कांगड़ा में फंस गए कांग्रेस के आनंद शर्मा? 'बाहरी' वाले मुद्दे पर NSUI की हिस्ट्री का दे रहे हवाला
Lok Sabha Chunav 2024: हिमाचल प्रदेश में सातवें और आखिरी चरण में लोकसभा के चुनाव हैं। जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, वैसे ही सियासी जंग भी काफी रोचक होती जा रही है। कांग्रेस पार्टी के नेता आनंद शर्मा कांगड़ा लोकसभा सीट के अंदर आने वाली विधानसभा सीटों पर चुनाव प्रचार अभियान को धार दे रहे हैं। लेकिन वे इस समय उन क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं, जहां पर वे पहले कभी नहीं गए थे।
पिछले मंगलवार को शर्मा गंगथ में थे। इसको पीतल के बर्तनों की वजह से पांडियन वाला शहर के नाम से भी जाना जाता है। हिमाचल प्रदेश के चार लोकसभा सीटों में कांगड़ा सबसे ज्यादा आबादी वाला क्षेत्र है। यहां पर सातवें और आखिरी फेज में एक जून को इलेक्शन होने वाला है। 2022 के राज्य विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने कांगड़ा संसदीय क्षेत्र में आने वाली 17 विधानसभा सीटों में से 12 पर जीत दर्ज की थी।
धर्मशाला सीट से कांग्रेस के एक विधायक सुधीर शर्मा ने इस साल की शुरुआत में ही बगावत कर दी। उन्होंने पार्टी के राज्यसभा उम्मीदवार अभिषेक मनु सिघंवी के खिलाफ क्रॉस वोटिंग की। इसके बाद वहर भारतीय जनता पार्टी के हर्ष महाजन से हार गए। बाद में सुधीर शर्मा के साथ-साथ दूसरे पांच बागी विधायकों को पार्टी ने अयोग्य घोषित कर दिया। उन सभी ने बीजेपी का दामन थाम लिया और उन्हें अपनी सीटों पर उपचुनाव के लिए टिकट भी दिया गया है। यह एक जून को होगा।
आनंद शर्मा का प्रचार अभियान किन मुद्दों पर केंद्रित
गंगथ को सालाना कुश्ती मेले की मेजबानी के लिए भी जाना जाता है। यह इंदौरा विधानसभा क्षेत्र के अंदर आता है। यहां से साल 2022 में कांग्रेस के उम्मीदवार मलेंदर सिंह राजन चुने गए थे। पूर्व केंद्रीय मंत्री और चार बार के राज्यसभा सांसद शर्मा पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। उनका प्रचार अभियान बेरोजगारी, अग्निवीर, हर साल 2 करोड़ नौकरी पर केंद्रित है। करीब 200 लोगों की सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने हर एक मुद्दे पर सिलसिलेवार तरीके से बात की। भीड़ में से एक 30 साल का आदमी दूसरे से कहता है कि यह आदमी काफी होशियार है।
शिमला में जन्मे और पले-बढ़े शर्मा सफेद कुर्ता पायजामा पहने और गले में कांग्रेस का झंडा लपेटे हुए थे। कांगड़ा से अपने संबंधों को लेकर वे इस आरोप को सिरे से खारिज कर देते हैं कि वह बाहरी हैं। वे एक छात्र नेता के रूप में भी अपने दिनों को याद करते हैं। इतना ही नहीं, वह नेशनल स्टूडेंट यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। वह जिले के हर ब्लॉक और पड़ोसी चंबा में घूमकर कांग्रेस की स्टूडेंट यूनियन की स्थानीय ईकाइयों को लॉन्च करते थे।
शर्मा ने 2006-07 में हिमाचल प्रदेश में पासपोर्ट ऑफिस बनवाने और कांगड़ा में राष्ट्रीय फैशन प्रौद्योगिकी संस्थान को बनवाने में अपनी कोशिशों का भी जिक्र किया। कांग्रेस पार्टी के समूह जी-23 के एक सदस्य शर्मा ने जाति जनगणना के लिए पार्टी के आक्रामक अभियान का विरोध किया था।
