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भारत-म्यांमार की 1643 किलोमीटर लंबी सीमा की होगी फेंसिंग, फैसले के मायने समझिए

भारत-म्यांमार की 1643 किलोमीटर वाली सीमा की फेंसिंग होने वाली है। गृह मंत्री अमित शाह ने इसका ऐलान कर दिया है।
Written by: न्यूज डेस्क | Edited By: Sudhanshu Maheshwari
नई दिल्ली | Updated: February 06, 2024 23:43 IST
भारत म्यांमार की 1643 किलोमीटर लंबी सीमा की होगी फेंसिंग  फैसले के मायने समझिए
इंडिया-म्यांमार सीमा की होगी फेंसिंग
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भारत-म्यांमार की 1643 किलोमीटर वाली सीमा की फेंसिंग होने वाली है। गृह मंत्री अमित शाह ने इसका ऐलान कर दिया है। देश की सुरक्षा में इसे बड़ा कदम माना जा रहा है, जिस तरह से म्यांंमार से अवैध रूप से भी लोगों की एंट्री जारी थी, उस बीच ये फैसला जमीन पर स्थिति को बदल सकता है। गृह मंत्री अमित शाह ने खुद एक्स पर इस फैसले के बारे में विस्तृत जानकारी दी है।

गृह मंत्री अमित शाह ने लिखा है कि मोदी सरकार सुरक्षित सीमाएं बनाने को लेकर पूरी तरह प्रतिबध है। इसी कड़ी में फैसला लिया गया है कि भारत-म्यांमार की 1643 किलोमीटर लंबी सीमा की फेंसिंग की जाएगी। इसके अलावा पैट्रोलिंग के लिए अलग से ट्रैक बनाया जाएगा। मणिपुर के मोरेह से तो 10 किलोमीटर लंबी फेंसिंग को पूरा भी कर लिया गया है। इसके अलावा Hybrid Surveillance System (HSS) द्वारा फेंसिंग के ही दो अन्य पायलट प्रोजेक्ट पर काम किया जा रहा है। उनकी तरफ से भी अरुणाचल प्रदेश और मणिपुर में एक किलोमीटर का स्ट्रेच बनाया जाएगा।

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अब इस फैसले को लेने के पीछे कई कारण हैं। मानव तस्करी, ड्रग्स का कारोबार, अवैध प्रवासन कुछ ऐसे मुद्दे हैं जिन्होंने पिछले कुछ सालों में भारत सरकार के सामने बड़ी चुनौती खड़ी कर दी थी। इसी वजह से सरकार की मंशा तो पहले से स्पष्ट थी जहां पर फेंसिंग कर इन तमाम कारोबारों पर नकेल कसी जाए। लेकिन इसी मुद्दे पर जानकारों की राय बंटी हुई नजर आती है। कुछ दिन पहले ही पूर्व आर्मी जनरल एम एम नरवणे ने एक लेख में इस बात पर जोर दिया था कि फेंसिंग करना ज्यादा उपयुक्त विकल्प नहीं है।

उनका मानना था कि बजट के लिहाज से भी ये बहुत ज्यादा महंगा पड़ता है और इससे कितनी सुरक्षा बढ़ेगी, इसे लेकर भी स्पष्टता कम रहती है। उनका मानना था कि फेंसिंग करने का फायदा तब है जब हर जगह पर नजर रखी जा सके, तुरंत पता चले अगर कहीं कोई चूक हो। अगर ऐसा नहीं होगा तो फेंसिंग का भी कोई फायदा नहीं रहने वाला। रिटायर्ड जनरल ने इस बात पर भी जोर दिया सभी से बात करना बहुत जरूरी है, ऐसे फैसले लेने से पहले हर वर्ग को साधना अहम है।

उनके मुताबिक नगालैंड की सरकार, मणिपुर के ही कई लोग इस प्रकार की फेंसिंग के लिए तैयार नहीं हैं। कई ऐसे परिवार हैं जिनके कुछ रिश्तेदार म्यांमार में भी रहते हैं। ऐसे में अगर फेंसिंग की जाती है तो उससे सुरक्षा पर असर पड़े या ना पड़े, लेकिन कूटनीतिक रिश्ते जरूर तनावपूर्ण हो जाते हैं। वे ये भी मानते हैं कि म्यांमार से भारत को कोई आतंकवाद का वैसा खतरा भी नहीं है जैसे पाकिस्तान के साथ एलओसी पार से है।

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