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कश्मीर में आतंकियों का काल तैयार, अमेरिकी मरीन की तर्ज पर 960 जवानों ने संभाला मोर्चा; जानिए कैसे चुन-चुनकर करेंगे वार

Jammu and Kashmir: इन 960 पुलिसकर्मियों को अमेरिकी की मरीन पैटर्न की तरह तैयार किया गया है। इनमें से लगभग 560 पुलिसकर्मी जम्मू संभाग के सीमावर्ती क्षेत्रों में तथा शेष कश्मीर घाटी में तैनात किये गये हैं।
Written by: arun sharma
जम्मू कश्मीर | Updated: July 04, 2024 15:53 IST
कश्मीर में आतंकियों का काल तैयार  अमेरिकी मरीन की तर्ज पर 960 जवानों ने संभाला मोर्चा  जानिए कैसे चुन चुनकर करेंगे वार
Jammu-Kashmir: जम्मू-कश्मीर में अब ये जवान आतंकियों का करेंगे खात्मा। (एक्सप्रेस)
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Jammu and Kashmir: जम्मू-कश्मीर पुलिस ने केंद्र शासित प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों में 960 प्रशिक्षित पुलिसकर्मियों की एक नई टुकड़ी तैनात की है। यह सुरक्षाबलों की बेहद खूंखार टुकड़ी विशेष रूप से घुसपैठ और आतंकवाद से निपटने का काम करेगी। ऐसा कहा जा रहा है कि सरकार की तरफ से यह कदम पाकिस्तान से भारी हथियारों से लैस आतंकवादियों की घुसपैठ में वृद्धि के बीच उठाया गया है। इसी को देखते हुए पुलिस की स्पेशल टुकड़ी तैनात की गई है।

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इन 960 पुलिसकर्मियों को अमेरिकी की मरीन पैटर्न की तरह तैयार किया गया है। इनमें से लगभग 560 पुलिसकर्मी जम्मू संभाग के सीमावर्ती क्षेत्रों में तथा शेष कश्मीर घाटी में तैनात किये गये हैं। गौरतलब है कि यह जम्मू-कश्मीर पुलिस का पहला ऐसा बल है जिसके कर्मियों को किसी अन्य ड्यूटी पर तैनात नहीं किया जा सकता।

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जम्मू-कश्मीर पुलिस के महानिदेशक (डीजीपी) आरआर स्वैन ने बताया कि बुधवार को जम्मू-कश्मीर पुलिस प्रशिक्षण स्कूल से पास आउट हुए करीब 960 जवानों को सीमावर्ती इलाकों में तैनात किया गया है। उन्होंने बताया कि उनकी भर्ती उनके इलाके के आधार पर की गई है। स्वैन ने कहा, "सीमावर्ती इलाकों से चयन किया जाएगा और उन्हें सीमावर्ती इलाकों में तैनात किया जाएगा।" उन्होंने कहा, "वे केवल घुसपैठ रोधी और आतंकवाद रोधी मोर्चों पर काम करेंगे और उन्हें पीएसओ (निजी सुरक्षा अधिकारी) या कार्यालय में या किसी अन्य अतिरिक्त कार्य के लिए तैनात नहीं किया जाएगा।" उन्होंने कहा कि इन जवानों पर काम के लिए सख्त पाबंदी है।

डीजीपी स्वैन ने कहा, "इन पुलिस कर्मियों को सुपरवाइज करने वाले अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि उन्हें उनके मूल घुसपैठ-रोधी और आतंकवाद-रोधी कार्य के अलावा किसी अन्य काम पर नहीं लगाया जा सकता। आप उन्हें केवल घुसपैठ-रोधी और आतंकवाद-रोधी कार्य पर ही तैनात करेंगे, ताकि सामान्य क्षेत्र की सुरक्षा बढ़े और विरोधी के लिए घुसपैठ करना और आतंक फैलाना बेहद मुश्किल हो जाए।"

स्वैन ने बताया कि ये जवान “सीमावर्ती गांवों से” “बहुत युवा” लोग हैं, वे इलाके को अच्छी तरह से जानते हैं और दुश्मन की रणनीति को भी समझते हैं। उन्होंने कहा, “वे हमारे अपने लड़के हैं और वे जम्मू-कश्मीर के बाहर के स्थानों से नहीं हैं। यहां तक ​​कि जम्मू-कश्मीर के अन्य जिलों से भी नहीं, बल्कि संबंधित सीमावर्ती तहसीलों से ही हैं।”

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इस बीच, सूत्रों ने बताया कि इन विशेष रूप से प्रशिक्षित कर्मियों को उनकी संबंधित सीमावर्ती तहसीलों में तैनात करने के पीछे का उद्देश्य मानव खुफिया तंत्र को मजबूत करना है। चूंकि ये कर्मी स्थानीय हैं, इसलिए उम्मीद है कि उन्हें क्षेत्र में किसी भी असामान्य गतिविधि के बारे में जानकारी प्राप्त करने में आसानी होगी। इससे पुलिस और सुरक्षा बलों को सीमा के पास ही घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों से निपटने में भी मदद मिलने की उम्मीद है।

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पिछले महीने, सुरक्षा एजेंसियों का ध्यान आकर्षित किए बिना डोडा और रियासी जिलों के दूरदराज के इलाकों में आतंकवादी पहुंच गए थे। कठुआ जिले के सैदा गांव में जम्मू कश्मीर पुलिस और सुरक्षा बलों ने दो आतंकवादियों को मार गिराया था। हालांकि, यह आतंकी किसी तरह गांव पहुंचे थे और उन्होंने पानी के लिए दरवाजा खटखटाया था, जिससे ग्रामीण चौकन्ने हो गए थे और उन्होंने पुलिस को अलर्ट कर दिया था। डोडा जिले में पुलिस और सुरक्षा बलों ने बड़े पैमाने पर तलाशी अभियान चलाया और तीन आतंकवादियों को मार गिराया। आतंकवादियों ने पुलिस और सेना की संयुक्त चौकी पर हमला करके अपनी उपस्थिति दर्ज कराई थी।

इसी प्रकार, रियासी जिले में सुरक्षा एजेंसियों को आतंकवादियों के एक समूह की ताजा घुसपैठ के बारे में तब पता चला जब उन्होंने रनसू गांव के पास कटरा जा रही तीर्थयात्रियों की एक बस पर हमला किया, जिसमें नौ लोगों की मौत हो गई और कई अन्य घायल हो गए।

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