पंजाब के गांवों में चल रहा ड्रग्स का खेल, एक सप्ताह के भीतर ही दो लोगों की हुई मौत, AAP सरकार के खिलाफ लोगों का बढ़ रहा गुस्सा
पंजाब में एक ड्रग्स का खेल लंबे समय से चला आ रहा है। बीते एक सप्ताह में एक ही गांव के दो लोगों की मौत कथित तौर पर नशे के वजह से हो गई है। नशे के बढ़ते मामले को देखते हुए लोगों के बीच में प्रदेश भगवंत मान सरकार के खिलाफ गुस्सा बढ़ता जा रहा है।
पंजाब के एक गांव भलूर में हरनेक नाम के एक बुजुर्ग व्यक्ति पूरी तरह टूट चुके हैं। टूटे भी क्यों न, बीते 7 जून को उनका 41 वर्षीय बेटा कुलदीप सिंह उर्फ लाला की मौत हो गई थी। कुलदीप कबड्डी खिलाड़ी था। कुलदीप के बारे में हरनेम सिंह से बात करते ही उनके सब्र का बांध टूट जाता है और उनके आखों से आंसू बहने लगते हैं। वहीं 6 जून को अमृतसर के एक होटल में 20 साल के मणि की मौत हो थी।
अपने बेटे की मौत के बाद हरनेक सिंह बताते हैं कि उसकी मौत का कारण नशा ही है। नशे की स्थिति ऐसी है कि अगर कोई उन्हें रोकने की कोशिश करता है तो नशे के आदी ये युवा लड़ाई-झगड़े पर उतर आते हैं। इसी वजह से गांव के गांव खाली होते चले जा रहे हैं। जबकि प्रशासन इस मामले को लेकर कोई सुनवाई नहीं कर रहा।
पिता हरनेक सिंह के अनुसार कुलदीप का बड़ा भाई सिंगापुर में काम करता है। वो भी कुछ समय पहले ही सिंगापुर से वापस लौटा था। नशे की वजह से कुलदीप की पत्नी उसको छोड़कर चली गई थी। हरनेक सिंह बताते हैं कि उनके पास कोई जमीन नहीं है। उनके दो और बेटे हैं जबकि पत्नी की मौत पहले ही हो चुकी है। बताते-बताते हरनेक सिंह रोने लगते ही कि कुलदीप ही था जो मेरे साथ रहता था अब मुझे पानी देने वाला भी कोई नहीं बचा। वही मेरा एकमात्र सहारा था। वहीं इस मामले पर एक रिश्तेदार ने बताया कि कुलदीप पिछले कुछ सालों से ही चिट्टा का सेवन कर रहा था। अचानक 7 जून को वह अपने घर में बेहोश हालत में पाया गया।
नशे की वजह से हुई दूसरी मौत के बारे में गांव के सरपंच पाला सिंह बताते हैं कि गांव के रहने मणि की भी अमृतसर में कथित तौर पर नशीले पदार्श के सेवन करने से हुई है। वहीं सरपंच का कहना है कि मणि के परिवार के लोग इस वजह से नहीं बोल रहे हैं क्योंकि सामाजिक प्रतिष्ठा बीच में आ रही है। इसके साथ ही सरपंच बताते हैं कि नशे की स्थिति दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इस साल नशे की वजह से कम से कम 6 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं गांव के लड़के मनमाने तरीके से नशा का सेवन कर रहे हैं।
वहीं मृतक मणि के पिता काला सिंह ने अपने बेटे की मौत पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। जबकि अमृतसर में हुई मौत को लेकर वहां के पुलिस ने कहा कि मौत का मुख्य कारण पोस्टमार्टम के बाद पता चलेगा जबकि परिवार के लोग इसके हार्ट अटैक बता रहे हैं।
नशे के वजह से भलूर गांव के लोगों में प्रदेश की सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी सरकार को लेकर भारी आक्रोश है। पार्टी ने 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले ये वादा किया था कि तीन महीने के भीतर ही राज्य को नशा मुक्त बना दिया जाएगा। वहीं भगवंत मान ने अब 15 अगस्त तक तक पूरे पंजाब को नशा मुक्त बनाने का वादा किया है।
गांव के ही पाला सिंह कहते हैं कि उन्होंने गांव में दो-तीन बार ड्रग्स की ब्रिकी को रोकने का प्रयास किया। लेकिन इनको लेकर ड्रग्स माफिया उनकी हत्या की कोशिश में लग गए। स्थिति ऐसी है कि जो भी इसके खिलाफ आवाज उठाता है उसके जान को खतरा बना रहता है। इस मामले को लेकर पुलिस में एफआईआर दर्ज होती है तो ड्रग्स सप्लायर कुछ दिनों के बाद ही फिर से छुट के वापस आ जाते हैं।
वहीं बाघापुराना से विधायक अमृतपाल सिंह सुखानंद का कहना है कि भलूर गांव में मरने वाले लोग नशे के आदी थे। लेकिन उनकी मौत ड्रग्श या किसी अन्य नशे के वजह ने नहीं हुई है। फिर भी मैं इस मामले उच्च स्तरीय जांच करवाने की कोशिश करुंगा।