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2020 दिल्ली दंगे में आरोपी पूर्व कांग्रेस पार्षद इशरत जहां को अदालत ने दी बड़ी राहत, जानिये पूरा मामला

इशरत को पहले भी एक अन्य मामले में जमानत दी गई थी, जिसमें उन पर पूर्वोत्तर दिल्ली के खुरेजी खास में नागरिकता संशोधन अधिनियम विरोधी आंदोलन स्थल पर भीड़ को उकसाने का आरोप लगाया गया था। निर्भय ठाकुर की रिपोर्ट।
Written by: न्यूज डेस्क | Edited By: संजय दुबे
नई दिल्ली | Updated: April 13, 2024 11:14 IST
2020 दिल्ली दंगे में आरोपी पूर्व कांग्रेस पार्षद इशरत जहां को अदालत ने दी बड़ी राहत  जानिये पूरा मामला
कांग्रेस नेता इशरत जहां दो साल तक जेल में बिता चुकी हैं। (फाइल फोटो)
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दिल्ली की एक अदालत ने शुक्रवार को दिल्ली कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां की जमानत शर्तों में बदलाव करते हुए उन्हें अदालत की पूर्व अनुमति के बगैर पूरे भारत में यात्रा करने की अनुमति दे दी। पेशे से वकील, इशरत जहां 2022 में दिल्ली दंगों के गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) मामले में दो साल जेल में बिताने के बाद जमानत पाने वाली पहली आरोपी हैं।

जमानत शर्तों में पहले भी हुआ था बदलाव

हालांकि, इससे पहले एक ट्रायल कोर्ट ने उनको इस शर्त के साथ जमानत दी थी कि वह अदालत की पूर्व अनुमति के बिना राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCT) दिल्ली नहीं छोड़ सकती हैं। बाद में इस शर्त को दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी परिक्षेत्र (NCR) कर दिया गया था।

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कांग्रेस नेता ने अदालत में लगाई थी यह गुहार

इस जमानत शर्त से असंतुष्ट इशरत जहां के वकील आदिल सिंह बोपाराय ने एक आवेदन दायर किया, जिसमें कहा गया कि जमानत की शर्त उसे अदालत की अनुमति के बिना एनसीआर के बाहर यात्रा करने से रोकती है, जिससे भारत में अन्य अदालतों के समक्ष उनको प्रैक्टिस करने की उसकी व्यावसायिक गतिविधियों पर असर पड़ रहा है।

उसके अनुरोध को स्वीकार करते हुए अदालत ने जमानत की शर्त को इस हद तक संशोधित कर दिया कि वह "अदालत की पूर्व अनुमति के बिना न तो भारत का क्षेत्र छोड़ेगी और न ही किसी भी प्रकार की आपराधिक गतिविधि में शामिल होगी" इसका मतलब यह हुआ कि वह अदालत की अनुमति के बिना पूरे देश में कहीं भी जा सकती हैं।

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इशरत जहां के आवेदन का अभियोजन पक्ष ने विरोध किया और कहा कि अदालत ने पहले ही आरोपी को उचित स्वतंत्रता दे दी है और उसे कोई और राहत नहीं दी जानी चाहिए। मार्च 2022 में दिल्ली की एक अदालत ने 2020 के दंगों से संबंधित यूएपीए मामले में जहां को यह देखते हुए जमानत दे दी थी कि "वह न तो दंगों के लिए पूर्वोत्तर दिल्ली में मौजूद थी और न ही वह किसी समूह का हिस्सा थी।" उन्हें पहले भी एक अन्य मामले में जमानत दी गई थी, जिसमें उन पर पूर्वोत्तर दिल्ली के खुरेजी खास में नागरिकता संशोधन अधिनियम विरोधी आंदोलन स्थल पर भीड़ को उकसाने का आरोप लगाया गया था।

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