क्या लोकसभा में स्पीकर किसी का भी माइक कर सकते हैं बंद? जानें क्या होता है सदन का प्रोटोकॉल
सोमवार को लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही शुरू हुई। वहीं एक बार फिर से सदन में हंगामा मचा हुआ है। इस बार लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों में माइक बंद को लेकर माहौल गर्म देखने को मिला। लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी और राज्यसभा में कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी कह चुके हैं कि जब हम बोलते हैं तो माइक बंद हो जाता है। अब सवाल उठता है कि माइक कंट्रोल किसके पास होता है? उसको लेकर क्या प्रोटोकॉल है?
किसके पास होता है माइक का कंट्रोल?
बड़ा सवाल उठता है कि माइक का कंट्रोल किसके पास होता है? लोकसभा और राज्यसभा में हर एक सांसद के लिए निर्धारित सीट होती है और माइक्रोफोन उसी संसद के डेस्क से जुड़े होते हैं। हर माइक्रोफोन पर एक अलग नंबर लिखा होता है।
इसके अलावा राज्यसभा और लोकसभा के लिए एक-एक चेंबर बना है, जहां पर साउंड टेक्नीशियन बैठते हैं। यहीं से राज्यसभा और लोकसभा की कार्यवाही रिकॉर्ड की जाती है। इन टेक्नीशियन के पास सभी सीटों के नंबर लिखे होते हैं और यहीं से माइक्रोफोन को चालू या बंद किया जाता है। चेंबर में सामने की ओर शीशा लगा होता है, जहां से टेक्नीशियन सांसदों और स्पीकर को बोलते हुए पूरी कार्यवाही देखते हैं।
क्या है प्रोटोकॉल?
लोकसभा और राज्यसभा को कवर करने वाले एक्सपर्ट की मानें तो माइक्रोफोन को चालू और बंद करने की एक प्रक्रिया होती है। सदन में केवल स्पीकर ही माइक्रोफोन को बंद करने या चालू करने का निर्देश दे सकते हैं। नियमों के अनुसार स्पीकर ऐसा करते हैं। आमतौर पर जिस सदस्य का बोलने का नंबर आता है, उसका स्पीकर चालू कर दिया जाता है। लेकिन जब सदन में हंगामा होता है और कार्यवाही बाधित होती है, तो स्पीकर अपने पावर का इस्तेमाल करते हुए माइक बंद करने का निर्देश दे सकते हैं।
यदि किसी सांसद की बोलने की बारी नहीं आई है और वह बोलने के लिए खड़ा होता है तो उसका माइक बंद किया जा सकता है। हालांकि स्पेशल मेंशन के मामले में सांसदों के पास 250 शब्द पढ़ने की सीमा होती है और जैसे ही लिमिट पूरी होती है तो उस सदस्य का माइक बंद कर दिया जाता है।