केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, पराली जलाने वाले किसानों को नहीं मिलेगा MSP का लाभ
धान और गेहूं की फसल कटने के बाद किसान खेत में लगी पराली को जला देते हैं। जिसको लेकर साल 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया था। जिसका हवाला देते हुए केंद्र सरकार ने पराली जलाने वाले किसानों को लेकर राज्य सरकारों को चिट्ठी लिखी है। जिसमें इस बात का जिक्र किया गया है कि पराली जलाने वाले किसानों को इस साल से MSP यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ देने से वंचित किया जाए। इसके लिए केंद्र ने पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान समेत सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को इसे जल्दी लागू करते हुए स्टेटस रिपोर्ट सौंपने को कहा है।
सरकार द्वारा दिए गए नए आंकड़ों के अनुसार पंजाब में सबसे अधिक धान की खेती होती है। इस साल 31.54 लाख हेक्टेयर धान की खेती बढ़ने का अनुमान है। जो पिछले साल की तुलना में काफी अधिक है। जबकि पंजाब के बाद हरियाणा राज्य में धान की पैदावार होती है। इस बार 15.73 लाख हेक्टेयर धान की खेती का अनुमान है। ज्यादा मात्रा में धान की खेती होने की वजह से सबसे ज्यादा पराली जलाने के मामले पंजाब जबकि दूसरा नंबर हरियाणा है। वैसे पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ सजा और फाइन का प्रावधान बहुत जटिल है। राज्य सरकार अपने राजनीतिक नफा नुकसान को देखते हुए पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ कार्रवाई करने से बचती है। साल 2024-25 में पराली के नियम को लागू करने की योजना सरकार बना रही है।
केंद्र और राज्य के बीच हो चुकी है बैठक
बीते 10 अप्रैल को सेक्रेटरियों की बैठक हुई। जिसमें केंद्र सरकार ने पराली के खिलाफ कार्रवाई करने की भी योजना बनाई। एनएसआरसी और इसरो को इस कार्य की जिम्मेदारी सौंपी गई है। जिसके तहत खेतों की मैपिंग कराई जाएगी। साथ ही जिन खेतों में पराली जलाए जाते हैं उनके लिए एक प्रोटोकॉल तैयार किया गया है।
राजधानी दिल्ली समेत कई राज्यों में देखने को मिलते है पराली के धुए्ं
बीते कुछ दिनों पहले ही पंजाब सरकार को एनजीटी (राष्ट्रीय हरित अधिकरण) ने चालू वर्ष में पराली जलाने की घटनाओं को कम करने के अपने लक्ष्य पर काम करने का निर्देश दिया है। पराली जलाने के सबसे ज्यादा मामले धान की फसल कटने के बाद सामने आते हैं। जो मुख्यत: अक्टूबर-नवंबर में देखने को मिलता है। जिसके बाद राजधानी दिल्ली समेत एनसीआर के इलाकों में इसका प्रभाव देखने को मिलता है।