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एक चुनाव में कितनी सीटों से ताल ठोक सकते हैं नेता, पूर्व PM के नाम है सबसे ज्यादा क्षेत्रों से चुनाव लड़ने का रिकॉर्ड

Lok Sabha Chunav 2024: लोकसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस नेता राहुल गांधी दो सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं जिसको लेकर बीजेपी लगातार निशाना बना रही है।
Written by: Krishna Bajpai
नई दिल्ली | Updated: May 10, 2024 17:37 IST
एक चुनाव में कितनी सीटों से ताल ठोक सकते हैं नेता  पूर्व pm के नाम है सबसे ज्यादा क्षेत्रों से चुनाव लड़ने का रिकॉर्ड
Lok Sabha Chunav 2024: एक से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ चुके हैं कई दिग्गज नेता (सोर्स - PTI/File)
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Lok Sabha Chunav 2024: लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर हाल ही में कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने वायनाड सीट पर वोटिंग के बाद रायबरेली) से भी चुनाव लड़ने के लिए नामांकन किया था। राहुल नामांकन के आखिरी दिन रायबरेली गए थे। इसके चलते बीजेपी यह दावा कर रही है कि राहुल को अब वायनाड सीट से जीत का भरोसा नहीं रहा है, इसीलिए वह रायबरेली चुनाव लड़ने आए हैं।

राहुल के दो सीटों पर चुनाव लड़ने को लेकर काफी चर्चा है और इसके चलते ही यह सवाल भी उठने लगे हैं कि आखिर एक नेता एक चुनाव में कितनी सीटों से चुनाव लड़ सकता है। वहीं खास बात यह भी है कि एक पूर्व पीएम ऐसे भी रहे थे जो कि तीन लोकसभा सीटों से चुनाव लड़ चुके थे। इसके अलावा यह भी दिलचस्प बात है कि पीएम मोदी भी 2014 में दो लोकसभा चुनाव लड़े थे।

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दोहरी उम्मीदवारी क्यों चर्चा में?

यह पहला मौका नहीं है जब कोई प्रत्याशी एक से अधिक सीट से चुनावी मैदान में है। यह चलन कोई नया नहीं है, देश में इससे पहले कराए गए चुनावों में भी लोग एक से अधिक सीटों से नामांकन करते रहे है।

खास बात यह है कि राहुल गांधी के अलावा ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक भी ओडिशा विधानसभा की दो सीटों - कांताबांजी और हिन्जिली विधानसभा सीटों से नामांकन दाखिल किया है। ऐसे में यह समझना अहम है कि आखिर नामांकन के नियम क्या हैं?

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क्या हैं एक से ज्यादा सीटों से चुनाव लड़ने के नियम?

चुनाव लड़ने के नियमों को लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 33 के तहत कोई भी एक प्रत्याशी अधिकतम दो सीटों से चुनावी मैदान में उतर सकता है। देश में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत पहले किसी प्रत्याशी के चुनाव लड़ने की कोई निर्धारित सीमा नहीं थी उम्मीदवार कई सीटों से चुनाव लड़ सकता था, लेकिन बाद में इस नियम में बदलाव कर दिया गया और इसे 2 सीटों तक सिमित कर दिया गया।

दो सीटों से चुनाव लड़ने वाले बड़े नेता

इंदिरा गांधी: इमरजेसी के बाद हुए 1977 के लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी चुनाव हार गई थीं और इसीलिए लोकसभा चुनाव 1980 में पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने दो सीटों से चुनाव लड़ा था। वह तेलंगाना के मेडक और रायबरेली दो सीटों से चुनावी मैदान में थीं। इंदिरा ने दोनों सीटों पर जीत दर्ज करने के बाद मेडक सीट दर्ज कर दी थी।

पीएम नरेंद्र मोदी: साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के वडोदरा और उत्तर प्रदेश के वाराणसी से आम चुनाव लड़ा था। न्होंने दोनों सीटें जीत लीं थी लेकिन बाद में उन्होंने वाराणसी सीट बरकरार रखी थी।

चौधरी देवीलाल : 1989 के लोकसभा चुनाव में पूर्व डिप्टी पीएम देवीलाल ने तीन अलग-अलग राज्यों की तीन सीटों से चुनाव लड़ा था। वे हरियाणा की रोहतक, राजस्थान की सीकर और पंजाब की फिरोजपुर सीट से चुनाव लड़ा था।

सोनिया गांधी: 1999 में कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी दो सीटों से चुनाव लड़ा था। सोनिया एक तरफ जहां परंपरागत सीट अमेठी से चुनावी मैदान में थीं, तो दूसरा नामांकन उन्होंने कर्नाटक की बेल्लारी लोकसभा सीट से किया था। सोनिया दोनों ही सीटों से चुनाव जीतकर संसद पहुंची थीं और उन्होंने बेल्लारी सीट छोड़ दी थी।

लालकृष्ण आडवाणी: पूर्व डिप्टी पीएम की लाल कृष्ण आडवाणी ने भी 1991 लोकसभा चुनाव के दौरान दो सीटों से चुनाव लड़ा था। आडवाणी ने गुजरात की गांधी नगर और दिल्ली की नई दिल्ली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था। उन्हें दोनों ही सीटों पर जीत मिली थी। आडवाणी ने बाद में नई दिल्ली सीट छोड़ दी थी।

अटल बिहारी वाजपयी: राहुल गांधी के दो सीटों पर चुनाव लड़ने पर तंज कसने वाली बीजेपी के संस्थापक नेता और पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपयी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत में तीन लोकसभा सीटों से चुनाव लड़ा था। साल 1957 लोकसभा चुनाव के दौरान अटल बिहारी वाजपयी ने यूपी की तीन लोकसभा सीटों पर अपनी दावेदारी की थ। इसमें मथुरा, बलरामपुर और लखनऊ की सीट थी। अटल को लखनऊ और मथुरा सीट में हार का सामना करना पड़ा था लेकिन वह बलरामपुर लोकसभा सीट से चुनावी जंग जीतकर संसद पहुंच गए थे।

मायावती: 1991 के लोकसभा चुनाव में यूपी की पूर्व सीएम मायावती ने बिजनौर, बुलंदशहर और हरिद्वार लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था। मायावती तीनों ही सीटों पर बुरी तरह हार गई थी।

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