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इंडिया या भारत... किस शब्द का करें इस्तेमाल? NCERT डायरेक्टर ने संविधान का जिक्र कर कही बड़ी बात

एनसीईआरटी डायरेक्टर दिनेश सकलानी ने कहा कि भारत और इंडिया शब्दों पर बहस बेकार है, क्योंकि संविधान इन दोनों का समर्थन करता है।
Written by: न्यूज डेस्क | Edited By: Nitesh Dubey
नई दिल्ली | Updated: June 17, 2024 19:35 IST
NCERT किताबों में बदलाव हुआ है।
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एनसीईआरटी किताबों में संशोधन के विवाद के बीच इंडिया और भारत शब्द के चयन को लेकर एनसीईआरटी डायरेक्टर दिनेश सकलानी का बड़ा बयान सामने आया है। दिनेश सकलानी ने कहा है कि 'भारत' और 'इंडिया' दोनों शब्दों का उपयोग किया जा सकता है। समाचार एजेंसी पीटीआई के साथ एक इंटरव्यू में दिनेश सकलानी ने कहा कि इन शब्दों पर बहस बेकार है, क्योंकि संविधान इन दोनों का समर्थन करता है। उन्होंने आगे कहा कि एनसीईआरटी को अपनी पाठ्यपुस्तकों में 'भारत' या 'इंडिया' का उपयोग करने में कोई आपत्ति नहीं है।

दिनेश सकलानी ने कहा, "हमारी स्थिति वही है जो हमारा संविधान कहता है और हम उसका समर्थन करते हैं। हम भारत का उपयोग कर सकते हैं, हम इंडिया का उपयोग कर सकते हैं, समस्या क्या है?" एनसीईआरटी डायरेक्टर की टिप्पणी तब आई है जब स्कूली पाठ्यक्रम को संशोधित करने के लिए काम कर रहे सामाजिक विज्ञान के एक हाई लेवल पैनल ने पिछले साल सभी पाठ्यपुस्तकों में 'इंडिया' की जगह 'भारत' की सिफारिश की थी।

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कमेटी ने तब कहा था, "समिति ने सर्वसम्मति से सिफारिश की है कि 'भारत' नाम का उपयोग सभी कक्षाओं के छात्रों के लिए पाठ्यपुस्तकों में किया जाना चाहिए। भारत एक सदियों पुराना नाम है। भारत नाम का इस्तेमाल विष्णु पुराण जैसे प्राचीन ग्रंथों में किया गया है, जो 7,000 साल पुराना है।"

एनसीईआरटी अपनी 12वीं कक्षा की राजनीति विज्ञान की पाठ्यपुस्तक में कुछ चूक को लेकर विवादों में है, जो पिछले हफ्ते बाजार में आई थी। पुस्तक में बाबरी मस्जिद को लेकर कोई उल्लेख नहीं किया गया है। इसके बजाय इसे 'तीन-गुंबददार संरचना' के रूप में बताया गया है। रविवार को द इंडियन एक्सप्रेस के साथ एक इंटरव्यू में दिनेश सकलानी ने गुजरात दंगों और बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद हुई हिंसा को किताब से हटाने को उचित ठहराया और कहा कि एक विशेषज्ञ समिति ने महसूस किया कि कुछ चुनिंदा चीजों का उल्लेख करना अच्छा नहीं है।

दिनेश सकलानी ने द इंडियन एक्सप्रेस को यह भी बताया कि अयोध्या खंड में संशोधन विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया पर आधारित थे और विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के 2019 के फैसले को बताने के लिए किए गए थे।

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