मैं बाहरी नहीं- आनंद शर्मा
आंनद शर्मा ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि मैं करीब साढ़े चार दशक से इस क्षेत्र का दौरा कर रहा हूं। मैं एनएसयूआई का संस्थापक सदस्य था और 1970 के दशक की शुरुआत में यहां एनएसयूआई की हर इकाई की स्थापना में शामिल था। हर चुनाव में मैं कांगड़ा और चंबा में जाता रहा हूं। मेरा यहां से बहुत गहरा जुड़ाव है। बेशक, दिल्ली में मेरी जिम्मेदारियां थीं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि मैंने अपने जन्मस्थान से कभी संपर्क नहीं किया। मेरे विपक्षी दलों के मुझे बाहरी कहने वाली बात में ज्यादा दम नहीं है। मुझे लगता है कि अब उन्हें भी यह एहसास हो गया है और उन्होंने इस मुद्दे को उठाना बंद कर दिया है।
आनंद शर्मा ने आगे कहा कि मैं अपने चुनावी अभियान में अग्निवीर योजन का जिक्र करता हूं और वादा करता हूं कि सरकार बनने के बाद में इसे बंद कर दूंगा। कांगड़ा अफने सैनिकों के लिए जाना जाता है। चंबा को भी विकास की बहुत ही ज्यादा जरूरत है। एक और बड़ा मुद्दा पौंग बांध का है। मैं एक बार चुने जाने के बाद संसद में इन सभी मुद्दों को आक्रामक तरीके से उठाने की कसम खाता हूं।
कांगड़ा भाजपा का गढ़
कांगड़ा भाजपा का गढ़ रहा है। पिछले तीन चुनावों में यहां से भारतीय जनता पार्टी के ही सांसद चुने गए हैं। भाजपा ने इस बार यहां से वरिष्ठ नेता राजीव भारद्वाज को मैदान में उतारा है। अगर वह चुनाव जीतते हैं तो वह मौजूदा सांसद किसन कपूर की जगह लेंगे। वह ओबीसी गद्दी समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। बताया जाता है कि कपूर कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से भी परेशान हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में कपूर ने कांग्रेस के पवन काजल को 4.77 लाख से ज्यादा वोटों से हराया था।
सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस हाईकमान ने आनंद शर्मा को चुना। इनको गांधी परिवार का काफी करीबी माना जाता है। शर्मा की पहली पसंद युवा नगरोटा विधायक रघुबीर सिंह बाली हैं। यह ब्राह्मण समुदाय से आते हैं। शर्मा ने नामांकन के दिन से ही अपने प्रचार अभियान की शुरुआत शिमला के काली बाड़ी मंदिर में जाकर की।
वह कहते हैं कि 3 मई से लेकर अब तक मैं सभी 17 विधानसभा क्षेत्रों का दो बार दौरा कर चुका हूं। ऐसे हजारों लोग हैं जिन्हें मैं यूथ कांग्रेस के दिनों से जानता हूं। यहां तक कि उनके बच्चे भी मेरी रैलियों में मुझसे मिलने आ रहे हैं। मैं हर दिन 5-6 रैलियां को संबोधित करता हूं। कुछ छोटी होती हैं और कुछ बड़ी होती हैं। उन्होंने यह भी कहा कि पीएम पद के लिए उम्मीदवार नहीं होने से वोटर्स पर कोई फर्क नहीं पड़ता।
2004 में हमने अपना प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया था। यह भी एक सोची समझी रणनीति है। रिजल्ट आने के बाद गठबंधन के सदस्य आपस में मिलकर फैसला करेंगे। शर्मा ने कहा कि बदलाव की हवा चल रही है। इस बार विभाजनकारी ताकतें हारेंगी। इंदौरा में रहने वाली एक महिला सुरिंदर राणा कहती हैं कि आनंद शर्मा का प्रचार अभियान जोर पकड़ रहा है।