Himachal Politics: लोकसभा चुनाव के बाद हिमाचल में तीन विधानसभा सीट पर होना है उपचुनाव, सुक्खू के लिए बड़ी चुनौती
Himachal Pradesh News: अभी लोकसभा के आम चुनावों की अस्सी दिन चली लंबी प्रक्रिया से सरकारी मशीनरी व राजनीतिक दल पूरी तरह निपटे भी नहीं थे कि प्रदेश में तीन और विधानसभा सीटों की रणभेरी बज गई। राज्यसभा की सीट के लिए हुए उपचुनाव में हुई क्रास वोटिंग का जो राजनीतिक हंगामा फरवरी महीने में हुआ था उसका असर अभी भी जारी हैं।
लोकसभा की चार सीटों के साथ साथ उन छह कांग्रेसी विधायकों के क्षेत्रों में भी उपचुनाव हुए जिन्होंने भाजपा के पक्ष में क्रास वोटिंग करके कांग्रेस के उम्मीदवार को हरा दिया था। बाद में विधानसभा अध्यक्ष ने इन सभी छह कांग्रेसी विधायकों, जो बाद में भाजपा में शामिल हो गए थे, को अयोग्य करार दे दिया था। इन छह विधायकों में से दो बड़सर से इंद्रदत लखनपाल व धर्मशाला से सुधीर शर्मा ही भाजपा के टिकट पर जीत कर फिर से विधानसभा में पहुंच गए जबकि लाहुल स्पीति से रवि ठाकुर, गगरेट से चैतन्य शर्मा, कुटलैहड़ से देवेंद्र भुट्टो व सुजानपुर से राजेंद्र राणा भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ते हुए हार गए।
दूसरी ओर प्रदेश विधानसभा में जो तीन निर्दलीय विधायक देहरा से होशियार सिंह राणा, नालागढ़ से के एल ठाकुर व हमीरपुर आशीष शर्मा थे, इनके इस्तीफों पर विधानसभा अध्यक्ष ने तब फैसला दिया जब लोकसभा व छह विधानसभा सीटों के लिए मतदान हो गया। ऐसे में अब ये तीन सीटें फिर से खाली हो गई, जिन पर अब 10 जुलाई को मतदान होना है।
निर्दलीय अब बीजेपी के टिकट पर ठोक रहे ताल
भारतीय जनता पार्टी ने तो इन तीनों ही निर्दलीय रहे विधायकों को अपना उम्मीदवार बना दिया है जबकि कांग्रेस नालागढ़ व हमीरपुर से 2022 में रहे उम्मीदवारों हरदीप सिंह बाबा व डा पुष्पेंद्र वर्मा पर ही दांव खेला है। देहरा से मुख्यमंत्री की पत्नी कमलेश ठाकुर को उम्मीदवार बनाया गया है। हिमाचल प्रदेश एक बार फिर से चुनावी रंग में है। एक बार फिर से भाजपा व कांग्रेस आमने सामने आ गए हैं।
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को सभी चारों सीटों पर हार मिली मगर उसके लिए हल्की राहत यह रही कि कुछ समय पहले उसके अपने ही विधायक रहे छह उम्मीदवारों के सामने नए चेहरे उतारने पड़े और इन पर चार में उसे जीत मिल गई। वर्तमान में 68 विधानसभा सीटों में से तीन खाली हैं जबकि 65 की संख्या में इस वक्त कांग्रेस के 38 व भाजपा के 27 विधायक हैं। अब तीन सीटों पर जंग शुरू हो चुकी है। कांग्रेस अपने आंकड़े को 41 तक ले जाना चाहती है जबकि भाजपा 30 का आंकड़ा छूना चाहती है। यदि तीनों ही सीटें भाजपा भी ले जाए तो भी अंकगणित के हिसाब से प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार को कोई खतरा नहीं है मगर उनके लिए तीनों सीटें जीत कर अपना आंकड़ा पहले के 40 से बढ़ा कर 41 करने की बड़ी चुनौती है।
तीनों ही सीटों पर जहां उपचुनाव हो रहे हैं उन पर कांग्रेस पिछले कई चुनावों से हारती आ रही है। ऐसे में यदि वह भाजपा से कोई भी सीट छीन लेती है तो यह उसके लिए बड़ी जीत मानी जाएगी। देहरा में 15 साल से कांग्रेस नहीं जीती, यही कारण है कि यहां से मुख्यमंत्री की पत्नी कमलेश ठाकुर को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया है और आतंरिक गुटबाजी को रोकने के लिए यह कदम उठाया है। दोनों ही दल स्थानीय कारणों से अंदरूनी फूट का शिकार हैं ऐसे में इन तीन उपचुनावों की नतीजों को लेकर भी अब काफी दिलचस्पी बन गई है।