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आर्मी चीफ जनरल मनोज पांडे को मिला सेवा विस्तार, जानिए कब होने वाले थे रिटायर

कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे को एक महीने का सेवा विस्तार देने को मंजूरी दे दी है।
Written by: न्यूज डेस्क
नई दिल्ली | Updated: May 26, 2024 18:37 IST
आर्मी चीफ जनरल मनोज पांडे को मिला सेवा विस्तार  जानिए कब होने वाले थे रिटायर
आर्मी चीफ मनोज पांडे। (इमेज- पीटीआई/File)
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Army Chief Manoj Pande: आर्मी चीफ जनरल मनोज पांडे के कार्यकाल को एक महीने के लिए बढ़ा दिया गया है। कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने रविवार को जनरल पांडे के सेवा विस्तार को मंजूरी दी है। एक्सटेंशन के बाद अब मनोज पांडे 30 जून तक सेना के चीफ के पद पर बने रहेंगे। आर्मी चीफ पांडे 31 मई को रिटायर होने वाला थे लेकिन इससे पहले ही उन्हें एक्सटेंशन दे दिया गया।

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लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे ने 30 अप्रैल 2022 को 29वें आर्मी चीफ के रूप में सेना चीफ की कमान संभाली। आर्मी प्रमुख एमएम नरवणे ने 30 अप्रैल को अपना 28 महीने का कार्यकाल पूरा किया था। इसके बाद ही उनको कमान सौंपी गई थी। राष्ट्रीय रक्षा अकादमी से स्नातक मनोज पांडे को 1982 में कोर ऑफ इंजीनियर्स में कमीशन किया गया था। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में एलओसी के साथ पल्लनवाला सेक्टर में ऑपरेशन पराक्रम के दौरान एक इंजीनियर रेजिमेंट की कमान संभाली थी। अपने करियर में वे कई अहम पदों पर रहे हैं और आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन में शामिल रहे हैं।

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थल सेना के डिप्टी चीफ भी बने

थल सेना का डिप्टी चीफ बनने से पहले वह थल सेना की पूर्वी कमान का नेतृत्व कर रहे थे। इस कमान पर सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश सेक्टर में एलएसी की रक्षा की जिम्मेदारी होती है। लेफ्टिनेंट जनरल पांडे अंडमान निकोबार कमान के प्रमुख के तौर पर भी काम कर चुके हैं। वह जून 2020 से मई 2021 तक अंडमान निकोबार कमांड के कमांडर-इन-चीफ थे।

नेशनल डिफेंस अकेडमी ज्वाइन की

शुरुआती स्कूलिंग के बाद मनोज पांडे ने नेशनल डिफेंस अकेडमी ज्वाइन की थी। एनडीए के बाद उन्होंने इंडियन मिलिट्री एकेडमी जॉइन की और बतौर अधिकारी कमीशन हुए थे। उन्होंने 3 मई 1987 को सरकारी डेंटल कॉलेज की गोल्ड मेडलिस्ट अर्चना सल्पेकर से शादी की थी। आर्मी चीफ मनोज पांडे को साल 1982 में बॉम्बे सैपर्स में कमीशन मिला। यह कॉर्प्स ऑफ इंजीनियर्स की एक रेजीमेंट है। वह ब्रिटेन के कैमबर्ले के स्टाफ कॉलेज का भी हिस्सा रहे हैं।

कोर्स को खत्म करने के बाद वह भारत में आ गए और पूर्वात्तर भारत की माउंटेन ब्रिगेड के ब्रिगेड मेजर बनाए गए। लेफ्टिनेंट कर्नल के पद पर तैनाती मिलने के बाद उन्होंने इथियोपिया और इरिट्रिया में यूनाइटेड नेशन्स मिशन में बतौर चीफ इंजीनियर के तौर पर काम किया। देश के लिए अपनी 37 सालों की सेवा के अंदर ऑपरेशन विजय और ऑपरेशन पराक्रम में हिस्सा लिया।

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