scorecardresearch
For the best experience, open
https://m.jansatta.com
on your mobile browser.

कहानी झारखंड के उस नेता की, जो निर्दलीय विधायक रहते हुए बना मुख्यमंत्री, महज 35 की उम्र में हासिल किया मुकाम

भारतीय जनता पार्टी ने 2005 में उन्हें टिकट देने से मना कर दिया और कोडा ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया।
Written by: न्यूज डेस्क
नई दिल्ली | Updated: July 04, 2024 19:20 IST
कहानी झारखंड के उस नेता की  जो निर्दलीय विधायक रहते हुए बना मुख्यमंत्री  महज 35 की उम्र में हासिल किया मुकाम
झारखंड के पूर्व सीएम मधु कोडा। (इमेज-पीटीआई)
Advertisement

Jharkhand Politics: झारखंड में एक बार फिर नेतृत्व परिवर्तन हुआ है। हाल ही में जेल से जमानत पर बाहर आए हेमंत सोरेन ने गुरुवार को तीसरी बार राज्य के सीएम पद की शपथ ली है। इससे पहले बुधवार को चंपई सोरेन ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया था। अब हम बात करेंगे उस निर्दलीय विधायक की जो कम उम्र में ही सूबे का मुख्यमंत्री बन गया।

Advertisement

यह कहानी किसी बॉलीवुड स्क्रिप्ट की तरह हो सकती है। लेकिन झारखंड के पूर्व सीएम मधु कोड़ा के मामले में सच्चाई कल्पना से कहीं ज्यादा अजीब है। वह जब एक नए राज्य के सीएम बने तो उनकी उम्र 35 साल के आसपास थी और वे इस पद पर पहुंचने वाले पहले निर्दलीय विधायक थे। मधु कोड़ा ने अपनी मंजिल तक पहुंचने के लिए कई परेशानियों का सामना किया। इतना ही नहीं उनका पतन भी उतनी तेजी के साथ में हुआ था,जितना तेजी से उनका विकास हुआ था।

Advertisement

अब हम मधु कोड़ा के जीवन की शुरुआत की बात करें तो वह एक साधारण तरह से ही हुई थी। उनके पिता एक छोटे किसान थे और वह अपने बेटे को भी किसान ही बनाना चाहते थे। 2009 में एक मीडिया चैनल को दिए इंटरव्यू में उनके पिता रसिका कोडा ने कहा कि उनके बेटे का राजनीति में एंट्री करने का फैसला एक गलती थी।

कोड़ा ने अपनी इच्छाओं को पूरा किया- रसिका कोड़ा

रसिका कोड़ा ने कहा था कि मैंने उसे राजनीति में नहीं जाने के लिए बार-बार बोला था और काफी मनाया भी था, लेकिन उसने किसी की भी नहीं सुनी और वह कहता था कि उसे देश की सेवा करनी है। उन्होंने यह भी कहा कि मैं अभी यह तय नहीं कर पाया हूं कि अभी तक कोड़ा ने देश की कितनी सेवा की है। लेकिन जब वह साल 2006 से 2008 तक राज्य का सीएम था तो उसने अपनी सभी इच्छाओं को जरूर पूरा किया।

कोड़ा का नाम कोयला घोटाले में आया और विवादों में घिर गए। कोड़ा के साथ-साथ पूर्व कोयला सचिव हरीश चंद्र गुप्ता और झारखंड के पूर्व मुख्य सचिव एके बसु को भी दोषी पाया गया और इन तीनों को तीन-तीन साल की सजा सुनाई गई। कोयला घोटाला तो केवल एक झलक ही था। झारखंड सरकार और इस्पात मंत्रायल ने कोयला ब्लॉक को देने से साफ मना कर दिया था। इतना ही नहीं, गुप्ता ने पूर्व पीएम मनमोहन सिंह से इस बात को भी छिपाया कि एक दशक से भी ज्यादा समय से खनन अधिकार निजी खिलाड़ियों को सस्ते दामों पर दे दिए गए और बाद मे आवंटन रद्द कर दिए गए।

