'अरविंद केजरीवाल को बस सत्ता का मोह, मंत्री बहा रहे घड़ियाली आंसू', आखिर क्यों दिल्ली सरकार पर आगबबूला हुआ हाई कोर्ट
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तिहाड़ जेल (Arvind Kejriwal in Tihar) में हैं, जिसके चलते उनकी सरकार का कामकाज ढुलमुल होने के आरोप लग रहे हैं। एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने अब केजरीवाल और उनके मंत्रियों को फटकार लगाई है। कोर्ट ने यह तक कह दिया है कि दिल्ली सरकार और अरविंद केजरीवाल की दिलचस्पी केवल सत्ता में बने रहने की है।
दरअसल, दिल्ली हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि नगर निगम की आपसी खींचतान के चलते एमसीडी के स्कूलों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स को अभी तक किताबें नहीं मिल पाई हैं और वे टिन शेड में पढ़ाई करने को मजबूर हैं। इसको लेकर दिल्ली हाई कोर्ट के कार्यवाहक मुख्य जज मनमोहन और जस्टिस प्रीतम सिंह अरोड़ा की बेंच ने दिल्ली सरकार को फटकार लगाई।
हाईकोर्ट ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को लेकर कहा कि गिरफ्तारी के बावजूद इस्तीफा न देकर अरविंद केजरीवाल ने राष्ट्रीय हित के ऊपर निजी हितों को प्राथमिकता दी है। इसके साथ ही कोर्ट ने दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज को जमकर खरी-खरी सुनाई है।
'सौरभ भारद्वाज बहा रहे घड़ियाली आंसू'
दिल्ली सरकार की तरफ से पेश वकील शादान फरासत ने कहा कि उन्हें सौरभ भारद्वाज से निर्देश मिले हैं कि एमसीडी की स्थायी समिति की गैरमौजूदगी में किसी उपायुक्त प्राधिकारी को शक्तियां सौंपने के लिए मुख्यमंत्री की सहमति की जरूरत होगी, जो कि अभी हिरासत में हैं। इसको लेकर हाईकोर्ट के जस्टिस मनमोहन ने सौरभ भारद्वाज को लेकर कहा कि उन्होंने छात्रों की दुर्दशा पर आंखें मूंद लीं हैं और वे घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं।
दिल्ली सरकार को नहीं है छात्रों की कोई चिंता
दिल्ली हाई कोर्ट ने सरकार को लेकर कहा कि उन्हें कोई चिंता नहीं है कि छात्र स्कूल जा रहे हैं या नहीं। उनके पास किताबें नहीं हैं। उनकी दिलचस्पी सिर्फ सत्ता में हैं, यहां सत्ता का अहंकार अपने चरम पर है। कार्यवाहक चीफ जस्टिस मनमोहन ने कहा कि इसका मतलब यह नहीं कि छात्रों को किताबों के बिना ही पढ़ने के लिए ही छोड़ दिया जाए।
दिल्ली सरकार के वकील पर की दलीलों पर कोर्ट ने कहा कि आपने कहा था कि मुख्यमंत्री के हिरासत में होने के बावजूद सरकार चलती रहेगी, आप हमें उस रास्ते पर जाने पर मजबूर कर रहे हैं, जहां हम नहीं जाना चाहते हैं।
हाई कोर्ट ने कहा कि हमने अपने सामने आई जनहित याचिकाओं में कई बार यह कहा है, लेकिन यह आपके प्रशासन का फैसला है। अगर आप चाहते हैं कि हम इस पर टिप्पणी करें, तो हम इस पर विचार करेंगे। जस्टिस मनमोहन ने कहा कि वह सौरभ भारद्वाज का नाम भी ऑर्डर में शामिल करेंगे।