी ग्रुप के माध्यम से इसके पुनर्विकास की कवायद शुरू की गई है। उद्धव ठाकरे इसके विरोध में हैं। उद्धव के लिए यह सीट प्रतिष्ठा का प्रश्न है। उन्होंने यहां अपने रणनीतिकार अनिल देसाई (66) को मैदान में उतारा है। वहीं, राहुल शेवाले (51) शिवसेना (शिंदे गुट) के प्रत्याशी हैं। धारावी की इस लड़ाई में दो कट्टर शिवसैनिक आमने-सामने हैं।
2019 लोकसभा चुनाव के नतीजे
प्रत्याशी | दल | मत |
राहुल शेवाले | शिवसेना | 4,24,913 |
एकनाथ गायकवाड़ | कांग्रेस | 2,72,774 |
राहुल शेवाले 2022 में उद्धव का साथ छोड़ एकनाथ शिंदे के खेमे में आ गए थे। उसके बाद वे लोकसभा में शिवसेना संसदीय दल के नेता बने। वहीं, पहली बार चुनाव लड़ रहे देसाई कभी उनके स्नेही रहे हैं। यह चुनाव देसाई का इम्तिहान भी है। इंडी गठबंधन में होने के कारण उन्हें मराठी के अलावा 20 फीसदी मुस्लिम मतों का सहारा मिल सकता है। वहीं, 42 फीसदी मराठी मतों में से 28 फीसदी दलित मतदाता दो बार के सांसद शेवाले की ताकत है। इसके अलावा उन्हें 10 फीसदी उत्तर भारतीय, 8.5 फीसदी दक्षिण भारतीय मतदाताओं का भी साथ मिल सकता है।
धारावी से दादर, माहिम, सायन- कोलीवाड़ा, अणुशक्तिनगर, चेंबूर, मानखुर्द, वड़ाला तक फैले इस क्षेत्र में 15 उम्मीदवार हैं। शेवाले धारावी वासियों को पक्का मकान का वादा कर हैट्रिक लगाने की कोशिश में हैं।
उत्तर मुंबई: भाजपा के दबदबे में फंसी कांग्रेस
उत्तर प्रदेश के राज्यपाल रहे राम नाईक यहां से लगातार पांच बार सांसद रहने का कीर्तिमान बना चुके हैं। हालांकि 2004 में अभिनेता गोविंदा और फिर संजय निरूपम से मात खा गए थे। इसके बाद भाजपा के गोपाल शेट्टी ने दो बार इस सीट का प्रतिनिधित्व किया। पिछले चुनाव में शेट्टी ने अभिनेत्री से नेता बनीं कांग्रेस की उर्मिला मातोंडकर को 4.65 लाख मतों से पराजित किया था।
2019 लोकसभा चुनाव के नतीजे
प्रत्याशी | दल | मत |
गोपाल शेट्टी | भाजपा | 7,06,678 |
उर्मिला मातोंडकर | कांग्रेस | 2,41,431 |
इस बार भाजपा ने उनका पत्ता काटकर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल (59) को उम्मीदवार बनाया है। वहीं, कांग्रेस ने नामांकन से दो दिन पहले ही स्थानीय नेता भूषण पाटिल (55) को टिकट देकर मैदान में उतारा है।
राजनीतिक कद में पीयूष और भूषण में कोई तुलना नहीं है। पाटिल काफी जूनियर नेता हैं, लेकिन पांच लाख से अधिक मराठी मतों के सहारे चमत्कार की उम्मीद में हैं। भाजपा इस सीट पर पिछले 9 चुनावों में 7 बार जीत दर्ज कर चुकी है। यहां भले ही मराठी मतदाताओं की संख्या अधिक है, पर गुजराती, मारवाड़ी और उत्तर भारतीय मतदाता प्रत्याशियों का जीत-हार तय करते हैं। यहां की छह विधानसभा सीटों में से 5 पर भाजपानीत महायुत्ति के विधायक हैं। बोरिवली, कांदिवली (पू), मलाड (प), चारकोप, मागाठाणे और दहिसर तक फैले इस क्षेत्र में सर्वाधिक 32 फीसदी मराठी, 28 फीसदी गुजराती-मारवाड़ी, 20 फीसदी उत्तर भारतीय के अलावा मुस्लिम, दक्षिण भारतीय, जैन और सिंधी मतदाता हैं।
उत्तर-पश्चिम मुंबई: ईडी के निशाने पर रहे दोनों धुरंधर
इस लोकसभा क्षेत्र में फिल्मसिटी है, तो वसोंवा का समुद्री किनारा भी। यहां शिवसेना (यूबीटी) ने सांसद गजानन कीर्तिकर के पुत्र अमोल कीर्तिकर (52) को और शिवसेना (शिंदे गुट) ने लोकसभा चुनाव घोषित होने के कुछ दिनों पहले तक उद्धव ठाकरे के करीबी रहे विधायक रवीन्द्र वायकर (65) को मैदान में उतारा है।
कीर्तिकर कोरोना में खिचड़ी घोटाले में आरोप में घिरे हैं। वहीं, वायकर उद्यान के लिए आरक्षित जमीन पर आलीशान होटल बनाने को लेकर जांच के दायरे में हैं। दोनों प्रतिद्वंदी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के निशाने पर रहे हैं।
2019 लोकसभा चुनाव के नतीजे
प्रत्याशी | दल | मत |
गजानन कीर्तिकर | शिवसेना | 5,70,063 |
संजय निरूपम | कांग्रेस | 3,09,735 |
अमोल 2019 के विधानसभा चुनाव में गोरेगांव से चुनाव हार चुके हैं। महत्वपूर्ण यह है कि अमोल को उनके पिता मौजूदा सांसद गजानन कीर्तिकर का ही साथ नहीं मिल रहा।
