तीस्ता मुद्दे पर बंगाल की अनदेखी से भड़कीं ममता बनर्जी, पीएम मोदी को पत्र लिखकर बताईं नाखुशी की वजह
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा कि बांग्लादेश के साथ दोस्ती पश्चिम बंगाल के हितों को “बेचने” की कीमत पर नहीं हो सकती। उन्होंने तीस्ता जल-बंटवारा समझौते और फरक्का बैराज संधि के नवीनीकरण पर ढाका के साथ चल रही बातचीत से राज्य को बाहर रखने पर अपनी नाखुशी जाहिर की। सीएम ने लिखा, "ऐसा लगता है कि बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ उनकी हाल की दिल्ली यात्रा के दौरान बैठक में गंगा और तीस्ता नदियों से संबंधित जल-बंटवारे के मुद्दों पर चर्चा हुई है। इस मामले में राज्य सरकार की राय और परामर्श के बिना इस तरह के एकतरफा विचार-विमर्श और चर्चा न तो स्वीकार्य है और न ही वांछनीय है।"
एक हफ्ते में तीसरी बार प्रधानमंत्री को लिखा पत्र
एक हफ्ते से भी कम समय में बनर्जी का पीएम मोदी को यह तीसरा पत्र था। पहले पत्र में उन्होंने पीएम से तीन नए आपराधिक कानूनों पर अमल को टालने का आग्रह किया था। दूसरे पत्र में उन्होंने मेडिकल कॉलेजों के लिए प्रवेश परीक्षा में पेपर लीक और अनियमितताओं के आरोपों के बीच NEET को खत्म करने का अनुरोध किया था।
बांग्लादेश फरक्का संधि को लेकर अपनी बात रखीं
उन्होंने पत्र में लिखा, "मुझे पता चला है कि भारत सरकार 1996 की भारत बांग्लादेश फरक्का संधि का नवीनीकरण करने जा रही है, जो 2026 में समाप्त होने वाली है।" सीएम ने कहा: "यह एक संधि है, जो बांग्लादेश और भारत के बीच पानी के बंटवारे के सिद्धांतों से जुड़ी है, और जैसा कि आप जानते हैं कि इसका पश्चिम बंगाल के लोगों की आजीविका को बनाए रखने में बड़ा योगदान है। फरक्का बैराज में जो पानी मोड़ा जाता है, वह कोलकाता बंदरगाह में जहाज के आवागमन को बनाए रखने में मदद करता है।"
मुख्यमंत्री ने कहा, "मैं आपके ध्यान में लाना चाहूंगी कि पिछले कई वर्षों में भारत और बांग्लादेश के पूर्वी हिस्से में नदी के आकार में बदलाव आया है, जिससे पश्चिम बंगाल को काफी नुकसान हुआ है। राज्य में पानी की उपलब्धता पर बुरा असर पड़ा है। यह उल्लेख करना बहुत ही उचित है कि बैराज के निर्माण के बाद के वर्षों में हुगली में गाद का प्रवाह भी कम हो गया है। इससे नदियों द्वारा कटाव बढ़ गया है और… जान-माल का गंभीर नुकसान हुआ है। लाखों लोग विस्थापित हो गए हैं… हुगली में गाद का भार कम होने से सुंदरबन डेल्टा के विकास में बाधा आई है।” तीस्ता जल बंटवारे के समझौते पर बांग्लादेश के साथ चल रही बातचीत पर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह संधि बंगाल के हितों को प्रभावित करेगी।
बनर्जी ने लिखा, “तीस्ता नदी की सेहत कई जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण से प्रभावित हुई है…ऐसा लगता है कि बैठक में भारत सरकार ने बांग्लादेश में तीस्ता के पुनरुद्धार के लिए भारत और बांग्लादेश के बीच द्विपक्षीय सहयोग का प्रस्ताव रखा है। मैं इस तथ्य से हैरान हूं कि भारत की ओर से नदी को उसके मूल स्वरूप और स्थिति में बहाल करने के लिए जल शक्ति मंत्रालय ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।”
उन्होंने जोर देकर कहा, “पिछले कुछ सालों में तीस्ता में पानी का प्रवाह कम हो गया है और अनुमान है कि अगर बांग्लादेश के साथ कोई पानी साझा किया जाता है, तो सिंचाई के पानी की अपर्याप्त उपलब्धता के कारण उत्तर बंगाल के लाखों लोग गंभीर रूप से प्रभावित होंगे। इसके अलावा, उत्तर बंगाल में पीने के पानी की आवश्यकता को पूरा करने के लिए तीस्ता के पानी की आवश्यकता है। इसलिए बांग्लादेश के साथ तीस्ता के पानी को साझा करना संभव नहीं है।”
भारत और बांग्लादेश के बीच भौगोलिक, सांस्कृतिक और आर्थिक रूप से बहुत करीबी संबंध होने का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को लिखा: "हालांकि, पानी बहुत कीमती है और लोगों की जीवन रेखा है। हम ऐसे संवेदनशील मुद्दे पर समझौता नहीं कर सकते, जिसका लोगों पर गंभीर और प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। इस तरह के समझौतों के प्रभाव से पश्चिम बंगाल के लोग सबसे ज्यादा पीड़ित होंगे… पश्चिम बंगाल के लोगों का हित सर्वोपरि है, जिसके साथ किसी भी कीमत पर समझौता नहीं किया जाना चाहिए।"
बनर्जी ने बाद में नबान्ना में नगर निकायों के साथ बैठक के दौरान कहा, "हम बांग्लादेश के साथ दोस्ती करना चाहते हैं, लेकिन बंगाल के हितों को बेचने की कीमत पर नहीं।"
यह उस घटना के एक दिन बाद आया है, जब टीएमसी ने बांग्लादेश के साथ जल बंटवारे की बातचीत पर राज्य से परामर्श न करने के लिए केंद्र की आलोचना की थी। राज्यसभा में टीएमसी के संसदीय दल के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि पश्चिम बंगाल संधि का एक पक्ष है, लेकिन उससे परामर्श नहीं किया गया।