अमिताभ बच्चन ने 40 साल पहले कांग्रेस के लिए जीती थी ये लोकसभा सीट, क्या पार्टी खत्म कर पाएगी हार का सूखा?
Lok Sabha Chunav 2024: दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में नई सरकार के गठन के लिए चुनाव प्रक्रिया जारी है। इसी बीच, इलाहाबाद की लोकसभा सीट भी चर्चा का विषय बनी हुई है। इलाहाबाद सीट से कांग्रेस 40 साल से लोकसभा चुनाव नहीं जीत पाई है। यहां से फिल्म स्टार अमिताभ बच्चन ने 1984 में कांग्रेस को जीत दिलाई थी। कांग्रेस पार्टी ने अब उज्ज्वल रमण पर दांव खेला है। वहीं, बीजेपी ने नीरज त्रिपाठी को उम्मीदवार बनाया है। इलाहाबाद लोकसभा सीट पर 25 मई को वोटिंग होगी।
अपने बचपन के दोस्त पूर्व पीएम राजीव गांधी के कहने पर 1984 के चुनाव में उतरे अमिताभ बच्चन को 2.97,461 वोट मिले थे जो कुल पड़े 4,36,120 वोटों का 68.21 फीसदी था। दूसरे नंबर पर लोकदल के उम्मीदवार हेमवती नन्दन बहुगुणा रहे जिन्हें 1.09,666 वोट मिले थे। 1984 के उस लोकसभा इलेक्शन में अमिताभ बच्चन और बहुगुणा के अलावा बाकी के 24 प्रत्याशियों को एक प्रतिशत वोट भी नहीं मिले थे।
इलेक्शन में गढ़े गए कई तरह के नारे
1984 के लोकसभा चुनाव में हेमवती नंदन बहुगुणा और मेगास्टार अमिताभ बच्चन के बीच लड़े गए चुनाव में कई तरह के नारे भी बने। लोगों का इस तरह का समर्थन अमिताभ बच्चन को मिल रहा था कि चुनाव की कमान कांग्रेस के भी हाथ से निकल गई थी। बल्कि चुनाव की कमान जनता ने अपने हाथों में ले ली थी। कांग्रेस पार्टी और विपक्ष दलों के नारे राजनीतिक थे। लेकिन युवाओं ने इस चुनाव में कुछ अलग ही नारेबाजी कर थे जो खूब चर्चा में रहे। युवाओं की तरफ से नारे लग रहे थे कि एक नारा युवाओं की तरफ से यह भी गढ़ा गया कि जब से अमिताभ आए हैं बहुगुणा नहीं नहाए हैं।
इलाहाबाद लोकसभा सीट से 40 साल से नहीं जीती कांग्रेस
इलाहाबाद लोकसभा सीट की बात करें तो कांग्रेस इस बार हार का सूखा खत्म करने के लिए मैदान में उतरी है। इस बार इंडिया गठबंधन की तरफ से कांग्रेस पार्टी ने उज्ज्वल रमण को उम्मीदवार बनाया है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी ने नीरज त्रिपाठी को मैदान में उतारा है। इस सीट ने देश को बड़ी राजनीतिक शख्सियतें दी हैं। देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री, वीपी सिंह, मुरली मनोहर जोशी, जनेश्वर जैसे राजनीतिक दिग्गज यहां से चुनाव जीते। हेमवती नंदन बहुगुणा जैसे दिग्गज को हराकर अमिताभ बच्चन भी यहां के सांसद रहे।
इस सीट से पहले सांसद श्रीप्रकाश स्वतंत्रता सेनानी थे और कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े थे। उनके बाद लाल बहादुर शास्त्री 1957 में यहां से सांसद चुने गए। 1973 में भारतीय क्रांति दल के जनेश्वर मिश्रा को लोगों ने विजयी बनाया है। 1984 में अमिताभ बच्चन कांग्रेस की टिकट पर सांसद चुने। 1988 के उपचुनाव में वीपी सिंह निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में विजयी हुए।
मुरली मनोहर जोशी तीन बार सांसद रहे
1998, 2004 और 2009 में मुरली मनोहर जोशी ने जीत दर्ज की। 2004 में समाजवादी पार्टी के रेवती रमण सिंह यहां से चुने गए। 2014 में मोदी लहर में यह सीट बीजेपी के खाते में चली गई, तब से इस सीट पर भारतयी जनता पार्टी का कब्जा है। बता दें, मुरली मनोहर जोशी तीन बार इस सीट से सांसद रहे। दो बार लाल बहादुर शास्त्री और दो बार कुंवर रेवतीरमण सिंह सांसद चुने गए। साल 1988 में हुए उपचुनाव में विश्वनाथ प्रताप सिंह ने कांग्रेस के सुनील शास्त्री को हराया और बसपा संस्थापक कांशीराम को तीसरे नंबर पर संतोष करना पड़ा था।