सांसद कीर्तिकर शिवसेना में दो फाड़ होने के बाद एकनाथ शिंदे के खेमे आ गए थे, जबकि उनका बेटा उद्धव के साथ रहा। पिछले चुनाव में गजानन को टक्कर देने वाले संजय निरूपम भी इस बार कांग्रेस को कोसते हुए वायकर का प्रचार कर रहे हैं।
वायकर को जानने वाले कम लोग हैं, इसलिए वे मोदी के करिश्मे और भाजपा कार्यकर्ताओं पर निर्भर है। यहां मराठी मतदाता सर्वाधिक 37% हैं, लेकिन मतों में विखराव की संभावना के चलते मुस्लिम और उत्तर भारतीय मत अहम माने जा रहे हैं। इस लोकसभा क्षेत्र में गोरेगांव, वर्सोवा, अंधेरी पश्चिम और पूर्व के अलावा दिंडोशी और जोगेश्वरी कई समुदाय का मिश्रित इलाका हैं।
उत्तर-मध्य मुंबई: सियासी चौसर में कानून के उस्ताद
फिल्मी सितारे और मशहूर हस्तियों वाला बांद्रा और खार जैसे इलाके इसी संसदीय क्षेत्र में हैं। बांद्रा पूर्व में अवैध रूप से बनीं ऊंची- ऊंची झुग्गियां और कुर्ला की तंग गलियों के अलावा प्रसिद्ध जुहू बीच भी है।
भाजपा ने 26-11मुंबई हमले के आतंकी अजमल कसाब सहित 37 लोगों को फांसी दिलाने और 628 दोषियों को उम्रकैद दिलाने वाले चर्चित अधिवक्ता उज्ज्वल निकम (69) को और कांग्रेस ने मुंबई इकाई की अध्यक्ष विधायक वर्षा गायकवाड़ (49) को उतारा है।
2019 लोकसभा चुनाव के नतीजे
प्रत्याशी | दल | मत |
पूनम महाजन | भाजपा | 4,86,672 |
प्रिया दत्त | कांग्रेस | 3,56,667 |
पूनम महाजन की जगह निकम को प्रत्याशी बनाए जाने पर शुरुआत में वर्षा एकतरफा लड़ाई में दिख रही थीं, लेकिन, विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार ने एटीएस चीफ हेमंत करकरे की शहादत के मामले में वकील निकम को देशद्रोही करार देकर उनकी चुनावी फिजा बना दी है। इसके बाद निकम भी मुखर हो गए हैं। वह कहते हैं कि जो मुझे देशद्रोही कह रहे हैं, उनके बारे में मुंह खोला तो कांग्रेस का नामोनिशान मिट जाएगा।
कानून के उस्ताद निकम राजनीति में नए हैं, जबकि धारावी की विधायक वर्षा पूर्व सांसद एकनाथ गायकवाड की बेटी हैं। मंत्री रह चुकी वर्षा कहती हैं कि भाजपा ध्रुवीकरण की राजनीति करती है। कुर्ला, चांदिवली, बांद्रा के अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में वर्षा का प्रभाव है जबकि विले पार्ले और बांद्रा (प) में भाजपा की पकड़ है। भाजपा को यहां मोदी का जादू चलने का भरोसा है।
उत्तर-पूर्व मुंबई: गुजराती बनाम मराठी की लड़ाई
अस्सी के दशक में सुब्रमण्यम स्वामी की सीट रही उत्तर-पूर्व मुंबई कालातंर में कांग्रेस ने लपक ली थी। कांग्रेस के गुरुदास कामत और भाजपा के प्रमोद महाजन भी इस सीट की नुमाइंदगी कर चुके है। बीते एक दशक से यह भाजपा का गढ़ है। भाजपा ने गुजराती भाषी विधायक मिहिर कोटेचा (49) और शिवसेना (यूबीटी) ने इस सीट से एनसीपी के पूर्व सांसद संजय पाटिल (55) को उतारा है। इसलिए यहां सीधे तौर पर गुजराती बनाम मराठी की लड़ाई है। इसी वजह से प्रधानमंत्री मोदी को भी इस रण में उतरना पड़ा। भाजपा को मोदी मैजिक के सहारे हैट्रिक की उम्मीद है।
2019 लोकसभा चुनाव के नतीजे
2019 लोकसभा चुनाव के नतीजे
प्रत्याशी | दल | मत |
मनोज कोटक | भाजपा | 5,14,599 |
संजय पाटिल | एनसीपी | 2,88,113 |
संजय पाटिल 2009 में पहली बार इस सीट पर जीते थे, उसके बाद दो बार हार का सामना करना पड़ा। इस बार उन्होंने उद्धव की शिवसेना से ताल ठोका है, जबकि मुलुंड के विधायक कोटेचा पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं।
इस सीट पर संजय पाटिल नाम के तीन उम्मीदवार हैं। संजय पाटिल भाजपा पर डमी उम्मीदवार उतारने का आरोप लगाते हैं। पाटिल कहते हैं कि भले ही मतदाताओं को भ्रमित करने के लिए यह हथकंडा अपनाया गया है, लेकिन वे सफल नहीं होंगे। इस सीट पर कुल 20 प्रत्याशी मैदान में हैं। 7 लाख से अधिक मराठी मतदाताओं के अलावा इस सीट पर करीब पौने तीन लाख मुस्लिम मतदाता हैं। ढाई लाख उत्तर भारतीय, 95 हजार दक्षिण भारतीयों के अलावा दो लाख से अधिक गुजराती और मारवाड़ी मतदाता हैं।