कैसे चुना जाता है लोकसभा का स्पीकर? पिछली बार कब हुआ था चुनाव
Lok Sabha Speaker Election: एनडीए ने ओम बिरला को फिर से लोकसभा स्पीकर के लिए मैदान में उतारा है। वहीं, विपक्षी दलों ने के सुरेश को उम्मीदवार बनाया है। 26 जून को लोकसभा स्पीकर का चुनाव होगा। इसमें सबसे खास बात यह है कि 1952 के बाद पहली बार स्पीकर का चुनाव होने जा रहा है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को फोन आया। उन्होंने कहा कि आप हमारे स्पीकर को सपोर्ट करिए। पूरे विपक्ष ने साफ कहा है कि हम स्पीकर को सपोर्ट करेंगे। लेकिन डिप्टी स्पीकर पद विपक्ष को मिलना चाहिए। राजनाथ सिंह ने कल कहा था कि मल्लिकार्जुन खड़गे को कॉल रिटर्न करेंगे। लेकिन उन्होंने अभी तक वापस कॉल नहीं किया है। प्रधानमंत्री कर रहे हैं कि सहयोग हो। लेकिन हमारे नेता की इंसल्ट की जा रही है। राहुल गांधी ने आगे कहा कि सरकार की नियत साफ नहीं है।
संविधान के अनुच्छेद 93 में स्पीकर का जिक्र किया गया है। नई लोकसभा के गठन के बाद ही यह पद खाली हो जाता है। चुने गए नए सांसदों को शपथ दिलाने के लिए राष्ट्रपति प्रोटेम स्पीकर को नियुक्त करती हैं। सबसे अहम बात यह है कि लोकसभा के स्पीकर का चयन सिर्फ बहुमत के आधार पर ही किया जाता है। कुल सदस्यों की संख्या में जिसको ज्यादा वोट मिलते हैं उसी को स्पीकर की कुर्सी मिल जाती है।
पिछली बार कब हुआ था चुनाव?
बता दें कि 15 मई 1952 को पहली लोकसभा के स्पीकर का इलेक्शन हुआ था। इस चुनाव में सत्ता पक्ष के जीवी मावलंकर उमीदवार थे। उनके सामने शंकर शांतराम मोरे थे। मावलंकर के पक्ष में 394 वोट, जबकि 55 वोट उनके खिलाफ पड़े थे। इस तरह मावलंकर देश के पहले लोकसभा स्पीकर बने थे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, वहीं अब अगर बात आजादी से पहले की करें तो इससे पहले सेंट्रल लेजिस्लेटिव एसेंबली यानी इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल के निचले सदन के स्पीकर को चुनने के लिए 1925 में चुनाव हुआ था। 1925 से लेकर 1946 तक सेंट्रल लेजिस्लेटिव एसेंबली के स्पीकर के लिए 6 बार चुनाव हुआ।
स्पीकर पद के लिए NDA Vs INDIA
लोकसभा स्पीकर पद के लिए भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले एनडीए की तरफ से ओम बिरला ने नामांकन किया है। वो पिछले सत्र में भी लोकसभा अध्यक्ष थे। इस बार जब उनका नामांकन हुआ तो उनके सपोर्ट में पूरा एनडीए खेमा एकसाथ दिखाई दिया। ओम बिरला के पक्ष में प्रस्ताव पत्र पर साइन के दौरान अमित शाह, जेपी नड्डा समेत बीजेपी के दिग्गज नेता मौजूद रहे। चिराग पासवान, जीतनराम मांझी, अनुप्रिया पटेल समेत एनडीए के तमाम दिग्गज मौजूद रहे। उधर विपक्ष की तरफ से स्पीकर पद के उम्मीदवार के सुरेश के नामांकन में मोर्चा कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने संभाला। डी राजा भी इस मौके पर मौजूद रहे।
विपक्षी दलों ने इसलिए पेश की दावेदारी
लोकसभा अध्यक्ष को लेकर विपक्षी दलों ने अपनी दावेदारी का फैसला यूं ही नहीं किया है। ऐसा इसलिए हो रहा क्योंकि इस लोकसभा में 2014 और 2019 के मुकाबले तस्वीर कुछ अलग-अलग है। इस बार विपक्षी गठबंधन इंडिया मजूबत बनकर सामने आया है। बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए के जहां 293 सांसद जीतकर आए हैं, विपक्ष का आंकड़ा 234 है। अब तक स्पीकर का पद सत्ता पक्ष को ही मिलता था। हालांकि, इसमें विपक्ष की आम सहमति होती थी। वहीं डिप्टी स्पीकर विपक्ष की तरफ से होता था। हालांकि, इस बार सरकार इसके लिए तैयार नहीं हुई। बस यहीं पर पेंच फंस गया है।