Advertisement

राजनीति में भ्रष्टाचार के घोटाले काफी लंबे समय से वोटर्स को चौंका नहीं पाए हैं। लोगों के हिसाब से कोयला घोटाला कुछ ज्यादा ही बेशर्मी भरा था। इसकी वजह से मनमोहन सिंह की ईमानदारी भी खतरे में पड़ गई थी।

मधु कोड़ा का राजनीतिक करियर

कोड़ा ने 2000 में पहली बार जगन्नाथपुर से चुनाव लड़ा था और जीत दर्ज की थी। कोड़ा भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुने गए थे। उसी साल बाद में झारखंड को बिहार से अलग कर दिया गया और कोड़ा को रुरल डेवलेपमेंट के राज्य मंत्री का पद मिला। बाबूलाल मरांडी राज्य के मुख्यमंत्री थे। मरांडी ज्यादा लंबे समय तक अपने पद पर नहीं टिक पाए। इसकी वजह यह थी कि पार्टी के अंदर विद्रोह के स्वर उठ गए थे। इसके बाद 2003 में अर्जुन मुंडा ने सीएम पद की शपथ ली। कोडा को पंचायती राज का मंत्री बनाया गया।

भारतीय जनता पार्टी ने 2005 में उन्हें टिकट देने से मना कर दिया और कोडा ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया। खंडित जनादेश के कारण वे बीजेपी के नेतृत्व में बननेवाली अर्जुन मुंडा की सरकार का उन्होंने बाहर से समर्थन किया और उन्हें खान एवं भूवैज्ञानिक मामलों (Mines and Geological Affairs) का मंत्री बनाया गया। लेकिन एक साल के अंदर ही कोडा और तीन अन्य निर्दलीय विधायकों ने अपने पांव खींच लिए और मुंडा की सरकार गिर गई। कोडा और कमलेश सिंह, बंधु तिर्की, एनोस एक्का और सुदेश महतो जी-5 के नाम से जाने जाते थे। यह पांच निर्दलीयों का एक ग्रुप था। इन्हीं पर सरकार टिकी हुई थी। इनके पास बहुत ज्यादा शक्ति थी और यह सरकार के साथ हर सौदे में सामने आती थी।

मधु कोडा राज्य के सीएम बने

मुंडा की सरकार गिरने के बाद कोड़ा को सभी की सहमति से चुन लिया गया। उन्होंने यूपीए के समर्थन से नई सरकार का गठन किया। हालांकि, 2008 में भी कुर्सी का खेल जारी ही रहा। जेएमएम ने अपना समर्थन वापस ले लिया और कोडा को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। लेकिन इस समय तक खदानें बांटी जा चुकी थी और पैसे कमाए जा चुके थे। 2009 में कोड़ा को अरेस्ट कर लिया गया। सीबीआई और ईडी ने दावा किया कि कोडा ने सीएम का पद संभालने के बाद कोयला घोटाले में रिश्वत ली। टाइम्स ऑफ इंडिया की 2013 की एक रिपोर्ट में आरोप लगाया गया था कि कोड़ा और उनके साथियों ने 4000 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति हासिल कर ली थी। गिरफ्तारी के बाद कोड़ा की मुश्किलों में इजाफा कम नहीं हुआ। वे 2014 में झारखंड का विधानसभा चुनाव हार गए।

Advertisement
Tags :
Advertisement
Jansatta.com पर पढ़े ताज़ा एजुकेशन समाचार (Education News), लेटेस्ट हिंदी समाचार (Hindi News), बॉलीवुड, खेल, क्रिकेट, राजनीति, धर्म और शिक्षा से जुड़ी हर ख़बर। समय पर अपडेट और हिंदी ब्रेकिंग न्यूज़ के लिए जनसत्ता की हिंदी समाचार ऐप डाउनलोड करके अपने समाचार अनुभव को बेहतर बनाएं ।
×
tlbr_img1 Shorts tlbr_img2 खेल tlbr_img3 LIVE TV tlbr_img4 फ़ोटो tlbr_img5 वीडियो